Giridih News: बुनियादी सुविधाओं से वंचित है आदिवासी बहुल गांव कठगोलवा

Giridih News: लगभग तीन हजार से ज्यादा आबादी और 50 से ज्यादा घर वाला यह गांव अभी भी ढिबरी युग में जीने को विवश है. परिवहन का कोई साधन नहीं होने से किसी भी इलाज के लिए ग्रामीणों को चार किमी दूर पहाड़ पार कर तिसरी जाना पड़ता है. पेयजल की भी कोई सुविधा नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 26, 2024 10:58 PM

तिसरी प्रखंड अंतर्गत गड़कुरा पंचायत के आदिवासी बहुल गांव कठगोलवा वर्षों से बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. वर्षों से इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है और इस कारण यह टापू बना हुआ है. तिसरी प्रखंड मुख्यालय से मात्र तीन-चार किलोमीटर दूर स्थित गड़कुरा पंचायत के कठगोलवा गांव के चारों ओर घने जंगल और पहाड़ हैं. इस गांव तक पहुंचने के लिए आज तक सड़क नहीं बनी.

बोरिंग तो हुई, पर जलापूर्ति शुरू नहीं हुई :

इधर, कुछ दिनों पूर्व मुखिया मो इब्राहिम ने किसी तरह अस्थाई सड़क बनवाकर बोरिंग की गाड़ी गांव तक ले गये और दो बोरिंग करवायी, पर अभी तक जलापूर्ति नहीं हो पायी है. फलत: ग्रामीण अभी भी एक सकरी नदी में चुआं खोदकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं.

टापू सा जीवन है कठगोलवा का :

ग्रामीण अपने बच्चों को तीन किलोमीटर दूर पालमो मिशन स्कूल में पढ़ाते हैं. बच्चों को यहां पहुंचने में एक घंटा लग जाता है. पगडंडियों और पहाड़ से गुजरते हुए बच्चे स्कूल तक पहुंचते हैं. गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़क की ही है और यह समस्या वर्षों से है. इसके लिए ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है, पर इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पायी है. यहां का जीवन लगभग टापू जैसा बन गया है.

चुनाव के समय सांसद-विधायक का मिलता है आश्वासन

कठगोलवा की सलोनी हेंब्रम, सुशील मुर्मू, पुष्पा हेंब्रम आदि ने बताया कि कोई भी चुनाव हो, लोकसभा या विधान सभा, सभी चुनाव के समय माननीय नेतागण बस आश्वासन देते हैं. चुनाव खत्म होते ही सब कुछ भुला दिया जाता है. यही वजह है कि आज तक यह गांव उपेक्षित रखा गया है. ग्रामीणों ने कहा कि इस बार भी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों ने कई वादे किये हैं.

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