सूरज सिन्हा, गिरिडीह गर्मी शुरू होते ही जलस्तर नीचे चले जाने से जलसंकट गहराने लगा है. खासकर जिन इलाकों में चापाकल खराब पड़ा हुआ है, वहां के लोगों को पानी के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. ऐसी स्थिति में शहरी क्षेत्र में खराब चापाकलों की मरम्मत की मांग तेज हो गयी है. जानकारी के मुताबिक नगर निगम क्षेत्र में 36 वार्ड है. लगभग प्रत्येक वार्डों में चार-पांच की संख्या में चापाकल खराब पड़े हैं. इससे लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. सूत्रों के मुताबिक वार्ड नंबर 3, 4, 14, 25, 17, 18, 33, 34, 36 समेत कई अन्य वार्डों में कई चापाकल खराब पड़े हुए हैं. बताया जाता है कि वार्ड नंबर 36 में पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है. इस वजह से चापाकल खराब पड़े है. यहां पर लगातार डीप बोरिंग की मांग की जा रही है. परंतु इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने के कारण पानी की समस्या बरकरार है.
विभिन्न वार्ड पार्षदों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में लगभग दो सौ के आसपास चापाकल खराब पड़े है. कुछ पार्षदों की शिकायत है कि खराब चापाकल बनाने के नाम पर महज खानापूरी की जाती है. पुराना सामान पुन: लगा दिये जाने के कारण चंद दिनों में ही यह खराब हो जाता है. कहा जाता है कि जिस संवेदक को चापाकलों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी दी गयी है उसकी कार्यशैली पर हमेशा सवाल उठता रहा है. सूत्रों का कहना है कि अभी गर्मी की शुरुआत है. अगर व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गयी तो प्रचंड गर्मी में पानी की समस्या और गंभीर हो सकती है. इधर नगर निगम से प्राप्त आंकड़ा के मुताबिक तीस वार्डों में चापाकलों की संख्या 942 है. शेष छह वार्डों में पीएचइडी द्वारा पूर्व में चापाकल लगाया गया है जिसकी संख्या लगभग डेढ़ सौ के आसपास है.
निगम बनने के बाद पंचायत का स्वरूप वार्ड में तो अवश्य तब्दील हो गया. परंतु पीएचइडी द्वारा इन वार्डों में पूर्व में अधिष्ठापित चापाकल निगम को हैंडओवर नहीं किया गया है. इसके बावजूद शिकायत मिलने पर निगम द्वारा उक्त स्थानों के खराब चापाकलों की मरम्मत कराने की बात कही जा रही है. खराब चापाकलों की मररमत की मांग तेज :वार्ड पार्षदों ने खराब चापाकलों की मरम्मत कराने की मांग की है. इस संबंध में वार्ड नंबर तीन की पार्षद रानी देवी ने बताया कि उनके वार्ड में लगभग आठ चापाकल खराब पड़े है. पिछले दिनों स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया था कि चापाकल मरम्मत में नयी पाइप को जोड़ना है. लेकिन संवेदक द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. संवेदक की लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. वार्ड नंबर 18 की पार्षद सरिता श्रीवास्तव ने कहा कि उनके वार्ड में चार चापाकल खराब है.
शिकायत करने के बाद भी बेहतर तरीके से मरम्मत का काम नहीं किया जाता है. नये पार्ट नहीं लगाये जाने के कारण मरम्मत के चंद दिनों के बाद पुन: चापाकल खराब हो जाता है. वार्ड नंबर 33 की पार्षद जरीना खातून का कहना है कि उनके वार्ड में 5-6 चापाकल खराब पड़े है. पानी को लेकर लोगों को परेशानी हो रही है. निगम से खराब चापाकलों की मरम्मत की मांग की गयी है. वार्ड नंबर 34 के पार्षद सहबाज अहमद ने बताया कि उनके वार्ड में एक चापाकल खराब पड़ा है. वार्ड नंबर चार के पार्षद मुजतबा मिर्जा का कहना है कि वार्ड में 6-7 चापाकल काफी दिनों से खराब है. निगम से इसकी शिकायत कर मरम्मत की मांग की गयी है. वार्ड नंबर 14 की पार्षद नीलम झा ने बताया कि उनके वार्ड में लगभग छह चापाकल खराब है. इस दिशा में विभाग को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. वार्ड नंबर 36 के पार्षद पप्पू रजक का कहना है कि उनके वार्ड में लगभग सात चापाकल खराब है.
पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. निगम से डीप बोरिंग कराने की मांग की गयी है. वार्ड नंबर 17 की पार्षद आरती देवी का कहना है कि उनके वार्ड में तीन चापाकल खराब है. निगम को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है. ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके. शिकायत पर द्रुत गति से हो रहा मरम्मत कार्य : आयुक्त चित्र परिचय : 34. नगर आयुक्त अनिल कुमार रायनगर आयुक्त अनिल कुमार राय ने बताया कि शहरी क्षेत्र में खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत के लिए शिकायत कोषांग का गठन किया गया है. कोई भी व्यक्ति यहां पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. वार्ड पार्षदों के अलावा आम लोगों की शिकायत को अंकित कर तुरंत कदम उठाया जायेगा है. उन्होंने बताया कि शिकायत पर द्रुत गति से चापाकलों की मरम्मत का काम हो रहा है. इसके लिए मेसर्स स्वाति इंडस्ट्रीज को सख्त निर्देश भी दिया गया है. कहा कि जिन वार्डों में चापाकल खराब है वहां पर शीघ्र मरम्मत कराने का आदेश दिया जायेगा.
श्री राय ने कहा कि गर्मी में पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त रखने का भरसक प्रयास किया जा रहा है. मेसर्स स्वाति इंडस्ट्रीज को मिला है मरम्मत का काम :नगर निगम क्षेत्र में चापाकलों की मरम्मत का कार्य मेसर्स स्वाति इंडस्ट्रीज को मिला है. सूत्रों के मुताबिक एक वर्ष की मरम्मत कार्य के लिए उक्त कंपनी को विभाग द्वारा लगभग 59 लाख भुगतान किया जाता है. बताया गया कि संबंधित कंपनी का कार्य तमाम वार्डों में खराब पड़े चापाकलों को दुरुस्त करने का है. हालांकि, इस कार्य में वार्ड पार्षदों द्वारा लगातार कोताही बरतने का भी आरोप लगाया जाता है.