दोषी व भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने से सरकार की छवि हो रही धूमिल

जिले में विभिन्न योजनाओं व कई विभागों में लूट-खसोट व गड़बड़ी के खुलासे के बाद भी दोषी और भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं किये जाने से जहां ऐसे अधिकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2024 12:13 AM

गिरिडीह जिले में कई विभागों में जारी है लूट-खसोट, मनमानी पर नहीं लग पा रहा है अंकुश

राकेश सिन्हा, गिरिडीह.

जिले में विभिन्न योजनाओं व कई विभागों में लूट-खसोट व गड़बड़ी के खुलासे के बाद भी दोषी और भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं किये जाने से जहां ऐसे अधिकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है. गौरतलब है कि गिरिडीह जिले में कई अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायत के बाद जांच की गयी और जांच रिपोर्ट आने के बाद उनके खिलाफ प्रपत्र क गठित कर संबंधित विभाग को भी अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा गया, लेकिन एक भी अधिकारी के विरुद्ध अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. बता दें कि गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने जांच के बाद पीडीएस लाइसेंस निर्गत करने के मामले में दोषी पाये जाने पर तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी डॉ सुदेश कुमार, हरा कार्ड को लाल कार्ड में बदलने के मामले में दोषी पाये जाने पर तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी गौतम भगत, धान क्रय के मामले में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार समेत सरिया के एक अंचलाधिकारी के विरुद्ध प्रपत्र क गठित कर विभाग को भेजा है. लेकिन, पिछले एक साल से इन लोगों की संचिका दबी पड़ी है. वहीं गिरिडीह जिले के अलग-अलग योजनाओं में फर्जीवाड़ा किये जाने के बाद भी संबंधित लोगों के खिलाफ अब-तक प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गयी है. ऐसे में कई जिम्मेदार लोगों के कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे है.

केस स्टडी-एक

पीडीएस का 87 हजार क्विंटल अनाज की हेराफेरी

गिरिडीह जिले के कई प्रखंडों में पीडीएस अनाज के वितरण में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद उपायुक्त के द्वारा गठित जांच कमेटी ने खुलासा किया कि जिले में 27 हजार क्विंटल अनाज की हेराफेरी की गयी है. जिसकी लागत बाजार मूल्य के अनुसार 26 करोड़ रूपया है. इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की अनुसंशा करते हुए डीसी ने विभाग को पत्र भी लिखा है. विभाग के अधिकारी भी जांच कर चले गये है. लेकिन, सूत्रों का कहना है कि अनाज के माफिया के दबाव में संचिका को ही फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला प्रशासन के स्तर से भी अब-तक इस घोटाले के खुलासे के बाद भी दोषी संवेदकों के विरूद्ध प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गयी है.

केस स्टडी- दो

208 पीडीएस लाइसेंस निर्गत करने में की गयी धांधली

झारखंड हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में हुई जांच में पीडीएस लाइसेंस निर्गत करने के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए. इस खुलासे के बाद विभाग ने अवैध तरीके से जारी किये गये 208 पीडीएस लाइसेंस को रद्द तो कर दिया गया. परंतु, अभी तक पीडीएस लाइसेंस निर्गत करने में शामिल तत्कालीन प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारियों के साथ-साथ जिला आपूर्ति पदाधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि, आवेदक के बिना हस्ताक्षर किये, बिना शुल्क जमा कराये, बिना आवेदन भरे ही दर्जनों लोगों को पीडीएस लाइसेंस थमा दिया गया. इस मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गयी है.

केस स्टडी-तीन

मनरेगा की योजनाओं में फर्जी बिल के जरिये कर ली निकासी

फर्जी मास्टर रोल व मापी पुस्तिका में गड़बड़ी कर मनरेगा की योजनाओं में फर्जी तरीके से राशि की निकासी के मामले में मनरेगा से जुड़े कुछ छोटे अधिकारियों का जिले में ही दूसरे प्रखंडों में स्थानांतरण कर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति तो कर दी गयी है, लेकिन इस मामले में अब तक दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. उपायुक्त के निर्देश पर मंगरोडीह पंचायत की योजनाओं की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी किये जाने की पुष्टि हुई. कई को शो-कॉज भी किया गया पर कार्रवाई की संचिका दबी हुई है. पांच के स्थान पर 118 पशु शेङ दिखाया गया वहीं फर्जी डोंगल से लगभग 71 लाख रूपये की निकासी कर ली गयी. इस मामले पर विभाग चुप्पी साधे हुए है.

केस स्टड-चार

ग्रीन कार्ड को अवैध तरीके से बदल दिया गया लाल कार्ड में

गिरिडीह जिले में 2577 ग्रीन राशन कार्ड को गलत तरीके से लाल कार्ड में कन्वर्ट कर दिये जाने के मामले में दो-तीन छोटे कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई तो कर दी गयी, लेकिन बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा के बाद भी सरकार के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि इस मामले में साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर विभागीय अधिकारियों के द्वारा गुमराह करने की भी कोशिश की गयी है, जबकि तत्कालीन डीएसओ के पासवर्ड से पोर्टल को खोलकर कार्ड की हेराफेरी की गयी. इस मामले में संबंधित कार्डधारियों से एक-एक कार्ड के लिए 1500 से 2000 तक की अवैध वसूली की गयी थी. जांच में खुलासा भी हुआ पर कई अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई है.

केस स्टडी-पांच

फर्जी बिल अपलोड कर आयुष्मान योजना की निकाल ली राशि

जांच के बाद 18 लोगों का फर्जी पैथोलॉजिकल रिपोर्ट अपलोड कर आयुष्मान भारत की योजना में राशि निकालने के मामले में विभाग ने चुप्पी साध ली है. बता दें कि गिरिडीह के बरमसिया में स्थित श्री विश्वनाथ नर्सिंग होम के द्वारा यह फर्जीवाड़ा किया गया था. इस मामले में लगभग दो वर्ष पूर्व ही बीमा कंपनी ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा व परिवार कल्याण विभाग झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी को विस्तृत रिपोर्ट देते हुए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था. लेकिन फर्जीवाड़ा के बाद भी इस मामले में अब-तक दोषी लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है.

केस स्टडी-छह

टू व्हीलर की प्रीमियम पर हो गया बस का बीमा

गिरिडीह में सम्राट बस के दुर्घटना के बाद हुई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि टू व्हीलर का प्रीमियम देकर वर्षो से बसों का संचालन किया जा रहा है. इस मामले में जिला प्रशासन ने दुर्घटना की सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करा कर चुप्पी साध ली है, जबकि कानून विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गलत तरीके से बीमा कराये जाने के कारण सम्राट बस की दुर्घटना में मरे गये लोगों के परिजनों को बीमा की राशि नहीं मिल पायेगी. यह भी खुलासा हुआ है कि इस तरह की गड़बड़ी गिरिडीह जिले के साथ-साथ राज्य के विभिन्न जिलों में हुई है. उच्च स्तरीय जांच हो तो बङे खुलासा का पर्दाफाश होगा.

केस स्टडी-सात

बेंच-डेस्क क्रय में मनमानी, हड़प ली राशि

गिरिडीह जिले में 900 स्कूलों के लिए 18 हजार बेंच-डेस्क की आपूर्ति में की गयी गड़बड़ी की संचिका अब-तक दबी हुई है. कई स्तरों पर हुई जांच में इस बात का खुलासा हो चुका है कि फर्जी विपत्र देकर राशि की बंदरबांट कर ली गयी है. बावजूद इस घोटाले में शामिल लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बता दें कि गिरिडीह जिले में नौ करोड़ की बेंच-डेस्क की खरीदारी में अनियमितता उजागर हुए आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है.

पूरे मामले से सरकार को करायेंगें अवगत : इंडिया गठबंधन

इंडिया गठबंधन में शामिल झामुमो के जिलाध्यक्ष और जिला बीस सूत्री के उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि गिरिडीह जिले में अब-तक जो भी गड़बड़ी हुई है, उससे वह सरकार के साथ-साथ विधायक कल्पना सोरेन को भी अगवत करायेंगें. कहा कि भ्रष्ट और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं किये जाने से सरकार की छवि पर असर पड़ता है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. जिन अधिकारियों ने जिले में लूट-खसोट मचायी है, उनके विरुद्ध जरूर कार्रवाई होगी. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश सचिव अजय कुमार सिन्हा उर्फ मंटू ने कहा कि दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में सरकार के स्तर पर शिथिलता बरती गयी है. कहीं न कहीं से ऐसे लोगों को संरक्षण मिल रहा है. कहा कि अनाज घोटाला हो या फर्जी बिल जमा कर आयुष्मान भारत योजना की राशि निकाल कर डकारने का मामला हो, या मनरेगा की योजनाओं में फर्जी तरीके से राशि निकासी कर उसे हड़प जाने का मामला. इस करतूत में शामिल अधिकारी अब तक बचते रहे हैं. भाजपाई मानसिकता के अधिकारियों द्वारा सरकार को एक साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है. कहा कि अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है. सरकार को अब भी भ्रष्ट व दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जांच कर कार्रवाई और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए.

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