गिरिडीह में नहीं है लॉ कॉलेज, अन्य शहरों का रुख करना मजबूरी

Giridih News :शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में लॉ कॉलेज की बढ़ती मांग एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हाल के दिनों में कानूनी जागरूकता में वृद्धि, न्यायपालिका में कैरियर की संभावनाएं, व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि, समाज में कानूनी ज्ञान की आवश्यकता एवं शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार की वजहों से विद्यार्थियों में लॉ करने का रुझान बढ़ा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 11, 2024 11:27 PM
an image

अनदेखी. वर्षों से उठती रही है लॉ कॉलेज की मांग, किसी ने नहीं ली सुधि

शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में लॉ कॉलेज की बढ़ती मांग एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हाल के दिनों में कानूनी जागरूकता में वृद्धि, न्यायपालिका में कैरियर की संभावनाएं, व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि, समाज में कानूनी ज्ञान की आवश्यकता एवं शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार की वजहों से विद्यार्थियों में लॉ करने का रुझान बढ़ा है. यही कारण है कि गिरिडीह में सरकारी लॉ कॉलेज की मांग वर्षों से की जाती रही है. चुनावों में विद्यार्थियों के लिए यह मुद्दा भी बनता रहा है. हालांकि इस दिशा में अब तक कोई सार्थक पहल नहीं हो पायी है. यही वजह है कि लॉ की पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थियों को दूसरे प्रदेशों व जिलों का रुख करना पड़ रहा है. सक्षम परिवारों के लिए तो यह सामान्य हो चुका है, पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए यह दिवास्वप्न की तरह है.

80 के दशक में मकतपुर में संचालित था लॉ कॉलेज

इस संबंध में जिला अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा मंटू कहते हैं कि 80 के दशक में मकतपुर हाईस्कूल में निजी लॉ कॉलेज संचालित हुआ करता था. वर्ष 1992 तक यहां कॉलेज संचालित था. संबद्धता समाप्त होने के बाद कॉलेज का मतलब नहीं रहा. फिलहाल लॉ की पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थियों को कोलकाता, दिल्ली, रांची, कोडरमा, धनबाद आदि शहरों का रुख करना पड़ता है. क्लैट उत्तीर्ण विद्यार्थी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कॉलेजों में दाखिला लेते हैं. श्री सिन्हा ने बताया कि सरकारी कॉलेजों में कम फीस होती है. उन्होंने बताया कि गिरिडीह में सरकारी लॉ कॉलेज खोलने की मांग काफी पुरानी है. इस दिशा में पहल जरूरी है.

बॉक्स

लॉ कॉलेज की है सख्त जरूरत

इस बाबत अधिवक्ता शिवेंद्र कुमार सिन्हा कहते हैं कि लॉ के क्षेत्र में काफी अवसर हैं. विद्यार्थी अपनी क्षमता के अनुरूप योगदान देते हैं. यह रोजगार का माध्यम है जहां विद्यार्थी की अपनी मेरिट महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने बताया कि आज लॉ करने वाले 40 प्रतिशत विद्यार्थी कॉरपोरेट क्षेत्र में जा रहे हैं. वहां उन्हें अच्छा अवसर मिलने के साथ-साथ बेहतर पैकेज मिल रहा है. लॉ करने वाले कभी बेरोजगार नहीं रह सकते हैं. स्वावलंबी बन जाते हैं. श्री सिन्हा ने कहा कि गिरिडीह जिले में सरकारी लॉ कॉलेज खुलना चाहिए, पर दुर्भाग्य है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण यह नहीं हो पाया है. इस दिशा में प्रयास होना चाहिए.

(सूरज सिन्हा, गिरिडीह)

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version