Giridih News :अधिकारियों को कमरे में किया बंद, तो श्रमिकों को मिली मजदूरी

Giridih News :बगोदर ही नहीं, बल्कि झारखंड-बिहार के दबे कुचल लोगों की आवाज थे महेंद्र सिंह. उन्होंने अपनी जीवन में संघर्ष को प्रमुखता दी. गरीबों के हमदर्द रहे. उनका दुख-दर्द दूर करने के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2025 10:49 PM
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बगोदर ही नहीं, बल्कि झारखंड-बिहार के दबे कुचल लोगों के आवाज थे महेंद्र सिंह. उन्होंने अपनी जीवन में संघर्ष को प्रमुखता दी. गरीबों के हमदर्द रहे. उनका दुख-दर्द दूर करने के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे. वर्ष 1994 में एक महिला टोकरी में कद्दू बेचने आयी थी. वह कद्दू बेचने के लिए नेहरू चौक के सामने बैठी थी. तभी, थाने का एक जमादार उसे अपनी वर्दी का धौंस दिखाने लगा और टोकरी लेकर थाने चला गया. उसी समय महिला को महेंद्र सिंह की याद आ गयी और वह खाली टोकरी लेकर पुराने बस पड़ाव स्थित उनके (महेंद्र सिंह) के कार्यालय पहुंची. कार्यालय में विधायक महेंद्र सिंह मौजूद थे. महिला ने उन्हें अपनी पीड़ा बतायी. महेंद्र सिंह ने स्थानीय भाषा में पूछा क्या बात है. महिला ने कहा कि थाने का एक जमादार ने कद्दू ले लिया. विधायक ने इस मामले को गंभीरता लेते हुए थानेदार के साथ जमादार से बाजार दर पर कद्दू के एवज में भुगतान करवाया. यह बात छोटी है, लेकिन यह साबित करती है कि महेंद्र सिंह गरीबों को उनका अधिकार दिलाने के प्रति कितने गंभीर थे. उन्होंने अफरशाही पर काफी हद तक रोक लगाया. अधिकारियों के दफ्तर में कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिलाया.9 फरवरी 1999 बगोदर अंचल कार्यालय में तैनात सरकारी होमगार्ड जवानों से माओवादियों ने दिनदहाड़े राइफल की लूट ली. वहीं, पुलिस कर्मियों को जख्मी कर दिया. महेंद्र सिंह ने बगोदर थाने में गेट बंद कर दिया. सूचना पर गिरिडीह के तत्कालीन एसपी संजय आनंद लाठकर, हजारीबाग के तत्कालीन एसपी कुंदन कृष्णा, डीआइजी समेत अन्य अधिकारी बगोदर थाना गेट पहुंचे महेंद्र सिंह को आपके लिए वार्ता के लिए थाना बुलाया. इसके बाद बात बनी.

अधिकारियों को कमरे किया बंद, तो मजदूरों को मिली मजदूरी

इतना ही नहीं इसके पूर्व वन प्रमंडल कार्यालय में सरिया में कार्यक्रम का हो रहा था. इसमें महेंद्र सिंह थे समेत कई अधिकारी मौजूद थे. हजारों की संख्या में मजदूर भी उपस्थित थे. इसमें महिला-पुरुष दोनों शामिल थे. अधिकारियों ने पूरा तामझाम कर रखा. था. गड्ढा खोदने वाले मजदूरों ने शिकायत की कि उन्हें मजदूरी नहीं मिली है. इस पर महेंद्र सिंह भड़क गये और सभी अधिकारियों को एक रूम में बंद कर दिया. अधिकारियों के कमरे में बंद होने की सूचना जब वरीय अधिकारियों को लगी, तो एक घंटे में मजदूरों को भुगतान कर दिया. उन्होंने मजदूरों को अधिकार के लिए जागरूक रहने के प्रेरित किया. वह भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी थी. आज महेंद्र सिंह आज भी खेत, खलिहान और जनता के अरमानों में जिंदा हैं.

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