जमुआ प्रखंड क्षेत्र की हरी-भरी वादियां व कलकल बहते नदी-नाला पर्यटकों को खूब लुभाती है. दिसंबर माह शुरू होते ही नदी, जंगलों व नाला के किनारे लोग पिकनिक मनाने पहुंचने लगते है. नव वर्ष पर सैलानियों की यहां काफी भीड़ जुटती है. लोग पूजा अर्चना के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाते हैं.
आस्था का प्रतीक है झारो नदी किनारे स्थित मुक्तेश्वरधाम
जमुआ प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर पूरब दिशा में स्थित झारो नदी मुक्तेश्वरधाम निकली है. दिसंबर से जनवरी माह तक लोग यहां पिकनिक मनाने अपने मुक्तेश्वरधाम पहुंचते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस पवित्र स्थल पर भगवान शंकर आपरूपी विराजमान हुए हैं. लोग पूजा-अर्चना के बाद पिकनिक का आनंद उठाते हैं. एक समय यह स्थल जंगल से घिरा हुआ था, तब काफी कम संख्या में लोग पिकनिक मनाने झारो नदी मुक्तेश्वर धाम आते थे. लोग रास्ता भटक जाते थे. वर्तमान समय में जंगल नाम मात्र का रह गया है. सपाट मैदान के नीचे चट्टानों के बीच बहने वाली जलधारा अत्यंत मनोहारी का दृश्य उत्पन्न करती है.
उसरी नदी किनारे स्थित है लंगटा बाबा की है समाधि स्थल
प्रखंड मुख्यालय से छह किमी व जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर जमुआ-गिरिडीह सड़क पर उसरी नदी है. यहां भी पिकनिक मनाने के लिए लोग दूरदराज से आते हैं. नदी के किनारे बेलकुंडी, दमगी, पचडीहा, पर्यटकों का मन पसंद पिकनिक स्थल है. इसके अलावा लंगटा बाबा का समाधि स्थल उसरी नदी तट पर स्थित है. यह स्थल पर्यटकों को पिकनिक के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है. संतों के संत लंगटा बाबा समाधि पर चादरपोशी कर लोग पिकनिक करते हैं.ओरारी नाला लोगों का मनपंसद पिकनिक स्पॉट
प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किमी दूरी पर बसा ओरारी नाला पिकनिक प्रेमियों का मनपंसद पिकनिक स्पॉट है. नाला चारों ओर जंगल से घिरा है. नाला के कलकल बहते पानी में लोग स्नान करते हैं. यहां जलछाजन विभाग ने वर्ष 1995 में चेकडैम का निर्माण करवाया था. इसमें सालों भर पानी रहता है. इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल का दर्जा दिलाने को लेकर पूर्व विधायक केदार हाजरा ने प्रयास किया था, लेकिन लोगों का सपना पूरा नहीं हुआ.
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