सरिया प्रखंड व अनुमंडल बनने के डेढ़ दशक बाद भी नहीं हुए पद सृजित

सरिया प्रखंड व अनुमंडल में अधिकारियों के कई पद अभी तक सृजित नहीं किये गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 11:57 PM

सरिया. झारखंड सरकार ने वर्ष 2008 में सरिया को नवसृजित प्रखंड का दर्जा दिया गया. जबकि वर्ष 2012 में बगोदर-सरिया अनुमंडल भी बना. इस बीच दो-दो बार विधानसभा व लोकसभा का चुनाव हुए. विधायक-सांसद बने. जनता की समस्याओं का भले ही लगातार समाधान हो रहा है, लेकिन उनकी नजर प्रखंड व अनुमंडल कार्यालय में कर्मचारियों की कमी पर नहीं पड़ी. इसके कारण कार्यालय संबंधित काम में लोगों को आज भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रखंड व अनुमंडल बनने के बाद इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार भी बढ़ी. प्रखंड कार्यालय अधिकारी आवास बनाये गये. अनुमंडल कार्यालय, अनुमंडलीय अस्पताल भवन आदि के निर्माण कार्य तीव्र गति से जारी है. प्रखंड तथा अनुमंडल बनने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्थापना हुई. क्षेत्र में अमन चैन शांति आदि भी कायम हुआ.

कई पदों को नहीं हुआ सृजन :

सरिया को प्रखंड का दर्जा मिलने के लगभग 18 वर्ष बाद भी प्रखंड व अंचल के अधिकांश विभागों का पद सृजन नहीं किया गया. इसके कारण लोगों को परेशानी हो रही है. अगल-बगल के प्रखंडों के अधिकारियों के प्रभार के भरोसे विभाग चल रहे हैं. सरिया प्रखंड में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, समाज कल्याण पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी, पेयजल आपूर्ति पदाधिकारी, खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी, विद्युत विभाग, श्रम विभाग, नगर पंचायत पदाधिकारी सहित कई विभाग के पद सृजित नहीं हो पाये. इसके कारण इन विभागों की विकास योजनाओं का कार्यान्वयन सुचारू रूप से नहीं हो रहा है.

अनुमंडल व नगर पंचायत में भी अधिकारियों का टोटा :

यही हाल वर्ष 2012 में बने अनुमंडल का भी है. यहां पर भी सिर्फ अनुमंडल पदाधिकारी सह दंडाधिकारी, एलआरडीसी और अनुमंडल पुलिस अधिकारी के अलावा मात्र आदेशपाल का पद सृजित कर बाकी पदों को सृजित करना मानो झारखंड सरकार 13 वर्षों से भूल चुकी है. मात्र तीन स्थायी अधिकारियों के सहारे पूरे अनुमंडल का कार्यभार चल रहा है. व्यवस्था बनी रहे इसके लिए अगल-बगल के प्रखंड व अंचल के कर्मियों को अस्थायी रूप से पदस्थापित किया गया है. तीन वर्ष पूर्व सृजित बड़की सरिया नगर पंचायत में अधिकारियों का टोटा है. इसके कारण नगर पंचायत की योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल है. इससे जनता में नाराजगी भी है.

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