उफ ये गर्मी…जलता है बदन

उर्फ ये गर्मी... जलता है बदन. गिरिडीह जिले में पड़ रही गर्मी को लेकर कमावेश हरेक के जुबां से यही शब्द निकल रहे हैं. प्रचंड गर्मी की वजह से ना तो दिन में चैन है और ना ही रात में सुकून मिल पा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 11:13 PM
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ना दिन को चैन है और ना रात को सुकून, दूसरे दिन पारा 43 डिग्री पर

गिरिडीह.

उर्फ ये गर्मी… जलता है बदन. गिरिडीह जिले में पड़ रही गर्मी को लेकर कमावेश हरेक के जुबां से यही शब्द निकल रहे हैं. प्रचंड गर्मी की वजह से ना तो दिन में चैन है और ना ही रात में सुकून मिल पा रहा है. हर कोई परेशान है. सोमवार को लगातार तीसरे दिन अधिकतम तापमान 43 डिग्री रहा. प्रचंड गर्मी और गर्म हवा लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. पुरुष तो दिन में काम से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन घर में रहने वाली महिलाओं व बच्चों परेशान रहते हैं. सुबह नौ बजे से लेकर रात तक यही हाल है. लोग अब बारिश का इंतजार कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से प्रचंड गर्मी का प्रकोप जारी है. गर्म हवा के झोका से चेहरे झुलस रहा है. सुबह आठ बजे से ही गर्म हवा चलने लगती है. इससे लोगों को अपने घरों निकलने में मुश्किल हो रही है. बहुत जरूरी काम होने पर ही लोग घर से बाहर निकलते हैं और अपना काम जल्द खत्म कर वापस लौट जाते हैं. बाहर निकलने पर छतरी व गमछा ही सहारा है. ऑफिस जाने वाले लोग तो किसी तरीके से कार्यालय पहुंच जाते हैं, लेकिन जो घर में रहते हैं उन्हें उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ता है. ऊपर से बिजली की अनियमित आपूर्ति परेशानी का सबब बना हुआ है. रोजाना कमाने खाने लोगों को सबसे अधिक कठिनाई झेलनी पड़ रही है.शीतल पेय पदार्थ की मांग बढ़ी

गर्मी में शीतल पेय पदार्थ की मांग बढ़ गयी है. सत्तू, ईख का जूस और आमरस की खूब बिक्री हो रही है. गर्मी में बाजार निकलने वाले लोग सत्तू, जूस और आमरस का सेवन करते हैं. शहरी क्षेत्र की कचहरी चौक, बरगंडा, बड़ा चौक, कालीबाड़ी, अलकापुरी, पचंबा आदि इलाकों में ठेला पर सत्तू व जूस की बिक्री होती है. 20 रुपये प्रति गिलास के पेय पदार्थ की बिक्री हो रही है. कचहरी आने वाले अधिकांश लोग सत्तू और आमरस का सेवन करते हैं. ताकि उन्हें गर्मी से थोड़ी राहत मिल सके.पंखा से निकलती है गर्म हवा, कूलर भी बेकाम

प्रचंड गर्मी में पंखा से गर्म हवा निकलती है. कूलर भी बेकाम साबित हो रहे हैं. कम वोल्टेज की वजह से एसी भी नहीं चल रहा है. लिहाजा हर वर्ग के लोग परेशान हैं. पसीने से लथपथ होकर लोग अपने-अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं.

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