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जलापूर्ति योजना की निर्माण एजेंसी शिल्पी कंस्ट्रक्शन पांच वर्षों के लिए ब्लैक लिस्टेड

जानकारी के अनुसार राज्य के कई जिलों में इस एजेंसी ने जलापूर्ति की कई योजनाओं के निर्माण के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग से करार किया है और अधिकांश योजनाओं में अनियमितता के साथ-साथ समय पर पूरा नहीं करने की शिकायतें हैं.

गिरिडीह.

जलापूर्ति योजना के निर्माण से जुड़ी एजेंसी मेसर्स शिल्पी कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने पांच वर्षों के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है. जानकारी के अनुसार राज्य के कई जिलों में इस एजेंसी ने जलापूर्ति की कई योजनाओं के निर्माण के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग से करार किया है और अधिकांश योजनाओं में अनियमितता के साथ-साथ समय पर पूरा नहीं करने की शिकायतें हैं. शिल्पी कंस्ट्रक्शन पर ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई रांची के टाटी सिलवे-महिलोंग ग्रामीण जलापूर्ति योजना के कार्य में गड़बड़ी के कारण की गयी है. बताया जा रहा है कि इस जलापूर्ति योजना के निर्माण के लिए एजेंसी के साथ 9 मार्च, 2019 को इकरारनामा किया गया था और योजना को 8 मार्च 2021 को पूर्ण करना था. लेकिन योजना की पूर्णता तिथि के तीन वर्ष बाद भी इसे पूरा नहीं किया जा सका. इस मामले को लेकर एजेंसी को कई बार चेतावनी भी दी गयी. लेकिन एजेंसी के कार्यशैली में किसी तरह का बदलाव नहीं आया और कई अनियमितताएं व शिकायत मिलने के बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मुख्य अभियंता ने एजेंसी को काली सूची में डालते हुए नियमानुसार कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया.

दूसरे संवेदक से कराया जा रहा था कार्य

कई तरह की शिकायतें मिलने के बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के क्षेत्रीय मुख्य अभियंता ने शिल्पी कंस्ट्रक्शन के टाटी सिलवे-महिलोंग ग्रामीण जलापूर्ति योजना की जांच कर कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी. इस आलोक में रांची के पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने एजेंसी के कार्यों का जांच-पड़ताल की. पाया कि संवेदक द्वारा इकरारनामा की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है. साथ ही विभागीय निर्देश के आलोक में कार्य का निष्पादन नहीं किया जा रहा है. जांच में यह भी पाया गया कि संवेदक अपना कार्य किसी दूसरे संवेदक से या किसी दूसरे व्यक्ति को बिना विभागीय आदेश से करवा रहा है.

पूर्व में भी एजेंसी के खिलाफ की गयी थी कार्रवाई

बता दें कि राज्य के कई जिलों में एजेंसी द्वारा जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जा रहा है. अधिकांश योजनाओं में गड़बड़ी और लापरवाही की शिकायतें मिल रही थी. गिरिडीह में भी एक योजना में लापरवाही बरतने के बाद एक साल के लिए एजेंसी को डी-बार किया गया था. इसके अलावे तेनुघाट की जलापूर्ति योजना में भी अनियमितता की शिकायत विभाग को मिली थी. बता दें कि रांची के टाटी सिलवे-महिलोंग ग्रामीण जलापूर्ति योजना की पूर्व में भी जांच की गयी थी और अनियमितता मिलने के बाद एजेंसी को कुछ दिनों के लिए निलंबित भी किया गया था. कार्यपालक अभियंता ने अपने जांच रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि निलंबित संवेदक के आचरण में किसी प्रकार की सुधार नहीं हुई और समय बीतने के अनुपात में भौतिक लक्ष्य भी प्राप्त नहीं किया जा सका.

समस्त कार्यों की जमानत राशि होगी जब्त

जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सीडीओ के मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह ने जहां मेसर्स शिल्पी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है. वहीं संवेदक के सभी श्रेणी में किये गये निबंधन को भी तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश जारी कर दिया है. इतना ही नहीं, संवेदक द्वारा कराये जा रहे सभी कार्यों को आदेश निर्गत की तिथि से बंद करते हुए समस्त कार्यों की जमानत राशि भी जब्त कर लेने का आदेश जारी किया है. बताया गया है कि अवशेष कार्यों को संपन्न कराने के लिए संबंधित क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंता आवश्यकतानुसार यथोचित कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे. इस मामले में विभागीय मंत्री का भी अनुमोदन ले लिया गया है.

ज्यादा राशि की निकासी हुई होगी तो होगी रिकवरी : कार्यपालक अभियंता

पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल दो के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल ने बताया कि विभाग ने मेसर्स शिल्पी कंस्ट्रक्शन को पांच साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है और निबंधन रद्द करते हुए कार्यों के निष्पादन पर रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि मेसर्स शिल्पी कंस्ट्रक्शन की कई शिकायतें मिल रही थी. कहा कि इस एजेंसी द्वारा कराये जा रहे सभी जलापूर्ति योजनाओं की मापी करायी जायेगी. यदि एजेंसी के द्वारा ज्यादा राशि की निकासी हुई होगी तो उसका रिकवरी भी किया जायेगा. श्री मंडल ने बताया कि योजनाओं में मोटी रकम जमानत के रूप में जमा है जिसे जब्त करने की कार्रवाई की जायेगी.

गिरिडीह में भी 119.02 करोड़ की योजनाओं के क्रियान्वयन का शिल्पी कंस्ट्रक्शन ने किया है करार

मेसर्स शिल्पी कंस्ट्रक्शन झारखंड राज्य में कई अरब की जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण कार्य करा रही है. लेकिन अधिकांश योजनाओं में लगातार अनियमितता की शिकायतें विभाग को मिल रही है. सिर्फ गिरिडीह जिले में इस एजेंसी ने 8 जलापूर्ति योजनाओं के क्रियान्वयन का करार किया है. इन योजनाओं की लागत लगभग 119.02 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. जिले में धनवार प्रखंड में गादी ग्रामीण जलापूर्ति योजना 1440.03 लाख की लागत से, जबकि इसी प्रखंड के मंझलाडीह ग्रामीण जलापूर्ति योजना 1256.04 लाख, बरजो ग्रामीण जलापूर्ति योजना 1383.78 लाख, बगोदर प्रखंड के औरा जलापूर्ति योजना 1330.61 लाख, इसी प्रखंड के बेको ग्रामीण जलापूर्ति योजना 1142.51 लाख, बगोदरडीह जलापूर्ति योजना 1216.00 लाख, डुमरी प्रखंड में कुलगो जलापूर्ति योजना 1563.00 लाख और गिरिडीह प्रखंड में गादी श्रीरामपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना 2570.51 लाख रुपये की लागत से बनाने का करार किया गया है. इन सभी योजनाओं का क्रियान्वयन आज तक पूर्ण नहीं हो पाया है और न ही इन योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ ग्रामीणों को मिल पा रहा है. बताया जा रहा है कि इन योजनाओं का भौतिक लक्ष्य भी समय के अनुसार पूर्ण नहीं हो पाया है. एजेंसी की लापरवाही के कारण कई बार एजेंसी को योजना पूर्ण करने के लिए समय विस्तार भी दिया गया है. लेकिन एजेंसी के कार्यशैली में अब तक कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है. धनवार के गादी ग्रामीण जलापूर्ति योजना में 95 प्रतिशत, बगोदर के बेको ग्रामीण जलापूर्ति योजना में 30 प्रतिशत, धनवार के मंझलाडीह ग्रामीण जलापूर्ति योजना में 15 प्रतिशत, धनवार के बरजो जलापूर्ति योजना में 31 प्रतिशत और बगोदर के औरा जलापूर्ति योजना में 60 प्रतिशत का भौतिक लक्ष्य पूरा हो पाया है. यानि जिले में इस एजेंसी द्वारा क्रियान्वयन की जा रही सभी जलापूर्ति योजनाएं अधूरी पड़ी हुई है.

(राकेश सिन्हा)B

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