एक बेटा सरकारी नौकरी में, दूसरी बहू वार्ड सदस्य सह सहिया होने के बाद भी घर की महिला के नाम अबुआ आवास की स्वीकृति हो गयी. ग्राम सभा में मामला उठने के बाद भी बिना जांच के लाभुक के खाते में क्रमश: 30 व 50 हजार रुपये भेज भी दिये गये. मामला बड़कीटांड़ पंचायत के बंधाबाद गांव की है. जानकारी के अनुसार लाभुक राधिका देवी (पति स्व. रामधनी दास) के नाम अबुआ आवास की स्वीकृति हुई. उसके खाते में दो किस्त की राशि भी भेजी जा चुकी है. जबकि, लाभुक के पति सरकारी नौकरी में थे और उनकी मौत के बाद राधिका देवी (लाभुक) को पेंशन मिलने लगा. पिता के स्थान पर उसके बड़े बेटे टीप नारायण दास को नौकरी मिली. इतना ही नहीं लाभुक राधिका देवी की दूसरी बहू द्रौपदी देवी सहिया और वार्ड सदस्य भी है.
बड़े बेटे के साथ नहीं रहती है मां : द्रौपदी
इस संबंध में वार्ड सदस्य द्रौपदी देवी ने कहा कि ससुर की मौत के बाद भैंसुर को निघा कोलियरी में नौकरी मिली और सास को महज 409 रुपये पेंशन मिलती है. उसकी सास बड़े बेटे के साथ नहीं रहती है. मिट्टी व खपरैल घर होने के कारण उन्हें अबुआ आवास मिला है.मामला संज्ञान में आया है, जांच होगी : बीडीओ
बीडीओ निसात अंजुम ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. एक पुत्र सरकारी नौकरी में, बहू वार्ड सदस्य व लाभुक के पेंशनधारी होने पर किस आधार पर अबुआ आवास दिया गया है. यह जांच का विषय है. मामले की जांच कर मुखिया व पंचायत सचिव को शो-कॉज किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है