10 फरवरी को सभी आगंनबाडी केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र पर दी जायेगी खुराक
25 फरवरी तक घर-घर चलेगा अभियान
भारत सरकार ने वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है. राज्य में कुल 14 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में एमडीए कार्यक्रम चलाया जा रहा है. गिरिडीह जिला के बगोदर, जमुआ, पीरटांड़ व देवरी को छोड़ अन्य सभी प्रखंडों में एमडीए कार्यक्रम 10 से 25 फरवरी तक चलेगा. उक्त जानकारी सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने शनिवार को प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत लक्षित लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलायी जायेगी. दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिला, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को दवा नहीं दी जायेगी. दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है. सीएस डॉ मिश्रा ने कहा कि गिरिडीह जिला के कुल 17,96,517 व्यक्तियों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. 10 फरवरी को सभी आगंनबाड़ी केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र पर डीइसी एवं अल्बेंडाजोल की एकल खुराक खिलायी जायेगी. शेष बचे हुए व्यक्तियों को 11 से 25 फरवरी तक सहिया, सेविका व वोलेंटियर (दवा प्रशासक) घर-घर जाकर दवा खिलायेंगे. जिले में कुल 1755 बूथ बनाये गये हैं, जिसमें 3510 लोग दवा खिलायेंगे. प्रखंड स्तर पर 342 व जिला स्तर से पर्यवेक्षक नियुक्त किये गये हैं. साइड इफेक्ट से निपटने के लिए जिला व प्रखंड स्तर पर आरआरटी टीम का गठन किया गया है. सीएस ने प्रखंड के लोगों से दवा खाने की अपील की. कहा कि दवा पूरी तरह सुरक्षित है. दवा सेवन करते हुए अपने गांवों एवं प्रखंड को फाइलेरिया मुक्त बनायें.मादा क्यूलेक्स नामक मच्छर काटने से होती है बीमारीडॉ एसपी मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है, जिससे हाथी पांव या हाइड्रोसील होने का खतरा होता है. यह बीमारी मादा क्यूलेक्स नामक मच्छर काटने से होती है. संक्रमण के शुरू में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है. संक्रमण के कुछ सालों के बाद बुखार रहने लगता है. कुछ वर्षों के बाद दर्द व पैरो में सूजन आने लगती है. इस बीमारी का ठीक से उपचार नहीं होने पर सूजन स्थायी हो जाता है. फाइलेरिया बीमारी को स्थानीय भाषा में हाथीपांव कहा जाता है. इस बीमारी से बचाव हेतु वर्ष में एक बार मास ड्रग एडगिशट्रेशन कार्यक्रम (एमडीए) के तहत फाइलेरिया रोगी दवा की एकल खुराक लेनी आवश्यक है. यदि सभी व्यक्तियों को डीइसी व अल्बेंडाजोल गोली की एक खुराक वर्ष में एक बार खिलायी जाये तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इससे हम अपने अगली पीढ़ी के बच्चों में इस बीमारी से बचा सकते हैं.
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