परेशानी. लगभग 15 फीट से ज्यादा गाद जमा, गाद के कारण डैम में विकसित नहीं हो रहा जलस्रोत
शहर की बड़ी आबादी को डैम से होती है जलापूर्तिगिरिडीह. खंडोली डैम गिरिडीह शहरी जीवन की लाइफलाइन है. इसे गिरिडीह शहरी जलापूर्ति की रीढ़ भी कहते हैं. इसके बावजूद डैम में लगभग 15 फीट गाद जमा हो जाने से गर्मी के दिनों में हमेशा जलस्तर घट जाता है. गाद की स्थिति विगत सात दशकों से बरकरार है. बता दें कि इन दिनों कड़ाके की गर्मी में खंडोली डैम का जलस्तर लगभग पांच फीट नीचे खिसक गया है. लिहाजा भयंकर गर्मी का प्रकोप इसी तरह से जारी रहा तो शहरी जलापूर्ति में संकट बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है. इसे देखते हुए सुचारू जलापूर्ति को लेकर लोगों को चिंता सताने लगी है.70 वर्षों से हो रही सफाई की मांग
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले करीब 70 सालों से डैम की सफाई नहीं की गई है. इस वजह से इसमें लगभग 15 फीट तक गाद जमा हो गयी है. इसके कारण गर्मी के दिनों में जलस्तर काफी नीचे गिर जाता है. बता दें कि गाद की सफाई को लेकर हमेशा मांग उठती रही है. लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सकता है. इस बात पर बल दिया जाता है कि डैम में गाद की सफाई व गहरीकरण से पर्याप्त मात्रा में जलश्रोत रहेगा और शहरवासियों को नियमित रूप से जलापूर्ति होती रहेगी. बताया जाता है कि गाद के कारण डैम में जलश्रोत विकसित नहीं हो पा रहा है. लिहाजा गर्मी के दिनों में परेशानी खड़ी होती है. गाद की सफाई के साथ-साथ इसके विस्तारीकरण को लेकर भी आवाज उठाया जाता रहा है.तेज गर्मी में पांच फीट खिसक गया जलस्तर, शहरी जलापूर्ति पर संकट बढ़ने की आशंका
इस बार गर्मी में डैम का जल स्तर लगभग पांच फीट नीचे चला गया है. ऐसे में शहरी जलापूर्ति में संकट बढ़ने के आसार व्यक्त किये जा रहे हैं. बता दें कि वर्ष 2019 में खंडोली डैम का जलस्तर काफी घट जाने पर गाद की सफाई के मामले को तत्कालीन वार्ड पार्षदों ने बोर्ड की बैठक में उठाया. इसी मांग के आलोक में तत्कालीन विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी ने उद्योगपतियों से वार्ता कर संसाधन उपलब्ध कराया और फिर कुछ दिन तक खंडोली डैम के किनारे से गाद की सफाई हुई. हालांकि चंद दिनों तक अभियान चलने के बाद बारिश शुरू होने की स्थिति में गाद सफाई का कार्य बंद कर दिया गया. इसी बीच श्री शाहाबादी के प्रयास से जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने भी यहां का निरीक्षण किया. लेकिन सरकारी स्तर पर गाद की सफाई शुरू नहीं हो पायी. इस दौरान राज्य की सरकार बदल गयी और श्री शाहाबादी भी विधानसभा चुनाव हार गये. लिहाजा गाद सफाई का मामला अधर में है. इस बार पुन: शहरवासियों द्वारा गाद की सफाई पर बल दिया जा रहा है. लोगों का कहना है कि प्रचंड गर्मी में जलसंकट विकट ना हो जाय, इससे पहले गाद की सफाई जरूरी है.सात दशक से खंडोली डैम पर निर्भर है शहरी क्षेत्र की बड़ी आबादी
जानकारों के मुताबिक लगभग एक किमी दायरे में फैले खंडोली डैम की गहराई लगभग 52 फीट है. यहां से जलापूर्ति बाधित होने पर शहरी क्षेत्र की बड़ी आबादी के बीच पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. बताया जाता है कि इसका निर्माण 1952 में शुरू हुआ और 1956 से जलापूर्ति शुरू हुई. शहरी क्षेत्र के कई हिस्सों में यहां से जलापूर्ति होती है. इस डैम से लगभग सवा लाख की आबादी लाभांवित होती है. खंडोली डैम से जलापूर्ति शुरू होने के बाद चैताडीह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व महादेव तालाब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्तित्व में आया और यहां से भी शहरी क्षेत्र में पानी आपूर्ति की जाने लगी. हालांकि शहरी क्षेत्र की एक बड़ी आबादी की निर्भरता को देखते हुए खंडोली में नया व पुराना दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया जिससे फिलहाल जलापूर्ति होती है.खंडोली डैम की गहरीकरण व गाद की सफाई जरूरी : शाहाबादी
भाजपा के पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी ने कहा कि खंडोली डैम की गहरीकरण एवं गाद की सफाई जरूरी है. इसको लेकर उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रयास किया था. सीएसआर के तहत कुछ उद्योगपतियों से संसाधन उपलब्ध करा गाद की सफाई शुरू करायी गयी थी. हालांकि कुछ कारणों से यह चंद दिनों में ही बंद हो गया. जलापूर्ति हेतु नये मोटर पंप उपलब्ध कराया गया था. उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्होंने विभागीय मंत्री तक इस मामले को पहुंचाया था. हालांकि इस दौरान राज्य में विस चुनाव हुआ और सरकार बदल गयी. कहा कि नई सरकार ने गाद सफाई को लेकर कोई पहल नहीं की. कहा कि खंडोली डैम में गाद जमता जा रहा है. यह पर्यटन स्थल भी है. लिहाजा शहरी जलापूर्ति में गतिशीलता आती रहे, इसके लिए नगर निगम को अपना दायित्व निभाते हुए डैम की सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है.जल संसाधन विभाग के अधीन है खंडोली डैम : अर्बन प्लानर
नगर निगम के अर्बन प्लानर मंजूर आलम ने बताया कि खंडोली डैम जल संसाधन विभाग के अधीन है. गाद की सफाई संबंधित विभाग को ही करना है. उन्होंने बताया कि इस गर्मी में खंडोली डैम का जलस्तर पांच फीट नीचे गया है. इससे शहरी जलापूर्ति में कोई असर नहीं पड़ेगा. कहा कि शहरी जलापूर्ति सुचारू है और सुचारू रूप से चलता रहेगा.समाजसेवी बीबी चौधरी ने मुख्यमंत्री का लिखा पत्र
गिरिडीह के समाजसेवी व अधिवक्ता भारतभानू चौधरी ने झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गाद की सफाई के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव दिया है. पत्र में उन्होंने बताया है कि डैम में गाद हो जाने से जलस्तर घटता जा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया है कि रांची के विवेकानंद सरोवर और कांके डैम की तरह खंडोली डैम में भी गाद की सफाई कराने की आवश्यकता है. हर वर्ष गर्मी के दिनों में जल संकट गहराने लगता है. 70 वर्षों से गिरिडीह शहर को जल आपूर्ति कर रहे इस डैम में भी पानी की किल्लत होने लगती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है