Giridih News : जाति-पाति से ऊपर उठकर एकजुट हों : मां ज्ञान

Giridih News : श्री कबीर ज्ञान मंदिर में निर्वाण महोत्सव का समापन

By Prabhat Khabar News Desk | February 1, 2025 12:49 AM

Giridih News : सिहोडीह में स्थित श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित दो दिवसीय निर्वाण दिवस का समापन शुक्रवार को हुआ. सदगुरु विवेक साहब की पावन समाधि के पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इसमें गिरिडीह के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालु शामिल हुए. द्वितीय सत्र में गीता है महान जगत में नाटक का मंचन किया गया. इसमें गीता की अनबूझ पहेलियों को प्रस्तुत किया गया. गीता के मुख्य पात्रों का आधार लेकर आज के समाज को शिक्षा देने के लिए स्वयं मां ज्ञान ने उपदेश दिया.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन : सांस्कृतिक में बच्चों ने बच्चों ने भाव नृत्य प्रस्तुत किया. इसमें हिंदू जागृति से संबंधित जागो हिंदू जागो और गीता के ज्ञान को प्रतिष्ठित करने वाली गीता है महान जगत में नाट्य मंचन लोगों को मन मोह लिया.

गीता ज्ञान दर्पण खंड आठ का लोकार्पण :

इस अवसर पर सद्गुरु मां द्वारा लिखित श्रीमद् भागवत गीता भाष्य के आठवें खंड गीता ज्ञान दर्पण का लोकार्पण किया गया. बताया गया कि मां ज्ञान ने श्रीमद्भागवत गीता पर आठ खंडों में भाष्य लिखा है. गीता ज्ञान दर्पण बहुत ही सरल भाषा में लिखी गयी है. सद्गुरु मां ने कहा कि गीता अमृत तत्व से लबालब है. कहां-कहां से आये हैं लोग : आयोजन में गिरिडीह के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश व गुजरात से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आये थे. पूर्णिया, भागलपुर व अन्य स्थानों से संतों का भी आगमन हुआ.

किसने क्या कहा :

बाढ़ आश्रम बिहार के महंत परमानंद स्वामी ने कहा कि गिरिडीह की धरती पर सरकार प्रभु का पंचतत्व में विलीन होना यहां के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है. कहा कि सरकार प्रभु अद्वितीय संत रहे हैं. राजगीर के महंत श्री शिवशरण साहब जी ने कहा कि हम सभी बड़भागी हैं, जिन्हें सद्गुरु मां जैसे ज्ञानी संत का सत्संग सानिध्य मिला है. पूर्णिया के महंत जितेंद्र ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे श्री कबीर ज्ञान मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला है.

गुरु भक्ति से मिल सकता है सबकुछ :

मां ज्ञान ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब बड़भागी हैं, जिन्हें सरकार प्रभु जैसे संत का सानिध्य प्राप्त हुआ है. मैंने अपने गुरुदेव से क्या पाया, यह वाणी का विषय नहीं है. गुरु भक्ति वह सहज मार्ग है, जिसमें सफर करने से व्यक्ति मालामाल हो सकता है. बचपन से मुझमें भगवान श्री कृष्ण के प्रति असीम प्रेम और भक्ति रही है. ईश्वर की अनुकंपा से मुझे कबीर पंथ पर आना हुआ. अपने सनातन धर्म और राष्ट्र की सेवा से बढ़कर मुझे ना ईश्वर और ना ही मोक्ष की अभिलाषा है. यदि ईश्वर पुनर्जन्म देना चाहते हों तो उसे सहर्ष स्वीकार किया जायेगा, ताकि अधिक से अधिक जन व राष्ट्र कल्याण का काम किया जा सके. उन्होंने समस्त हिंदू समुदाय को जाति-पाति, धर्म-पंथ, मत व मजहब में नहीं बंटकर एकजुट होने का संदेश दिया.

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