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अधिकारियों ने घोटाले के अनाज का समायोजन की दे दी है खुली छूट

दो बार फिंगर प्रिंट लेकर एक माह का अनाज कार्डधारियों को देने का सिलसिला गिरिडीह जिले में एक लंबे अर्से से चल रहा है. इसके लिए ही विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से एक लंबे समय से अवधि विस्तार का खेल भी इस जिले में चल रहा है.

राकेश सिन्हा, गिरिडीह

दो बार फिंगर प्रिंट लेकर एक माह का अनाज कार्डधारियों को देने का सिलसिला गिरिडीह जिले में एक लंबे अर्से से चल रहा है. इसके लिए ही विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से एक लंबे समय से अवधि विस्तार का खेल भी इस जिले में चल रहा है. बता दें कि गिरिडीह जिले में 87 हजार क्विंटल अनाज की हेराफेरी किये जाने का खुलासा कई माह पूर्व हो चुका है. इस मामले में जांच रिपोर्ट विभागीय स्तर पर दबाकर घोटालेबाजों को घोटाले के अनाज का समायोजन का छूट दिया जा रहा है. इस मामले में न ही जिला प्रशासन के स्तर से अवधि विस्तार के मामले पर रोक लग रही है और न ही विभाग अपने स्तर से कोई कार्रवाई कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि गिरिडीह जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए खाद्यान्न का वितरण लाभुकों के बीच किया जा रहा है. अधिनियम के अनुसार निर्धारित माह के लिए आवंटित अनाज उसी महीने में कार्डधारियों को मिल जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. अधिनियम की अनदेखी करते हुए प्रत्येक माह 15 दिनों का अवधि विस्तार दिया जा रहा है और डबल फिंगर लेकर एक माह का अनाज गायब कर दिया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो गिरिडीह जिले में हुए 87 हजार क्विंटल अनाज घोटाले का समायोजन इसी तरीके का इस्तेमाल करके किया जा रहा है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब तक घोटाले का लगभग 50 प्रतिशत अनाज का समायोजन घोटालेबाजों ने कर दिया है. बताया जा रहा है कि कुछ माह और इसी स्थिति में अनाज का वितरण होता रहा तो घोटाले के सभी साक्ष्य मिट जायेंगे.

बिना अनाज ढोये ट्रांसपोर्टिंग खर्च निकालने की फिराक में है संवेदक

वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि एफसीआई से एसएफसी के गोदाम तक जो अनाज नहीं पहुंच सका है, उसका भी विपत्र परिवहन संवेदक ने बना लिया है और उस ट्रांसपोर्टिंग खर्च को निकालने के प्रयास में है. बता दें कि पिछले चार सालों के भौतिक सत्यापन में यह स्पष्ट हो चुका है कि कई अनाज लदे वाहन एफसीआई गोदाम से निकला, लेकिन अब तक एसएफसी के गोदाम में नहीं पहुंच पाया और ट्रांसपोर्टिंग खर्च का विपत्र विभाग के समक्ष प्रस्तुत कर उसकी निकासी का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए विभागीय स्तर पर उंची पहुंच का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

डीएसडी के संवेदकों पर कार्रवाई करने के बजाय डीलर को दी जाती है चेतावनी

पूर्व में हो चुके 87 हजार क्विंटल अनाज के घोटाले के समायोजन के खेल में डीएसडी के कई संवेदक भी शामिल हो गये हैं. बताया जाता है कि एफसीआई के संवेदक के लोगों ने डीएसडी के संवेदकों के साथ तालमेल कर रखी है. समायोजन के लिए डीलरों तक अनाज पहुंचाने के बजाय तकनीकी और कागजी खानापूरी की जा रही है. गौरतलब बात तो यह है कि इस मामले में वरीय अधिकारियों के आंख में भी धूल झोंकने की कोशिश की जा रही है. वर्तमान में अनाज समायोजन के खेल में कुछ प्रखंडों के डोर स्टेप डिलेवरी के संवेदकों की भूमिका अहम मानी जा रही है. ऐसे प्रखंडों में अनाज दिये बिना ही डीलरों पर बेवजह का दबाव बनाया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि विभाग के वरीय अधिकारियों को जानकारी है कि डीएसडी के संवेदक अनाज डीलरों तक नहीं पहुंचा रहे हैं जिसके कारण गिरिडीह जिले की वितरण व्यवस्था चरमरायी हुई है और जब भी वरीय अधिकारियों पर इस मामले को लेकर दबाव पड़ता है तो वे प्रखंडों के एमओ को पत्र लिखकर डीलर पर बेवजह दबाव बनाते हैं. इधर डीलरों का कहना है कि जब डीएसडी के संवेदक उन्हें समय पर अनाज नहीं देते तो फिर वे कार्डधारियों को अनाज कहां से देंगे. इस मामले में फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के राजेश बंसल ने कहा कि कई प्रखंडों में डीएसडी के संवेदक आवंटित माह का अनाज उसी माह में नहीं देते हैं जिसके कारण डीलर भी कार्डधारियों को अनाज समय पर देने में असमर्थ हैं. उन्हें बेवजह विभाग के स्तर से दबाव दिया जाता है.

जुलाई में भी पिछड़ रहा है गिरिडीह, मात्र 58.57 % का वितरण

पिछले लगातार तीन महीने से अनाज वितरण में गिरिडीह जिला राज्य में पिछड़ रहा है. घोटाले के अनाज के समायोजन के फेर में ऐसी स्थिति हुई है. जुलाई माह में मात्र अब तीन दिन बचे हुए हैं. 28 जुलाई तक अनाज का वितरण प्रतिशत मात्र 58.57 रहा है. जबकि राज्य का औसत वितरण प्रतिशत 83.9 है. बता दें कि मई माह में राज्य में 83.35 प्रतिशत वितरण हुआ था और गिरिडीह जिले में मात्र 45.68 प्रतिशत ही वितरण हो पाया था. इसी प्रकार जून में भी राज्य में 88.42 प्रतिशत और गिरिडीह जिले में मात्र 67.26 प्रतिशत अनाज का वितरण किया गया था. इस प्रकार मई, जून और जुलाई महीने में गिरिडीह जिला का स्थान अनाज वितरण में राज्य में सबसे पीछे है. इस फिसड्डी पर भी अधिकारियों की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं देखी जा रही है. खाद्य आपूर्ति विभाग के पोर्टल के अनुसार हर बार गिरिडीह जिले के उन्हीं प्रखंडों में अनाज का वितरण सबसे खराब देखा गया है जहां अनाज के घोटाले हुए हैं. जिले के जमुआ में 13.13 प्रतिशत, बिरनी में 14.21 प्रतिशत, धनवार में 18.21 प्रतिशत और सरिया में 33.73 प्रतिशत का वितरण 28 जुलाई तक हो पाया है. प्रत्येक बार की तरह इस बार भी अवधि विस्तार के लिए प्रयास तेज कर दिया गया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि 15 दिनों का अवधि विस्तार लेकर पुन: जुलाई माह का अनाज वितरण डबल फिंगर करते हुए किया जायेगा.

दबी हुई है 87 हजार क्विंटल अनाज गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट

दिशा की बैठक में अनाज गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को जांच कराने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के बाद जिले में स्थित एसएफसी के सभी गोदामों की जांच की गयी और भौतिक सत्यापन किया गया. भौतिक सत्यापन के बाद यह खुलासा हुआ कि एफसीआई के गोदाम से चला अनाज लदा कई ट्रक एसएफसी के गोदाम में पहुंचा ही नहीं. इसके अलावे यह भी बात सामने आयी कि गिरिडीह जिले में लगभग 87 हजार क्विंटल अनाज का कोई अता-पता नहीं है. चौंकाने वाला रिपोर्ट आने के बाद गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने विभाग को सुक्ष्म जांच के लिए अनुरोध पत्र भेजा. वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी खाद्य आपूर्ति विभाग को पत्र लिखकर मामले की जांच का निर्देश दिया था. इस मामले में भी विभाग के अपर सचिव अनिल कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गयी. जांच के बाद रिपोर्ट कई माह से दबी हुई है. इस मामले में न ही अब तक कोई कार्रवाई हुई है और न ही केंद्रीय मंत्री को जांच रिपोर्ट से अवगत कराया गया है. सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले को दबाने के लिए घोटालेबाजों ने विभागीय अधिकारियों के साथ बड़ी डील की है. यही कारण है कि अब तक घोटालेबाजों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है.

घोटालेबाजों को सरकार दे रही है संरक्षण : अन्नपूर्णा

महिला एवं बाल विकास विभाग की केंद्रीय मंत्री सह कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि अनाज घोटालेबाजों को झारखंड की हेमंत सरकार संरक्षण दे रही है. यही कारण है कि घोटाला का खुलासा हो जाने के बाद भी न ही इसमें शामिल अधिकारियों पर कोई कार्रवाई हो रही है, न ही घोटालेबाजों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज हो रही है और न ही घोटाला पर अंकुश लगाया जा रहा है. बताया कि दिशा की बैठक में उन्होंने गरीबों के अनाज की कालाबाजारी को लेकर कई बार मामला उठाया. उन्होंने इस संबंध में झारखंड के खाद्य आपूर्ति विभाग को भी पत्र लिखा था. इसके बाद जांच कमेटी भी बनी. जांच कमेटी ने क्या रिपोर्ट दिया, इसकी उन्हें अब तक कोई जानकारी नहीं है. गिरिडीह के डीसी ने भी अपने स्तर से मामले की जांच कराया था. 87 हजार क्विंटल अनाज की हेराफेरी का मामला भी सामने आया. लेकिन विभाग से लेकर सरकार तक चुप्पी साधे हुए है और अब घोटाले के अनाज का समायोजन का अवसर देकर साक्ष्य ही मिटा देने की कोशिश की जा रही है. श्रीमती अन्नपूर्णा ने कहा कि इस मामले को लेकर वह पुन: राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव को पत्र लिखेंगी और मामले में त्वरित कार्रवाई का निर्देश देंगी. यदि इसके बाद भी राज्य सरकार के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो वे सीबीआई और ईडी को भी शिकायत पत्र भेजेंगी.

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