खेती-किसानी. आलू-प्याज समेत हरी सब्जी औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं किसान
खेती पर आधारित हैं 90 प्रतिशत किसान, सुविधा के अभाव में नहीं मिलता है उचित मूल्यबिरनी. बिरनी व आसपास में कोल्ड स्टोर नहीं रहने के कारण किसानों में मायूसी और आक्रोश है. कोल्ड स्टोर के अभाव में किसान अपनी फसल को बचा कर नहीं रख सकते हैं. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. बिरनी प्रखंड के 90 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित हैं. इसके बावजूद किसानों के दर्द को किसी ने नहीं समझा. किसान जी तोड़ मजदूरी मेहनत व काफी पूंजी खर्च कर आलू, प्याज समेत अन्य फसलों उगाते हैं, लेकिन रख-रखाव नहीं रहने के कारण किसान औने-पौने दाम पर फसलों को बाजार में बेचना पड़ता है. कोल्ड स्टोर हजारीबाग जिला के बरही में है, जो यहां काफी दूर है. दूर रहने के कारण उसका लाभ किसान नहीं उठा पाते हैं.किसानों का दर्द
बिरनी प्रखंड की बरहमसिया पंचायत के टाटो, खरटी गांव में काफी मात्रा में आलू, प्याज समेत अन्य फसलों की खेती किसान करते हैं. रख-रखाव नहीं रहने के कारण आलू, प्याज सड़ने व सूखने लगता है. इस के डर से वह औने-पौने दाम पर आलू-प्याज बेच देते हैं. इससे लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है. जप्रतिनिधि आसपास में कोल्ट स्टोर बनाने की पहल करें.महेश वर्मा
किसानों के हित की बात सभी जनप्रतिनिधि करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा किसान ठगे जाते हैं. बिरनी में आलू-प्याज की काफी उपज होती है. लेकिन, रखने की व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोग कम दर पर आलू-प्याज को बेच देते हैं. इससे काफी नुकसान होता है. बाद में किसानों को ऊंची दरों पर आलू-प्याज खरीदना पड़ता है. बिरनी में कोल्ड स्टोर होता तो किसानों को सुविधा होती.सुरेंद्र यादव
पड़रिया में काफी मात्रा में सभी प्रकार की सब्जी की खेती की जाती है. लेकिन, बिक्री नहीं होने व बर्बादी के डर से अब सीमित खेती करते है. कोल्ड स्टोर रहता तो हमलोग ज्यादा से ज्यादा फसल आलू, टमाटर, तरबूज, भिंडी, प्याज, मिर्च आदि खी फसल सुरक्षित रख पाते. इससे उन्हें उचित मूल्य मिल पाता. कहा कि किसानों के हित को देखते हुए कोल्ड स्टोर का होना बहुत ही जरूरी है.चंद्रशेखर साव
कोल्ड स्टोर बिरनी में बहुत ही जरूरी है. कोल्ड स्टोर रहने के बाद किसान जब चाहे उपज फसल को रख सकते हैं और जब चाहे बेच सकते हैं. कोल्ड स्टोर नहीं रहने से किसानों को काफी दिक्कत होती है. किसान फसल को सड़ने के डर से कम दर पर बेचने को मजबूर रहते हैं. इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है. संबंधित विभाग इस पर पहल करे.बिनोद साव
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