आजादी से पहले स्थापित हुआ था चर्च, क्रिसमस को ले उत्साह का है माहौल, तैयारियां जोरों पर
प्रभु यीशु के जन्मदिन यानी क्रिसमस पर्व के आगमन में केवल तीन दिन शेष है. मसीही समुदाय में क्रिसमस को ले तैयारियां शुरू हो गयी है. गिरजाघरों के रंग-रोगन से लेकर अन्य तैयारियों के बीच जिले के सबसे पुराने चर्च के इतिहास व क्रिसमस की तैयारी पर पेश है रिपोर्ट.जिले के गांडेय प्रखंड अंतर्गत महेशमुंडा में आजादी के पूर्व से ही मिशनरीज संस्था की स्थापना हुई थी. रांची धर्मप्रांत के विशप पीयूष तिग्गा ने 1939 में महेशमुंडा में संत पीयूष चर्च की स्थापना की थी. महेशमुंडा में स्थापित मिशनरीज संस्था ने कालांतर में शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढ़ाया. वर्तमान में महेशमुंडा पूरे प्रखंड में एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो चुका है. यहां संत जॉन ब्रिटो मवि व उवि, निर्मला कन्या मवि व उवि समेत संत जोसेफ (इंग्लिश मीडियम) स्कूल संचालित है.
झोपड़ी में शुरू हुआ था चर्च
रांची धर्मप्रांत के विशप पीयूष तिग्गा के नेतृत्व में स्थापित महेशमुंडा चर्च स्थापना के समय झोपड़ीनुमा घर के रूप में था. कालांतर में यहां भव्य गिरजाघर का निर्माण हुआ. यहां न सिर्फ क्रिसमस वरन मसीही समुदाय से जुड़े सभी पर्व त्योहार में उत्सव का माहौल होता है. सबसे बड़ी बात है कि यहां प्रति दिन प्रार्थना सभा का आयोजन होता है और रविवार को विशेष मिसा पूजा का आयोजन किया जाता है.समाज व शिक्षा का विकास है मुख्य उद्देश्य : फादर मशिचरण
महेशमुंडा मिशन के फादर मशिचरण ने कहा कि मिशनरीज संस्था हमेशा प्रेम बांट कर शांति का संदेश देता है. हमारा प्रयास समाज के लोगों को शिक्षित व विकसित करना है. कहा कि महेशमुंडा मिशन के माध्यम से महेशमुंडा समेत खोरीमहुआ, तिलेबोनी, तिलैया, जमुआ आदि इलाके में भी स्कूल का संचालन कर रहा है. क्रिसमस पर संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु ने मानव समाज को प्रेम, दया और शांति का संदेश दिया है. हमें एक दूसरे के बीच खुशियां बांटने का कार्य करना चाहिए.(समशुल अंसारी, गांडेय)
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