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लोग घरों में, सड़कों पर वन्यजीव

सूरज सिन्हा, गिरिडीह : देशभर में लॉकडाउन है. लोग घरों में हैं. सभी दुआ कर रहे कि कोरोना रूपी संकट से जल्द छुटकारा मिले. इस परिदृश्य के बीच दिलचस्प पहलू ये भी है कि जहां शहरों, कस्बों और गांवों में सन्नाटा है, वहीं जंगल की देहरी पार कर बेजुबान इस सन्नाटे को चीर रहे हैं. […]

सूरज सिन्हा, गिरिडीह : देशभर में लॉकडाउन है. लोग घरों में हैं. सभी दुआ कर रहे कि कोरोना रूपी संकट से जल्द छुटकारा मिले. इस परिदृश्य के बीच दिलचस्प पहलू ये भी है कि जहां शहरों, कस्बों और गांवों में सन्नाटा है, वहीं जंगल की देहरी पार कर बेजुबान इस सन्नाटे को चीर रहे हैं. जगह-जगह वन्यजीव सड़कों पर नजर आ रहे. एक ओर लॉकडाउन तथा दूसरी ओर गर्मी के कारण अपनी प्यास बुझाने के लिए हिरण, नीलगाय सरीखे जानवर जंगल से निकलकर गांव की ओर विचरण करने लगे हैं. ऐसे बेजुबान जानवरों को क्या पता कि जंगल से बाहर निकलना उनके लिए घातक है.

अप्रैल माह में अब तक गावां में एक हिरण को लोगों ने मार डाला. वहीं एक नील गाय कुत्तों से बचने के क्रम में दौड़ते हुए मौत के गाल में समा गयी. इधर, देवरी प्रखंड में वन विभाग के कर्मियों ने एक नील गाय को ग्रामीणों से बचाकर पुन: जंगल में छोड़ दिया. जानकारी के मुताबिक 12 अप्रैल को देवरी के चौकी जंगल से एक नील गाय पानी की तलाश में सुनसान वादियों से होते हुए गांव की ओर आ गयी. नील गाय को देखकर कुछ ग्रामीण उसका पीछा करने लगे. किसी तरह से वह अपनी जान बचाकर पुलिस पिकेट के पास पहुंची. पुलिस कर्मियों ने उसे पकड़कर वन विभाग को सौंप दिया.

बताया जाता है कि उक्त जंगल में हिरण, नीलगाय, मोर व सियार समेत अन्य जानवर व पक्षी है. जो कि समय-समय पर गांव की ओर आ जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक 17 अप्रैल को गावां वन विभाग के कर्मियों ने नौका आहार झाड़ी के समीप एक मृत हिरण को बरामद किया था. वन विभाग कर्मियों को सूचना मिली थी कि नौका आहार के पीछे एक झाड़ी में मृत हिरण पड़ा हुआ है. इसके बाद उक्त मृत हिरण को बरामद कर गावां वन प्रक्षेत्र कार्यालय में लाकर रखा गया. मृत हिरण के पेट पर जख्म का निशान भी मिला था. रेंजर अनिल कुमार ने संभावना व्यक्त की थी कि हिरण की किसी ने हत्या कर दी. इस मामले में एक की गिरफ्तारी भी हुई है. वहीं एक अन्य घटना के मुताबिक गावां प्रखंड के पिहरा में एक नील गाय मरी हुई पायी गयी थी. ग्रामीणों के मुताबिक पानी की तलाश में गांव में आने के बाद कुत्तों द्वारा उसका पीछा किया गया. भागने के क्रम में मेढ़ से उसका सिर टकराने से उसकी मौत हो गयी.

भोजन की तलाश में घरों तक पहुंच रहे हैं बंदर : मधुबन में एक घर की छत पर चना खाते बंदर लॉकडाउन में मधुबन में यात्रियों के आने का सिलसिला बंद है. पूर्व में जब यहां पर हजारों की संख्या में पर्वत की वंदना करने के लिए तीर्थयात्री पहुंचते थे तो पहाड़ पर मौजूद बंदरों के लिए भी आहार की व्यवस्था करके जाते थे. बंदरों को कोई बिस्कुट तो कोई ब्रेड खिलाता था. लेकिन लॉकडाउन में बंदरों को खाने-पीने के समस्या हो गयी है. स्थिति यह है कि पेट की भूख शांत करने के लिए झुंड में ये बंदर पर्वत से नीचे उतरकर घरों तक पहुंच रहे हैं. यहां पर लोग इन बंदरों के लिए भोजन व पानी का प्रबंध कर रहे हैं.

कहते हैं ग्रामीण : जिले के देवरी प्रखंड के विजय सिंह, विनय कुमार, उदय सिंह, निवास वर्णवाल आदि का कहना है कि शांत वातावरण को देखकर नील गाय, हिरण आदि जानवर जंगल से निकलकर गांव पहुंच जाते हैं. उन्होंने कहा कि इन जानवरों की सुरक्षा का सबों को ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने वन विभाग से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है. गावां प्रखंड के पवन चौधरी, सौगादर साव, देवनंदन साव, सुनील सिन्हा आदि का कहना है कि जंगल से बाहर निकलकर आने वाले नील गाय व हिरण की सुरक्षा जरूरी है. उन पर निशाना साधना उचित नहीं है.

पानी की तलाश में गांव की ओर आते हैं वण्यजीव : डीएफओचित्र परिचय : 6. डीएफओ राजकुमार साहडीएफओ राजकुमार साह ने कहा कि गर्मी के मौसम में पानी की तलाश करते-करते नील गाय व हिरण भटक कर गांव पहुंच जाते हैं. लॉकडाउन के कारण गांवों में भी सन्नाटा पसरा रहता है. इसलिए पानी की तलाश में वण्यजीव आ जा रहे हैं. हालांकि गांव में इन जानवरों के पकड़े जाने की स्थिति में पुन: इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है. श्री साह ने कहा कि इन जानवरों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है. वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को इसको लेकर जागरूक भी किया जाता है. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ पर रहने वाले बंदर भोजन की तलाश में घरों तक पहुंच रहे हैं.

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