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पीडीएस का दो क्विंटल अनाज खरीदने पर मूढ़ी बेचने वाले को जेल, 87 हजार क्विंटल की हेराफेरी पर चुपी

अधिकारियों के हैरतअंगेज कारनामे से इन दिनों गिरिडीह जिला सुर्खियों में है. वैसे कालाबाजारी का अनाज खरीद-बिक्री करना कानूनन अपराध है, लेकिन जब इसमें पक्षपात और दोहरा मापदंड होने लगे तो अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठना लाजिमी है.

एफसीआई गोदाम से एसएफसी गोदाम के लिए चला पीडीएस का अनाज रास्ते से हो गया है गायब, प्रशासन ने अब तक नहीं की है कोई कार्रवाई

राकेश सिन्हा, गिरिडीह.

अधिकारियों के हैरतअंगेज कारनामे से इन दिनों गिरिडीह जिला सुर्खियों में है. वैसे कालाबाजारी का अनाज खरीद-बिक्री करना कानूनन अपराध है, लेकिन जब इसमें पक्षपात और दोहरा मापदंड होने लगे तो अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठना लाजिमी है. मामला जमुआ प्रखंड का है. शुक्रवार की रात में कुछ ग्रामीणों ने एक बाइक पर दो क्विंटल अनाज ले जा रहे एक युवक को पकड़कर थाने को सौंपकर जमुआ के प्रभारी आपूर्ति पदाधिकारी सह बीडीओ को इसकी सूचना दी. इसके बाद यह खुलासा हुआ कि युवक किसी पीडीएस दुकान से अनाज खरीदकर ले जा रहा था. इस मामले में जमुआ के प्रभारी आपूर्ति पदाधिकारी कौशलेंद्र कुमार सिन्हा ने उस युवक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की और उसे जेल भेज दिया गया. चावल खरीदने वाला युवक सूरज कुमार साव जमुआ प्रखंड के बलगो गांव का रहने वाला है जो मूढ़ी (खजाड़ी) बेचता है. प्रधानमंत्री आवास योजना से इसे घर मिला है और लाल कार्डधारी भी है. परिवार आर्थिक तंगी के बीच किसी तरह गुजर-बसर कर रहा है. यहां गौरतलब बात यह है कि दो क्विंटल अनाज कालाबाजारी से खरीदने वाले गरीब युवक को जेल तो भेज दिया गया, लेकिन बेचने वाले डीलर के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है.प्रशासनिक जांच में 87000 क्विंटल अनाज मिला है गायब

हैरत की बात तो यह है कि एक ओर गिरिडीह जिले में 87000 क्विंटल अनाज की हेराफेरी करने के मामले में प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और चुप्पी साध रखी है, वहीं दूसरी ओर इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर प्राथमिकी कराया और फिर उसे जेल भेज दिया गया. 87000 क्विंटल अनाज हेराफेरी के मामले में एक-दूसरे को जिम्मेदार बताकर कालाबाजारी सिंडिकेट में शामिल अधिकारियों, संवेदकों और बिचौलियों को आज भी बचाया जा रहा है. बता दें कि एफसीआई के गोदामों से यह अनाज एसएफसी गोदाम के लिए चला था जो प्रखंडों के गोदामों में पहुंचा भी नहीं और रास्ते से गायब हो गया. इस हेराफेरी का खुलासा हुए डेढ़ साल से भी ज्यादा हो चुका है, पर इस अपराध में शामिल लोग अब तक सीना तानकर घूम रहे हैं. बलगो पंचायत के मुखिया के पुत्र रोहित दास कहते हैं कि एक संगठित गिरोह के माध्यम से गरीबों का अनाज लूटा जा रहा है. इस मामले में प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता. वहीं, कोई गरीब यदि अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज खरीद लिया तो बवाल हो गया. बताया कि सूरज उसके ही पंचायत का रहने वाला है. वह गरीब है. अपना और अपने परिवार के लोगों का पेट भरने के लिए मूढ़ी बेचता है. इसी के लिए उसने चावल खरीदा था. बताया कि वर्तमान में भी पीडीएस के दुकानों से गरीबों को अनाज नहीं मिल पा रहा है और डबल फिंगर लेकर सिंडिकेट के माध्यम से अनाज गायब कर दिया जाता है.

अनाज घोटाले को रफा-दफा करने की हो रही है कोशिशलगभग 26 करोड़ के बाजार मूल्य का लगभग 87000 क्विंटल अनाज की हेराफेरी करने के मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है और यही कारण है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा दोषी अधिकारियों, संवेदकों और बिचौलियों के विरिद्ध कार्रवाई करने में टाल-मटोल किया जा रहा है. बता दें कि जब दिशा की बैठक में केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पीडीएस के अनाज की कालाबाजारी का मामला उठाया तो डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कई कमेटियां गठित की और अनाज गोदाम का भौतिक सत्यापन कराया. इस भौतिक सत्यापन में इस बात का खुलासा हुआ कि 51635.85 क्विंटल चावल और 35354.83 क्विंटल गेहूं गायब है. अनाज एफसीआई गोदाम से चला, लेकिन पीडीएस डीलर के दुकान तक नहीं पहुंचा. इस खेल में एफसीआई के अनाज का उठाव करने वाला संवेदक के साथ-साथ डीएसडी के संवेदकों की मिलीभगत भी सामने आयी है. सच तो यह है कि एफसीआई गोदाम से अनाज लोड कर चला कई ट्रक आज तक एफसीआई के गोदाम में नहीं पहुंचा है और रास्ते से ही अनाज गायब भी हो गया. इस सिंडिकेट में शामिल लोग इसे बैकलॉग की संज्ञा देकर काफी समय तक मामले को टालते रहे, लेकिन जब आम गरीबों को अनाज नहीं मिलने लगा तो हो-हल्ला शुरू हुआ और पूरा मामला जांच के बाद सामने आ गया.डबल फिंगर लेकर किया जा रहा है गायब अनाज का एडजस्टमेंट

गौरतलब बात तो यह है कि घोटाले में शामिल लोगों को बचाने के लिए एक ओर जहां टालमटोल की जा रही है. वहीं तेजी से इस मामले को रफा-दफा करने के लिए सिंडिकेट में शामिल लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. डीलर के दुकान तक बिना अनाज पहुंचाये डबल फिंगर लेकर अनाज को एडजस्ट किया जा रहा है. इसके लिए अवधि विस्तार का खेल एक लंबे समय से किया जा रहा है. दो-दो माह के अनाज वितरण का फिंगर ई-पोश मशीन में लेकर एक माह का अनाज दिया जा रहा है और एक माह एडजस्ट कर दिया जा रहा है. बिरनी और जमुआ समेत चार प्रखंडों में एक लंबे समय से बैकलॉग बताकर कार्डधारियों को अनाज नहीं दिया जा रहा है. ई-पोश में बायोमैट्रिक फिंगर लेकर उन्हें शीघ्र ही अनाज देने का आश्वासन दिया जा रहा है.

भूलवश छूट जाने की बात लिखकर किया जा रहा है चालान की इंट्रीविभागीय सूत्रों की मानें तो घोटाले को रफा-दफा करने में कई तकनीकी अड़चन है. एक तो पीडीएस डीलर के दुकान से ई-पोश पर वितरण दिखाना जरूरी है, वहीं एफसीआई गोदामों में अनाज रिसिविंग भी दस्तावेज में दिखाना अनिवार्य है. जो अनाज एफसीआई के गोदाम से एसएफसी के लिए चला था, उस अनाज को अब रिसिव दिखाया जा रहा है. इसके लिए कई प्रखंडों के एसएफसी गोदाम के सहायक प्रबंधक को सेट किया गया है. ये गोदाम प्रबंधक भूलवश इंट्री छूटने की बात कहकर चलान रिसिव कर ले रहे हैं और इंट्री पंजी में इंट्री भी कर लिया जा रहा है.कई अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में

पूर्व में गरीबों के अनाज को गायब करने में कई अधिकारियों की भूमिका तो संदिग्ध रही ही है, लेकिन अब भी गायब अनाज के एडजस्टमेंट में कई अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में आ गयी है. बिना अनाज प्राप्त किये रिसिविंग दर्शाना और कार्डधारियों को अनाज दिये बिना डबल फिंगर ले लेने के खेल में कई अधिकारी शामिल हैं. इस खेल को अंजाम देने के लिए ऐसे अधिकारियों को बिचौलियों व संवेदकों के द्वारा अवैध रकम भी दी जा रही है.

13 करोड़ ट्रांसपोर्टेशन का बिल निकालने का भी हो रहा है प्रयासआश्चर्य की बात तो यह है कि जो अनाज एफसीआई के गोदाम में पहुंचा ही नहीं, उस अनाज की ढुलाई का बिल निकालने का भी प्रयास किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो 87000 क्विंटल अनाज की गड़बड़ी के खुलासे के बाद तत्कालीन ट्रांसपोर्टर तबियत खराब का बहाना बनाकर अवकाश पर चला गया है और अनाज ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी अब देवघर के ट्रांसपोर्टर के साथ टैग कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि पुराने ट्रांसपोर्टर द्वारा 13 करोड़ का बिल लेने के लिए गिरिडीह से रांची तक की दौड़ लगायी जा रही है. इसके लिए राज्य खाद्य निगम के कुछ अधिकारियों से भी सांठ-गांठ किया जा रहा है.सत्ता के गलियारे तक जुड़े हुए हैं घोटालेबाजों के तार : सुरेश साव

गिरिडीह जिले में लूट-खसोट के मामले को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेश साव ने कहा कि लूट-खसोट के खुलासे के बाद भी कार्रवाई नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे भ्रष्ट अधिकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही आम जनता में निराशा कायम होता जा रही है. कहा कि जो लोग घोटाले में शामिल हैं, उन घोटालेबाजों के तार सत्ता के गलियारे तक हैं. अगर ऐसा नहीं है तो सत्ता पक्ष के लोगों ने इतने दिनों से चुप्पी क्यों साध रखी है. बता दें कि प्रभात खबर में कई मामलों में दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर रविवार को खबर प्रकाशित होने के बाद श्री साव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. कहा कि बिचौलिया, माफिया, भ्रष्ट अधिकारी और सत्ता के लोग मिलकर गरीबों के हक को खा जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है और बाद में केंद्रीय एजेंसियां दोषियों के पीछे पड़ती हैं ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स कार्रवाई करती है तो इसे राजनीतिक साजिश बताकर आम जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की जाती है. श्री साव ने कहा कि उन्होंने पूर्व में भी सत्ताधारी दल के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी रहे सुदिव्य कुमार सोनू के कारनामों को उजागर करने का काम किया है. हाल के दिनों में जिन घोटालों का खुलासा किया गया है, वह गिरिडीह जिला से संबंधित है. गरीबों का 87 हजार क्विंटल अनाज लोग डकार गये. गलत तरीके से ग्रीन कार्ड को इस जिले में लाल कार्ड में बदलकर गरीबों का हक मार लिया गया. मनरेगा की योजनाओं में फर्जी बिल के जरिये राशि की निकासी कर ली गयी. टू व्हीलर की प्रीमियम पर सैकड़ों बसों के परिचालन का भी खुलासा हुआ. लेकिन विधायक श्री सोनू अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. उनकी यह चुप्पी रहस्यमय बनी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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