जमींदार टिकैत किस्टू प्रसाद सिंह ने की थी शुरुआत
गांडेय.
ब्रिटिश काल से ही गांडेय में दुर्गापूजा का आयोजन हो रहा है. यहां दुर्गापूजा की शुरुआत तत्कालीन जमींदार टिकैत किस्टू प्रसाद सिंह ने की थी. जानकारी के अनुसार आजादी के पूर्व जमींदारी प्रथा के बीच एक बार गांडेय में महामारी फैली. जनता को परेशान होते देख जमींदार किस्टू प्रसाद सिंह ने मां दुर्गे का अनुष्ठान शुरू करने का निर्णय लिया. मिट्टी का मंडप बनाकर पूजा अर्चना शुरू की. मां अनुष्ठान शुरू होते ही महामारी का प्रकोप खत्म होने लगा. इसके बाद जमींदार ने प्रतिवर्ष प्रतिमा स्थापित के पूजा अर्चना शुरू कर दी. यही वजह है कि यहां मां दुर्गा के प्रति लोगों में काफी आस्था व विश्वास है.वर्तमान में बना है भव्य मंदिर
जमींदार टिकैत किसटू प्रसाद सिंह के पथरोल चले जाने के बाद उन्होंने यहां पूजा अर्चना की जिम्मेदारी स्थानीय ग्रामीणों को सौंप दी. हालांकि, जमींदार के परिजन दुर्गापूजा में भागीदारी निभाते रहे. कालांतर में यहां भव्य दुर्गा मंदिर का निर्माण किया गया. पूजा समिति के अध्यक्ष यदुनंदन पाठक व कार्यकारी अध्यक्ष सह मुखिया अमृत लाल पाठक ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग व डाक प्रथा के तहत प्रतिवर्ष भव्य तरीके से पूजा अर्चना हो रही है. इस बार डाक सुखदेव उर्फ सुखी पाठक ने लिया है. इधर, पूजा कमेटी के पदाधिकारी व सदस्य शांतिपूर्ण तरीके पूजा अर्चना कराने में जुटे हुए हैं.
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