हूल दिवस पर जगह-जगह हुये कार्यक्रम, शहीदों को किया गया नमन

पीरटांड़ प्रखंड के चिरकी पंचायत के ग्राम मांझीडीह में भाजपा ने हूल दिवस मनाया. कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष सुनील सोरेन ने की जबकि संचालन प्रखंड उपाध्यक्ष शमशाद आलम ने किया.

By Prabhat Khabar Print | June 30, 2024 11:04 PM

पीरटांड़ प्रखंड के चिरकी पंचायत के ग्राम मांझीडीह में भाजपा ने हूल दिवस मनाया. कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष सुनील सोरेन ने की जबकि संचालन प्रखंड उपाध्यक्ष शमशाद आलम ने किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी मौजूद थे. अपने संबोधन में श्री शाहाबादी ने वीर अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आज हम जो हूल दिवस को मना रहे हैं इसका उदगम इसी झारखंड के भोगनाडीह से हुआ था. आजादी की लड़ाई का पहला बिगुल 1857 में फूंका गया था, लेकिन उससे पहले 1855 में अंग्रेजो के विरुद्ध इसी धरती के संथाल क्षेत्र में उनकी व्यवस्था का विरोध करने के लिये पूरे देश से लगभग 50 हजार की संख्या में आदिवासी जुटे और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की. आदिवासी समुदाय के लोगों ने हूल का आह्वान किया और अंग्रेजों से आजादी लेने में हजारों आदिवासियों ने अपने प्राणों की आहूति दी. इस आंदोलन से ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिल गईं. इस आंदोलन के नेतृत्वकर्ता सिद्धो कान्हू, चांद भैरव, फूल झानो थे. इस हूल को पूरी ताकत से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने का काम किया. आज का यह दिन खास कर झारखंड के आदिवासी समुदाय के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. उन्होंने शहीदों का वंदन किया और श्रद्धांजलि दी. मौके पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य चुन्नूकांत, विनय सिंह, अरविंद चंद्र राय, बबलू साव, महेश राम, दीपक स्वर्णकार, बीरेंद्र वर्मा, अशोक सिंह, रेखा देवी, अंजू टुड्डू, बुधन सोरेन, बसंत सिंह, अभय सिंह, मोतीलाल टुड्डू, दरवारी मुर्मू, वासुदेव राम, बबलू मरांडी, प्रीतम मुर्मू, सुरेश सोरेन, रवि लाल मुर्मू आदि मौजूद थे.

संताल समाज ने दी शोषण के खिलाफ आंदोलन की शिक्षा : सुरेश साव

तिसरी प्रखंड में रविवार को हूल दिवस मनाया गया. इस अवसर पर आदिवासी समाज कल्याण समिति द्वारा तिसरी चौक पर स्थित सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. मौके पर आदिवासी समाज के महिला पुरुष ने गीत-नृत्य कार्यक्रम का भी आयोजन किया. आदिवासी समाज के महिला पुरुष नगाड़े और मांदर की थाप पर नृत्य करते हुए प्रतिमा स्थल तक पहुंचे और सोनू हेंब्रम की अगुवाई में प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके साथ ही उनके आदर्शो पर चलने का आह्वान किया. मौके पर रामी मरांडी, जागेश्वर टुडू, हरीश हांसदा, मनोज मुर्मू, मोती मरांडी, विनोद टुडू, बेजन किस्कू, कैलू टुडू, अमित मुर्मू, मनोज किस्कू आदि उपस्थित थे.

पीरटांड़ के मोनाटांड़ में हूल दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

हूल दिवस पर पीरटांड़ प्रखंड के मोनाटांड़ में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव थे. कार्यक्रम की शुरुआत सिदो-कान्हू की प्रतिमा की विधिवत पूजा-अर्चना कर परंपरागत नृत्य से हुई. पीरटांड़ प्रखंड की पंचायत के आदिवासी समाज के प्रमुख नेताओं को सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि सुरेश साव ने कहा कि 1857 की क्रांति को आमतौर पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला विद्रोह माना जाता है, जबकि 1855 में सिदो-कान्हू, चांद-भैरव व फूलो-झानो ने अंग्रेजों द्वारा कृषि कर लगाने के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. स्थानीय जमींदारों तथा अंग्रेजी सरकार से आये व्यापारियों को मौत के घाट उतार दिया था. हमें गर्व है कि हम सभी उस झारखंड की पावन धरती पर जन्म लिए हैं, जहां स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखी गयी, जहां सर्वप्रथम अंग्रेजों के शोषण के विरोध में आवाज उठायी गयी. उन्होंने आदिवासी समाज के वीर योद्धाओं का नमन किया. कहा कि वीर योद्धाओं ने हमें शोषण के खिलाफ लड़ना सिखाया. 30 जून को हूल क्रांति दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. उन महान क्रांतिकारियों को नमन किया जाता है, जिन्होंने अपनी वीरता से ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था. आदिवासी भाइयों सिद्धो-कान्हू और चांद-भैरव के नेतृत्व में भोगनाडीह (जो अब साहिबगंज है) में लगभग 50 हजार आदिवासियों ने 30 जून 1855 को महाजनी प्रथा और ब्रिटिश बंदोबस्त नीति के खिलाफ विरोध की घोषणा की थी. इस विरोध को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 26 जुलाई 1855 को भोगनाडीह में सिदो- कान्हू समेत लगभग 20 हजार आदिवासियों को पेड़ से लटकाकर मार दिया था. कहा कि संताल समाज ने शोषण के खिलाफ आंदोलन की शिक्षा दी. कार्यक्रम में बुधन हेंब्रम, फागू मरांडी, विमल सोरेन, जालेश्वर बेसरा, संतोष सोरेन, अंबुज मोदक, बिट्टू टुडू, मेयनो हेंब्रम, सुरेंद्र बेसरा, राजेश टुडू, अनिल वर्मा, श्याम प्रसाद, रिंकी देवी, भवानी देवी, राजेश गुप्ता, करमु सोरेन, बिसु मरांडी, अरविंद वर्णवाल, बहादुर मरांडी, इनोद साव, बैंकुठ पंडित सहित काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे

आदिवासी समाज में शिक्षा का अलख जगाने पर जोर

गांडेय प्रखंड के कोरबंधा चौक में हूल दिवस मनाया गया. सबसे पहले सिदो-कान्हू के चित्र पर माल्यार्पण कर शहीद वीरों को याद किया गया. जिला परिषद सदस्य हिंगामुनी मुर्मू ने कहा कि आज भी संताल शिक्षा के अभाव में शोषण का शिकार हो रहे हैं. हमें घर-घर में शिक्षा का अलख जगाना होगा तभी हम सरकार को योजनाओं का लाभ ले पायेंगे और मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे. परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के चेयरमैन महालाल हेंब्रम, चांदमाल मरांडी, पिड़ पारगाना रमेश मुर्मू, परगनैत सुखदेव किस्कू, प्रदीप मुर्मू, अजीत सोरेन, मुलीन मुर्मू, रूबीलाल मुर्मू, सुखदेव हांसदा, दुबेस सोरेन, शिक्षक हेमलाल सोरेन, मंगल सोरेन, प्रियंका किस्कू आदि ने भी समाज के लोगों को संबोधित किया. कार्यक्रम में आसपास के गांव के सैकड़ों महिला-पुरुष और बच्चे उपस्थित थे.

गिरिडीह कॉलेज में भी हुआ आयोजन

गिरिडीह कॉलेज की कल्चरल कमेटी, संताली सांस्कृतिक परिषद् व संताली विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज के सभागार में रविवार को हूल दिवस मनाया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डा. अनुज कुमार ने सिदो कान्हू के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. मौके पर डा. कुमार ने कहा कि भारतवर्ष के स्वतंत्रता प्राप्त करने में संताल आंदोलन का महत्वपूर्ण स्थान है. अंग्रेजों की दमनकारी नीति का संतालों के नायक सिदो, कान्हू, चांद, भैरव और उनकी दो बहनें फूलो और झानो ने आज ही के दिन 1855 में संताल आंदोलन का बिगुंल फूंका था. अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो नयन सोरेन ने कहा कि संताल आंदोलन में सिर्फ जनजाति ही नहीं गैर जनजाति के लोग भी भारी संख्या में शामिल थे. मंच संचालन प्रो धर्मेंद्र कुमार ने किया. मौके पर छात्रावास के प्रीफेक्ट सोना लाल मुर्मू, सुधीर बास्के, संताली विभाग के प्रोफेसर आदित्य बेसरा, रमीज रजा, हीरा लाल मंडल, प्रकाश सोरेन, छोटे लाल किस्मत, हीरालाल, सोना लाल, जयलाल सोरेन, अमर, बब्लू सहित सैकड़ों की संख्या में छात्र उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में संताली गीत, नृत्य के माध्यम से शहीदों को याद किया गया.

हूल दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

पीरटांड़. हूल दिवस के अवसर पर दुबेडीह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू मौजूद थे. इस मौके पर गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने स्वतंत्रता संग्राम में सिद्धो कान्हू, चांद भैरव एवं फूलो झानो की भूमिका के बारे में बताया. मौके पर बिरजू मरांडी, रामलाल, रविलाल, कर्मवीर पंडा, दिनेश रजवार, दिनेश तुरी, ताज हुसैन, सर्वेश्वर पंडा आदि मौजूद थे.

क्रांति वीरों की धरती है झारखंड : चुन्नूकांत

गिरिडीह में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य चुन्नूकांत ने हूल दिवस पर कहा कि झारखंड क्रांति वीरों की धरती है. जब अंग्रेजों के खिलाफ लोग सोने की हिम्मत नहीं करते थे, उस वक्त 1855 में संताल के वीर सपूतों ने आंदोलन का बिगुंल फूंका था. कहा कि देश में आदिवासियों के हित की कल्पना और योजना सिर्फ भाजपा के पास है. झारखंड का गठन भी भाजपा के शासनकाल में हुआ था और आज भारत की पहली महिला भी आदिवासी समाज से हैं. आदिवासियों को शिक्षित व रोजगार देने के लिए झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कई कार्य किये. कहा कि विडंबना यह है कि झारखंड के सत्ताधारी दल हमेशा झारखंड आंदोलन को बेचा है और झारखंड में रह रहे आदिवासी समाज के लिए कभी कुछ नहीं किया.

हूल दिवस बर्बरता व अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक : सुदिव्य

गिरिडीह में झामुमो जिला कार्यालय में रविवार को हूल दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू थे. विधायक श्री सोनू ने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले और अंग्रेजों की बर्बरता व अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर क्रांतिकारियों को हूल दिवस पर नमन किया. कहा कि यह दिवस बर्बरता और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक है. उन्होंने सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फुलो-झानो सहित सभी क्रांतिकारियों को नमन किया. कहा कि निश्चित रूप से भारत की स्वतंत्रता के लिए सबसे पहले बिगुल फूंकने वालों में झारखंड का नाम अव्वल रहना चाहिए था, परंतु ऐसा नहीं हो सका. सभी जानते हैं कि सन 1855 में भोगनाडीह साहिबगंज में चांद-भैरव, सिदो-कान्हू और फुलो-झानू के नेतृत्व में लगभग 50 हजार से अधिक आदिवासी-मूलवासी ने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ आजादी की लड़ाई की शुरुआत की. इसमें हजारों लोगों ने अपनी शहादत दी. कहा कि झारखंड के बुद्धिजीवियों से आग्रह है कि इस विषय में शोध करें और वास्तविकता को सामने लायें.

ये थे उपस्थित :

कार्यक्रम में दिलीप रजक, अभय सिंह, मो. जाकिर, राकेश रंजन, मो. अनवर, योगेन्द्र सिंह, सचिन, मो. सरफुद्दीन, मो इबरार, सैफ अली गुड्डू, बढ़न वर्मा, मो. असदउल्लाह सहित अन्य उपस्थित थे.

आजसू ने मनाया हूल दिवस

डुमरी. आजसू पार्टी डुमरी प्रखंड कमेटी ने रविवार को प्रधान कार्यालय इसरी बाजार में हूल दिवस मनाया. कार्यक्रम की शुरुआत सिदो-कान्हू, चांद भैरव, फूलो-झानो समेत अन्य क्रांतिकारियों को श्रद्धा सुमन करकते हुई. मुख्य अतिथि आजसू केंद्रीय महासचिव सह डुमरी विधानसभा प्रभारी यशोदा देवी ने कहा कि आज फिर से उलगुलान की जरूरत है. बेरोजगारी, पलायन व अफसरशाही से आम जनता परेशान है. मौके पर प्रखंड अध्यक्ष सतीश महतो, सांसद प्रतिनिधि पिंटू कुमार, इसरी उत्तरी मुखिया रीना देवी, सहायक शिक्षक डीलचंद महतो, टिंकू महतो, सुजीत माथुर, विजय कुमार, पिंटू वर्मा, दीपक जैन, दौलत कुमार, रंजीता देवी, पिंकी कुमारी, कंचन देवी, बबलू सोनी, तुलसी राम महतो, शहीद अंसारी आदि मौजूद थे.

हूल दिवस पर संताल विद्रोह के नायकों को दी गयी श्रद्धांजलि

गावां. गावां हाट बाजार परिसर में हूल दिवस मनाया गया. झामुमो प्रखंड अध्यक्ष अजय कुमार सिंह सहित छात्र संगठनों, आदिवासी संगठनों ने संताल के नायक शहीद सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम के दौरान अंगवस्त्र देकर अतिथियों को सम्मानित किया गया. दिवासी महिलाओं ने पारंपरिक रीति- रिवाज से सिदो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. गावां प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हूल दिवस मनाया. कार्यक्रम की अध्यक्षता अभय मुर्मू ने की. मौके पर सोनेंद्र सोरेन, सत्यम बेसरा समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे.

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