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Giridih News : प्रबंधन के विवाद में 700 छात्रों का भविष्य दांव पर

Giridih News : केआइटी फिर बंद : एआइसीटीई से 2025-26 के लिए विस्तार अनुमोदन लेने की अंतिम तिथि दो फरवरी

Giridih News : केआइटी में प्रबंधन को लेकर चल रहे विवाद के कारण एक बार फिर यहां के छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है. पिछले 21 जनवरी को शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों ने वेतन का आश्वासन मिलने के बाद शिक्षण कार्य शुरू किया था, लेकिन वेतन नहीं मिलने के कारण फिर से कॉलेज बंद हो गया है. शुक्रवार को लगभग किसी भी फैकल्टी के शिक्षक कॉलेज नहीं पहुंचे. इसके कारण छात्र भी लौट गये. इस बाबत कॉलेज के शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ-साथ प्रभारी प्रिंसिपल ने गिरिडीह के एसडीओ को पत्र सौंपा है. कहा है कि वह वेतन नहीं मिलने के कारण कॉलेज आने में और शिक्षण कार्य जारी रखने में असमर्थ हैं. बता दें कि पूर्व में भी केआइटी के प्रबंधन को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद एसडीएम कोर्ट के आदेश से केआइटी की चल अचल संपत्ति को कुर्क करते हुए बेंगाबाद के सीओ को रिसीवर बहाल कर दिया गया. उस वक्त एक जून 2020 को तत्कालीन सीओ ने कॉलेज प्रबंधन को अपने हाथों में लिया था. इधर, झारखंड हाइकोर्ट ने 10 सितंबर, 2024 को एसडीएम कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसके आलोक में केआइटी के चल अचल संपत्ति को कुर्क किया गया था. इसके बाद से कॉलेज के संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाये, इसे लेकर प्रशासन असमंजस में है.

चार माह से नहीं मिला है वेतन :

इधर कॉलेज के शिक्षक गिरिश कुमार भगत, रविकांत सिंह, इरफान अंसारी, शिवशंकर विश्वकर्मा समेत कई शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें चार महीने से वेतन नहीं मिल पाया है और सबों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है. जीविकोपार्जन में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा रहा है. इस संबंध में शिक्षकों ने केआईटी के प्रभारी प्रिंसिपल को भी पत्र सौंपते हुए 30 जनवरी से कॉलेज नहीं आने की बात कही है.

फैकल्टी के नहीं आने के कारण कॉलेज बंद :

केआईटी के प्रभारी प्रिंसिपिल प्रदीप कुमार सिन्हा ने बताया कि 30 जनवरी यानि शुक्रवार से शिक्षकों ने आना बंद कर दिया है. कई शिक्षकों ने केआईटी से इस्तीफा देने की भी चेतावनी दी है. शिक्षकों का कहना है कि जब वेतन नहीं मिलेगा तो वे किन परिस्थितियों में पढ़ाई जारी रखेंगे. श्री सिन्हा ने कहा कि फेकल्टी के नहीं आने के कारण कॉलेज को बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले से एसडीओ को भी अवगत करा दिया गया है.

एबीवीपी ने बनायी आंदोलन की रणनीति : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक उज्ज्वल तिवारी ने कहा कि कुछ छात्रों ने कॉलेज बंद होने की सूचना दी है. उन्होंने कहा कि फरवरी में ही कई छात्रों का परीक्षा होना है. ऐसे में शिक्षण कार्य बाधित होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रशासन को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए. बताया कि शीघ्र ही छात्रों के साथ बैठक कर आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी.

विस्तार अनुमोदन नहीं मिला तो कॉलेज हो जायेगा बंद :

इधर एआइसीटीई ने विस्तार अनुमोदन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. एआइसीटीइ के अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2025-26 के लिए विस्तार अनुमोदन की अंतिम तिथि दो फरवरी है. यदि कॉलेज का अनुमोदन विस्तार नहीं लिया गया तो इससे जहां एक ओर नये सत्र में पढ़ने वाले लोगों का नामांकन नहीं हो सकेगा, वहीं दूसरी ओर परीक्षा देने वाले लगभग सात सौ छात्रों का भी भविष्य दाव पर लग जायेगा. इतना ही नहीं, झारखंड प्रोद्योगिकी विश्व विद्यालय ने भी परीक्षा फार्म भरने की तिथि जारी कर दी है. 30 जनवरी से 05 फरवरी, 2025 तक आवेदन पत्र भरने की तिथि निर्धारित की गयी है, वहीं विलंब शुल्क के साथ 06 फरवरी से 08 फरवरी, 2025 तक आवेदन लिये जायेंगे. परीक्षा फरवरी माह के ही अंतिम सप्ताह में लेने की संभावना विश्व विद्यालय द्वारा व्यक्त की गयी है.

बैंक खाता सौंपे प्रशासन : सचिन

– इधर, विवेकानंद एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिन कुमार सिंह ने दावा किया है कि वे अध्यक्ष हैं और जिला प्रशासन बैंक खाता उन्हें सौंपे, ताकि वेतन आदि का भुगतान किया जा सके. बताया कि एसडीएम के आदेश पर केआईजी का बैंक खाता पंजाब नेशनल बैंक में खुलवाया गया था जिसका संचालन केआइटी की रिसीवर रही बेंगाबाद की सीओ और प्रिंसिपल के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा था. अब हाईकोर्ट ने एसडीएम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है. इसलिए बैंक खाता ट्रस्ट को सौंप दी जाये. बताया कि इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन को भी पत्र लिखा है. श्री सिंह ने कहा कि अरविंद कुमार ने गलत तरीके से संबंधियों को ट्रस्टी बना दिया है.

रिसीवर ने संस्थान मुझसे लिया, मुझे सौंपे : अरविंद –

वहीं विवेकानंद एजुकेशनल चैरीटेबल ट्रस्ट के अरविंद कुमार का कहना है कि सचिन कुमार सिंह प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं. 2018 में ट्रस्टी से हटाये जाने के बाद से सचिन और आशुतोष ट्रस्ट के सदस्य तक नहीं हैं. एसआईसीटीई, जेयूटी, आयकर विभाग, ईपीएफ और इएसआई में अध्यक्ष की हैसियत से वे मामले की देखरेख कर रहे हैं. कहा कि एसडीएम कोर्ट के आदेश से रिसिवर ने मुझसे संस्थान हैंडओवर लिया. अब जब हाईकोर्ट ने एसडीएम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया तो मुझे संस्थान सौंपा जाना चाहिए. अरविंद ने कहा कि जहां तक सवाल है सचिन और आशुतोष की तो वे लोग टाइटल शूट में भी बैंक खाता को अपने पक्ष में संचालन के लिए इंजक्शन पिटीशन में अनुरोध किया था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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