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आस्था का केंद्र है पड़रिया मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर

बिरनी प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर पश्चिम पड़रिया में मां वैष्णवी वासंतिक दुर्गा पूजा 75 वर्षों से मां वैष्णवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर होती आ रही है. अब दूर-दूर तक इसकी ख्याति है.

75 वर्षों से मां की प्रतिमा स्थापित कर ग्रामीण कर रहे हैं मां की आराधना

बिरनी (गिरिडीह).

बिरनी प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर पश्चिम पड़रिया में मां वैष्णवी वासंतिक दुर्गा पूजा 75 वर्षों से मां वैष्णवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर होती आ रही है. अब दूर-दूर तक इसकी ख्याति है. नतीजतन दूर-दूर से यहां श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं. मां की महिमा क्षेत्र में इस तरह विख्यात है कि कलश स्थापन के दिन से ही दर्जनों महिला श्रद्धालु एकत्र हो जाती हैं. जैसे-जैसे लोगों की मुराद पूरी होती है, मां की ख्याति बढ़ती जाती है.

पूरा क्षेत्र हो जाता है भक्तिमय :

पूजा समिति के अध्यक्ष सह ग्रामीण रामसहाय यादव, उपाध्यक्ष अनीस दास, सचिव बिनोद साव, कोषाध्यक्ष कामेश्वर यादव, राजदेव साव, गोविंद साव, पप्पू मोदी, रामदेव साव आदि ने बताया कि पड़रिया में सन 1951 ई से ग्रामीणों के सहयोग से प्रत्येक वर्ष मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. कलश स्थापना के दिन से पूरे गांव में मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन तक का सेवन बंद हो जाता है. साथ ही पूरा गांव कलश स्थापना के दिन से नवमी तक पूजा-पाठ व दशमी में मेला के आयोजन से मां की विदाई तक पूरा क्षेत्र भक्तिमय बन जाता है.

खपड़ैल मकान से हुई थी पूजा की शुरुआत :

लोगों ने बताया कि गांव में महामारी के प्रकोप को देखते हुए ग्रामीणों ने मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का संकल्प लिया था. महामारी के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह खपड़ैल मकान में प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की गयी. आज दुर्गा मंदिर परिसर में कई मंदिरों की स्थापना कर भव्य तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है.

बंगाल के कारीगर बनाते हैं मां की प्रतिमा :

मां दुर्गा की आकर्षक प्रतिमा स्थापित करने को ले कारीगर बंगाल से बुलाये जाते हैं. पुजारी महेश पांडेय ने कहा कि यहां पर पूजा के समय ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष शनिवार-मंगलवार को पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मां के दरबार में आनेवाले श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती है.

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