30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक और जीवंत

गिरिडीह की अभिनव साहित्यिक संस्था ने गुरुवार अशोक नगर स्थित सुमन वाटिका में मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया. अध्यक्षता उर्दू लेखक मोइनउद्दीन शमसी ने की.

गिरिडीह की अभिनव साहित्यिक संस्था ने गुरुवार अशोक नगर स्थित सुमन वाटिका में मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया. अध्यक्षता उर्दू लेखक मोइनउद्दीन शमसी ने की. कार्यक्रम में उपस्थित संस्था के सदस्यों ने प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. संगोष्ठी में लेखक डॉ छोटू प्रसाद, शायर मोइउनुद्दीन शमसी, नाटककार बद्री दास, विचारक शंकर पांडेय, पत्रकार आलोक रंजन, कवि प्रदीप गुप्ता, विचारक प्रभाकर कुमार, छात्रा निशु कुमारी व संस्था के सचिव रितेश सराक ने मुंशी प्रेमचंद के अवदान और उनकी विरासत पर अपने विचार रखे. मोइउनुद्दीन शमसी ने प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ईदगाह का जिक्र करते हुए कहा कि उनके साहित्य से हम सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव की सीख ले सकते हैं. शंकर पांडेय ने कहा कि आज के सामाजिक और राजनीतिक हालात में प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत को अपनाने की अधिक जरूरत है. डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ ने कहा कि सौ साल बाद भी प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक और जीवंत है. मुख्य वक्ता शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी बद्री दास ने कहा कि आज भी समाज में सामंती और जातिगत विद्वेष की भावना मौजूद है. ऐसे में प्रेमचंद साहित्य हमें राह दिखाता है. प्रभाकर ने कहा कि इस संक्रमण काल में प्रेमचंद जयंती मनाना ही बड़ी बात है. संचालन कर रहे रितेश सराक ने कहा कि राज्य बनने के 24 वर्षों के बाद भी हिंदी साहित्य अकादमी, राजभाषा परिषद और राज्य ग्रंथ अकादमी जैसे संस्था का गठन नहीं होना दुर्भाग्य की बात है. आलोक रंजन ने सरकार द्वारा पाठ्य पुस्तकों में प्रेमचंद व अन्य साहित्यकारों के मूल लेखन से छेड़छाड़ के चलन को गलत बताया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें