Giridih News: गिरिडीह जिला केंद्रीय पुस्तकालय में है संविधान की मूल प्रति : डीसी

Giridih News: डीसी ने कहा कि युवा वर्ग को संविधान दिवस के कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. भारत का संविधान ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो देश के हर नागरिक को समान अधिकार देता है. मौके पर विभिन्न विभागों के पदाधिकारी व कर्मी मौजूद थे.

By Prabhat Khabar News Desk | November 26, 2024 11:11 PM

संविधान दिवस के अवसर पर समाहरणालय सभागार में उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलायी. मौके पर कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया. इसका अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को बनाया गया था. वहीं संविधान सभा की ओर से संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ भीमराव आंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति गठित की गयी. सभा के 2 साल 11 महीने और 18 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद भारतीय संविधान को तैयार किया गया. डीसी श्री लाकड़ा ने बताया कि आज का दिन बहुत ही हर्ष का दिन है. कहा कि जिला केंद्रीय पुस्तकालय में भी संविधान की मूल प्रति उपलब्ध है. यह गिरिडीहवासियों के लिए गर्व की बात है.

संविधान की मूल प्रति देखने व पढ़ने केंद्रीय पुस्तकालय में लगा रहा तांता

संविधान दिवस के अवसर पर केंद्रीय पुस्तकाल में युवा व बुद्धिजीवियों की भीड़ उमड़ी. गिरिडीह में संविधान की मूल प्रति होने को ले सुबह से ही यहां लोग संविधान की मूल प्रति देखने, पढ़ने एवं संविधान के साथ फोटो खिंचाने में जूटे रहे. इस दौरान केंद्रीय पुस्तकालय में भी संविधान दिवस मनाया गया. मौके पर संविधान के प्रस्तावना की शपथ ली गयी. इस दौरान छात्र-छात्राओं ने संविधान दिवस पर अपने विचारों को रखा. मौके पर अरुण कुमार, नितिन अग्रवाल, गोविंदा, अजय कुमार समेत कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.

2003 में कोलकाता से लायी गयी थी संविधान की मूल प्रति

गिरिडीह केंद्रीय पुस्तकालय में संविधान के मूल प्रति वर्ष 2003 में कोलकाता से मंगायी गयी थी. बता दें कि कोलकाता के राजा राम मोहन राय फाउंडेशन से गिरिडीह लायी गयी संविधान की मूल प्रति में देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद, डा. भीम राव अंबेडकर समेत कई के मूल हस्ताक्षर हैं. संविधान की मूल प्रति देखने-पढ़ने एवं संविधान के साथ फोटो के लिये छात्र-छात्राएं, युवा, बुद्धिजीवियों का तांता लगा रहता है.

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