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गिरिडीह में नहीं सुधर रही जनवितरण प्रणाली, अगस्त में हुई हालत और खराब

जिले में जनवितरण प्रणाली व्यवस्था सुधर नहीं पा रहा है. वितरण व्यवस्था और खराब होती जा रही है. अगस्त माह में राज्य में जहां 82.85 प्रतिशत पीडीएस अनाज का वितरण किया गया है. वहीं गिरिडीह जिले में मात्र 53.01 प्रतिशत ही वितरण किया जा सका.

राज्य में वितरण प्रतिशत 82.85 पहुंचा, जबकि गिरिडीह जिले में मात्र 53.01 प्रतिशत का हुआ वितरण

गिरिडीह.

जिले में जनवितरण प्रणाली व्यवस्था सुधर नहीं पा रहा है. वितरण व्यवस्था और खराब होती जा रही है. एक ओर जिन प्रखंडों का अनाज गायब हो गया है. वहां तो वितरण व्यवस्था पहले से ही गड़बड़ायी हुई है, लेकिन जिन प्रखंडों में वितरण व्यवस्था सामान्य थी, वहां भी एक सुनियोजित साजिश के तहत कार्डधारियों को अनाज नहीं दिया जा रहा है ताकि उस अनाज को दुर्गापूजा के पूर्व कालाबाजार में टपाया जा सके. अगस्त माह में राज्य में जहां 82.85 प्रतिशत पीडीएस अनाज का वितरण किया गया है. वहीं गिरिडीह जिले में मात्र 53.01 प्रतिशत ही वितरण किया जा सका. बता दें कि यह वितरण प्रतिशत पिछले तीन माह में सबसे खराब है. जहां जून महीने में 67.26 प्रतिशत वितरण किया गया, वहीं जुलाई महीने में 68.13 प्रतिशत अनाज का वितरण किया गया था. अधिकारियों ने दावा किया था कि आने वाले माह में वितरण व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जायेगा. लेकिन दुरुस्त होने के बजाय वितरण की स्थिति और खराब हो गयी है. राज्य के अन्य जिलों पर गौर करें तो लोहरदगा जिला में 96.29 प्रतिशत, रामगढ़ जिले में 96.19 प्रतिशत और गिरिडीह से सटे जामताड़ा जिले में 95.35 प्रतिशत अनाज का वितरण हुआ है.

एजीएम और डीएसडी संवेदकों पर चुप्पी क्यों : इधर इस मामले में जहां जिला प्रशासन के साथ-साथ विभाग के वरीय अधिकारियों के आंखों में जिले के अधिकारी धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं, लगातार उन्हें गलत फीडबैक दिया जा रहा है. बैकलॉग का हवाला देकर अधिकारियों को बताया जा रहा है कि पूर्व में जो गड़बड़ी हुई है, उसी कारणवश वितरण व्यवस्था चरमराया हुआ है. जबकि सच्चाई यह है कि प्रत्येक माह अवधि विस्तार लेकर डबल फिंगर के जरिये एक माह के अनाज की चोरी कर ली जा रही है. कार्डधारियों को डबल अनाज देने की बात कहकर एक माह का अनाज उन्हें दिया जा रहा है. आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रत्येक माह जिला आपूर्ति पदाधिकारी सह जिला गोदाम प्रबंधक के द्वारा चेतावनी पत्र भी जारी किया जाता है, लेकिन खराब वितरण व्यवस्था को लेकर चेतावनी सिर्फ संबंधित प्रखंडों के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और डीलरों को दी जा रही है. इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले या कालाबाजार के खेल में शामिल संबंधित सहायक गोदाम प्रबंधक और डीएसडी के संवेदकों पर न ही कोई कार्रवाई हो रही है और ना ही उन्हें कोई चेतावनी ही दी जा रहा है. जबकि सच्चाई ये है कि कई प्रखंडों में सहायक गोदाम प्रबंधक और डीएसडी के संवेदकों द्वारा डीलरों के दुकानों तक अनाज पहुंचाया ही नहीं जा रहा है. अधिकारियों द्वारा डीलरों को अनाज आपूर्ति किये जाने के झूठे दावे किये जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि पीडीएस दुकानदारों के दुकान में उतनी जगह भी नहीं है कि दो माह का अनाज वहां रखा जा सके. अधिकारी बिना अनाज पहुंचाये ही डीलरों पर दबाव बना रहे हैं.

1946 पीडीएस दुकानों में से 714 दुकानों में वितरण प्रतिशत शून्य

गिरिडीह जिले में कुल अनाज आवंटन 1,12,836 क्विंटल है. यह अनाज 4,26,699 कार्डधारियों के बीच वितरित किया जाना है. लेकिन अब तक मात्र 59,651 क्विंटल अनाज का ही वितरण किया जा सका है. झारखंड राज्य खाद्य आपूर्ति विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर नजर डालें तो कई आंकड़ें चौकाने वाले हैं. जिले में कुल 1946 पीडीएस दुकान है जिसमें से 714 दुकानों में अब तक वितरण शुरू ही नहीं हो सका है. यानि इन दुकानों का वितरण प्रतिशत शून्य है. प्रखंडवार वितरण की स्थिति देखें तो पूर्व से बिरनी, धनवार, जमुआ और सरिया प्रखंड की स्थिति बेहद खराब रही है. इस बार भी इन प्रखंडों की वितरण व्यवस्था बेहद खराब रिकार्ड की गयी है. अधिकारियों द्वारा इन प्रखंडों में बैकलॉग बताकर उच्च अधिकारियों की आंखों में धूल झोंका जा रहा है. जबकि इन प्रखंडों के अनाज के गायब होने की पुष्टि जांच में हो चुकी है. अब अगस्त माह के आंकड़ें पर गौर करें तो बिरनी में 21.19 प्रतिशत, धनवार में 9.33 प्रतिशत, जमुआ में 2.99 प्रतिशत और सरिया में 49.5 प्रतिशत का वितरण हो पाया है. अन्य प्रखंडों में भी अनाज का वितरण एक साजिश के तहत ठीक से नहीं की गयी है. बगोदर में मात्र 52.12 प्रतिशत, डुमरी में 69.68 प्रतिशत, गांडेय में 72.89 प्रतिशत, गावां में 68.02 प्रतिशत और गिरिडीह मुफस्सिल में 71.27 प्रतिशत का ही वितरण हो पाया है.

लापरवाह डीएसडी एजेंसियों को ब्लैक लिस्टेड कर कार्रवाई हो : विनोद सिंह

भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि बार-बार गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह सब हो रहा है. जहां तक मेरी जानकारी है कि डीएसडी के संवेदक डीलरों को अनाज समय पर नहीं दे रहे हैं. अनाज की कालाबाजारी हो रही है. इसके कारण अत्यंत गरीबों को अनाज नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि लापरवाह डीएसडी एजेंसियों को जिला प्रशासन बिना विलंब किये ब्लैक लिस्टेड करे और उनके विरुद्ध कार्रवाई हो. कहा कि ठोस कार्रवाई नहीं होने से घोटालेबाजों का मनोबल बढ़ रहा है. कई बार विधानसभा में उन्होंने मामले को उठाया है. दोषी अधिकारियों के विरुद्ध प्रपत्र ‘क’ भी गठित हुआ, लेकिन इन अधिकारियों पर भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. विधायक ने कहा कि अनाज वितरण व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए राज्य खाद्य आयोग को भी हस्तक्षेप करना चाहिए. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जो प्रावधान है, उसके तहत दोषी लोगों के विरुद्ध आयोग कार्रवाई करे और लाभुकों को न्याय दिलाये.

प्रशासन प्राथमिकी दर्ज कर रिकवरी करे : बीस सूत्री उपाध्यक्ष

बीस सूत्री उपाध्यक्ष सह झामुमो के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि खराब अनाज वितरण व्यवस्था के कारण जिले में सरकार की छवि काफी धूमिल हो रही है. इसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. कहा कि पिछले दिनों खुद गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने जांच करवाकर 87000 क्विंटल अनाज गायब हो जाने के मामले को पकड़ा है. लेकिन इस मामले में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की जा रही है, यह समझ से परे है. कहा कि इस मामले में जिला प्रशासन दोषी लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करे और अविलंब अनाज या उतनी की राशि की रिकवरी करे. साथ ही जिले में अवैध तरीके से पीडीएस लाइसेंस निर्गत किये जाने व हरा कार्ड को पीला कार्ड बदलने जैसे गंभीर मामले भी पकड़े गये. इस मामले में दोषियों को चिह्नित भी किया गया. लेकिन, बड़े अधिकारियों को छोड़ दिया गया है. बताया कि जिस आइडी से कार्ड को बदला गया था, वह तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी का था. इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर पर कार्रवाई कर चुप्पी साध ली गयी है. महिला कंप्यूटर ऑपरेटर को जेल भेज दिया गया है. जबकि, सच्चाई यह है कि तत्कालीन डीएसओ के निर्देश पर ही महिला कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा कार्ड बदला गया था. कहा कि जिले में गरीबों का अनाज उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. एक संगठित गिरोह के माध्यम से लूट मची हुई है. जिला प्रशासन का इस मामले में मूकदर्शक बना रहना काफी आश्चर्यजनक है.

(राकेश सिन्हा)

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