ऑनलाइन शिक्षा : बच्चों को नहीं समझ आता पाठ, अभिभावक परेशान
सुबह के ग्यारह बजे है, आम दिनों में यह समय बच्चों के स्कूल में रहने का है पर कोरोना काल में बच्चे घरों की चहारदीवारी में ही रह रहे हैं.
गिरिडीह : सुबह के ग्यारह बजे है, आम दिनों में यह समय बच्चों के स्कूल में रहने का है पर कोरोना काल में बच्चे घरों की चहारदीवारी में ही रह रहे हैं. चंदौरी रोड स्थित आवास में कार्मेल स्कूल की छात्रा ऋषिका व उसका भाई देवांश लैपटाप पर नजर गड़ाये हैं. दोनों आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं. स्कूल की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करायी जा रही है.
लॉकडाउन में गत 24 मार्च से सभी शैक्षणिक संस्थान बंद करा दिये गये हैं. ऐसे में शैक्षणिक संस्थानों की ओर से लॉनलाइन शिक्षा के जरिये सत्र पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. कहीं गूगल मीट के जरिए कक्षाएं करायी जा रही है तो कहीं यू ट्यूब और और व्हाट्सएप के माध्यम से पाठय सामग्री तैयार कर विद्यार्थियों तक ऑनलाइन पहुंचाया जा रहा है.
ऑनलाइन क्लास से बच्चों को कितना लाभ हो रहा है और बच्चों व अभिभावकों को क्या परेशानी हो रही है इसकी पड़ताल शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने की. इसमें पता चला कि ऑनलाइन क्लास न विद्यार्थियों को समझ में आ रहा है और न अभिभावक इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. स्कूल में शिक्षकों का डर रहता है, इसलिए छात्र होमवर्क समय पर करते थे और विषय भी याद करते थे.
शहरी क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ भले ही आधे से अधिक विद्यार्थियों को मिल रहा है पर ग्रामीण इलाकों में स्थिति खराब है. गांवों में बीस फीसदी बच्चे भी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. सेल्फ स्टडी और अभिभावकों के सहारे हो रही पढ़ाई़ ऊपर से इंटरनेट व बिजली की समस्या भी इसमें बाधक है. शहरी क्षेत्र में तो यह सुविधा केबल के माध्यम से भी दी जा रही है पर गांवों में ऐसा नहीं हो पा रहा है.
ऑनलाइन शिक्षा का मिल रहा पूरा लाभ : डाॅ प्रवीर
शिक्षाविद सह बीएनएस डीएवी के प्राचार्य डाॅ प्रवीर हाजरा ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा का बच्चों को पूरा लाभ मिल रहा है. वहीं शिक्षकों को भी पढ़ाई से पूर्व काफी मेहनत करनी पड़ रही है. ऑनलाइन शिक्षा को पूरी दुनिया देख रही है, ऐसे में शिक्षकों की पढ़ाई के प्रति उदासीनता नहीं चलेगी.
शत-प्रतिशत बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ : शिवेंद्र
प्राइवेट स्कूल अभिभावक संघ के जिला महासचिव शिवेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा का लाभ शत प्रतिशत बच्चों को नहीं मिल रहा है. जो लोग सक्षम हैं उनके लिए यह बेहतर है पर जिनके पास एंड्रायड फोन व इंटरनेट की सुविधा नहीं है उन्हें परेशानी हो रही है. ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित छात्रों के अभिभावक इससे परेशान हैं.
ऑनलाइन शिक्षा पर अभिभावकों ने कहा स्कूल में पढ़ाई से बनती है बुनियाद : निजी स्कूल में पढ़ रही दो छात्राओं की मां ऋचा केडिया ने कहा कि बच्चों का बेस स्कूल में पढ़ाई से ही बनता है. ऑनलाइन शिक्षा से मां की जिम्मेवारी बढ़ गयी है. बच्चे क्लास में पढ़ रहे थे तो बेहतर था. उनके साथ बहुत मेहनत करनी पड़ती है.
ऋचा केडिया
ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों को नुकसान हो रहा है. बच्चों की आंखों पर अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है. छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा समझ नहीं आ रही है. 15 दिन भी पढ़ाई नहीं हुई और तीन माह का फीस मांगा जा रहा है.
डिंपल साव
ऑनलाइन शिक्षा से पूर्व बच्चों को मोबाइल से दूर रखते थे. अभी समय से पूर्व बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देना पड़ रहा है. बच्चे मोबाइल में उलझे रहते हैं. इससे उनकी आंखों पर भी असर पड़ रहा है. फोन दे देने से हमें भी परेशानी होती है.
राजू कुमार
जिन इलाकों में इंटरनेट की सुविधा है वहां कोई परेशानी नहीं, लेकिन जहां इसकी सुविधा नहीं है वहां ऑनलाइन शिक्षा में काफी समस्या है. बार-बार बिजली कटने से भी परेशानी होती है. स्क्रीन पर टकटकी लगान से बच्चों के आंख पर असर पड़ रहा है.
प्रमोद यादव
बच्चों ने कहा : ठीक से नहीं चलता नेट, आंखों में रहता है दर्द : ऑनलाइन पढ़ाई से भी बेहतर तरीके से पाठ समझ आ रहा है पर इस दौरान इंटरनेट ठीक से नहीं चलने से काफी परेशानी हो रही है. ऑनलाइन पढ़ाई में दोबारा मौका नहीं मिलता है. बिजली नहीं रहने से दिक्कत होती है.
ऋषिका
लगातार लैपटॉप पर नजर गड़ाये रहने के कारण आंखों में दर्द होने लगता है. कई बार नेट नहीं चलने और बिजली कटने से भी बढ़ाई बाधित हो जाती है. ऐसे में क्या पढ़ाया गया यह समझने में काफी परेशानी होती है.
देवांश
मकतपुर रोड के देवेस ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से स्कूल सिलेबस पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं. स्कूल का प्रयास बेहतर है लेकिन इसमें नेट और बिजली की समस्या बाधक बन रही है.
देवेस जैन
स्कूल बंद हैं, इस कारण ऑनलाइन पढ़ाई करना विवशता है. जबकि स्कूल की शिक्षा बेहतर होती है. स्कूल में बैठकर पढ़ाई करने के दौरान सवाल पूछने और ग्रुप डिस्कशन में काफी सुविधा होती है.
वर्द्वमान