मकर संक्रांति के अवसर पर पीरटांड़ प्रखंड के चंपानगर में सोमवार से तीन दिवसीय मेला शुरू होगा. मेले के साथ लोग बराकर नदी के तट पर पिकनिक का आनंद लेंगे. यहां मेले में लोगों की भीड़ उमड़ती है. पंडित रामकिंकर उपाध्याय ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व पालगंज राज में बीमारी फैली थी. इससे पालगंज राज की जनता परेशान थी. सभी राजा पारसनाथ सिंह को बीमारी से निजात की फरियाद कर रहे थे. उसी समय राजा ने अपना काम चंपानगर से संचालित करना शुरू किया. लंबे समय तक चंपानगर से ही राजकाज चलता रहा. इसी की याद में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर तीन दिवसीय मेला लगता है.
बराकर नदी उत्तरायण भी एक कारण
बताते चलें कि बराकर नदी चंपानगर में उत्तरवाहिनी है. साथ ही मकर के अवसर पर भगवान सूर्य भी उत्तरायण हो जाते हैं. इसलिए लोगों की भीड़ मकर के अवसर पर उत्तरवाहिनी नदी में स्नान करने उमड़ती है. स्नान के बाद लोग बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलार्पण भी करते हैं. मेला मैदान में ही भगवान शंकर का शिवलिंग भी है.
राधाकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर होती है पूजा
मेले में प्रतिवर्ष राधाकृष्ण की प्रतिमा स्थापित होती है. वहां पूरे विधि विधान से पंडित रामकिंकर उपाध्याय पूजा करते हैं. श्रद्धालु बराकर नदी के तट पर स्नान करके पूजा अर्चना करते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर गिरीडीह डुमरी मुख्य पथ स्थित बराकर पुल के आसपास से लेकर मेला तक वनभोज करने के लिए काफी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ आते हैं और प्रकृति की गोद मे बसे बराकर की खूबसूरत वादियों का खूब आनंद लेते हैं.
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