गावां प्रखंड में खेल मैदान की स्थित अच्छी नहीं होने के कारण खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लगभग सभी पंचायतों की स्थिति ऐसी ही है. प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मात्र खेल मैदान की स्थिति इस समय काफी दयनीय है. लंबे समय से मैदान के जिर्णोद्धार को लेकर खेल प्रेमियों द्वारा आवाज उठाई जाती रही है लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाया है. लगभग यही स्थिति पिहरा के गांधी मैदान की भी है. यहां भी खेल कूद के अलावा राजनैतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है लेकिन मैदान की स्थिति काफी खराब है. यहां बनवाया गया गार्डवाल ध्वस्त होता जा रहा है. खरसान, गदर, माल्डा मंझने, बिरने आदि स्थानों में भी खेल मैदान की स्थिति बहुत खराब है.
चोरों व असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़ गया करोड़ों की लागत से बना मैदान
विभाग के द्वारा प्रखंड मुख्यालय से चार किमी की दूरी पर डाबर में करोड़ों की लागत से खेल मैदान का निर्माण करवाया गया था लेकिन यह बेकार साबित हो रहा है. उक्त मैदान से लगभग सभी महंगे उपकरणों, खेल सामग्री, कमरों के दरवाजे, पंखा, नल व एलबेस्टर पर चोरों ने हाथ साफ कर लिया है वहीं पुरी बाउंड्री व परिसर को तहस नहस कर दिया गया है. इस समय प्रखंड में खेल मैदान के नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं लोग व जनप्रतिनिधि
प्रखंड में खेल मैदान की अच्छी स्थिति नहीं होने से खिलाड़ियों को परेशानी होती है. कम से कम प्रखंड मुख्यालय में एक संसाधन युक्त मैदान होना चाहिए जहां प्रखंडस्तरिय खेलकूद व अन्य कार्यक्रमों के आयोजन में सहुलियत होगी. – कन्हाय राम ,मुखिया गावांखेल मैदान की स्थिति अच्छी नहीं होने से खेल कार्यक्रमों के आयोजन में परेशानी होती है. कई बार मामले को ले आवेदन भी दिया गया लेकिन इस दिशा में पहल नहीं हो पाया. क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में विशेष पहल करनी चाहिए – अमित कुमार गुप्ता, मुखिया पिहरा पश्चिमी
प्रखंड के किसी भी पंचायत में ऐसा मैदान नहीं है जहां बड़े खेल का आयोजन किया जा सके. मैदान के उबड़खाबड़ होने से काफी परेशानी होती है. एक मैदान का निर्माण हुआ भी तो वह भी मुख्यालय से दूर करवा दिया गया. वह मैदान भी अब खेलने के लायक नहीं रह गया है. – जितु सिंह, खिलाड़ीपिहरा पूर्वी व पश्चिमी पंचायत के लिए मात्र एक ही मैदान है जो काफी उपेक्षित है. यहां विभिन्न विद्यालयों द्वारा आयोजित वार्षिक खेल कूद आदि का भी आयोजन होता है लेकिन परिसर में बालू-कंकड़ के रहने से काफी परेशानी होती है. इस दिशा में वरिय पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए. – पप्पु यादव, सामाजिक कार्यकर्ताI
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