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स्कूल बंद होने से बच्चों की बंद पढ़ाई के सरकारी इंतजाम पर ग्रामीण उठा रहे सवाल

हजारीबाग रोड : कोरोना जनित वैश्विक आपदा से बचने के लिए भारत सरकार ने लॉकडाउन लगाया है. लोग इसका पालन भी कर रहे हैं. ऐसे में कल-कारखाना के साथ सभी उद्योग-धंधे तो बंद हैं ही, स्कूल कॉलेज भी बंद हैं. स्कूल बंद होने के कारण बाधित पठन-पाठन की भरपाई के लिए सरकारी विद्यालय में ऑनलाइन […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 14, 2020 1:18 AM

हजारीबाग रोड : कोरोना जनित वैश्विक आपदा से बचने के लिए भारत सरकार ने लॉकडाउन लगाया है. लोग इसका पालन भी कर रहे हैं. ऐसे में कल-कारखाना के साथ सभी उद्योग-धंधे तो बंद हैं ही, स्कूल कॉलेज भी बंद हैं. स्कूल बंद होने के कारण बाधित पठन-पाठन की भरपाई के लिए सरकारी विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है. देखने में यह नवाचारी तो लगता है, पर इसका वास्तविक लाभ बच्चों को नहीं मिल सकता. सरकारी आदेशानुसार स्कूली बच्चों के अभिभावकों का व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाकर इस दौरान पढ़ाई जारी रखनी है. इस इंतजाम से केवल समृद्ध घरों के बच्चे ही लाभान्वित हो रहे हैं. यह व्यवस्था एमडीएम के लाभुक वर्ग के लिए कारगर नहीं हो पा रही.

कहां से लेंगे फोन और कैसे करायेंगे रिचार्ज : प्रखंड के चंद्रमारणी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गरीब मजदूर, किसान, दिहाड़ी मजदूरों के पास पहले भी स्मार्ट फोन नहीं थे. अभी जब दो जून की रोटी मुश्किल हो रही है तो कहां से मोबाइल रिचार्ज करायेंगे. और जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है वे क्या करेंगे. वे कहते हैं कि साधनहीनता के कारण एक तरफ सरकार स्कूली बच्चों तक एमडीएम का चावल व भत्ता के पैसे पहुंचा रही है तो दूसरी तरफ ऐसे ही बच्चे स्मार्ट फोन पर ऑनलाइन क्लास कहां से कर पायेंगे.

ग्रामीण कहते हैं कि पड़ोसी के पास एंड्रायड फोन है भी तो कोरोना में लॉकडाउन के कारण गरीबों के बच्चे उनके यहां जा भी नहीं सकते. वे कहते हैं कि जिनके अभिभावक मैकेनिक, आटो चालक, दिहाड़ी मजदूर हैं, वे एंड्रायड फोन कहां से लायें. कहते हैं चंद्रमारणी के अभिभावक सरकार को जमीनी असलियत को जान कर ही कोई भी योजना बनानी चाहिए, न कि एसी कमरों में बैठकर फरमान जारी कर दिया जाय. यदि ऐसे बच्चे और उनका परिवार केवल पढ़ाई की चिंता को लेकर किसी मानसिक रोग से ग्रसित होता है तो वह कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है. -रामावतार पांडेय, चंद्रमारणी

इस विभागीय आदेश से बच्चों और उनके अभिभावकों की आर्थिक तंगी का मजाक बन रहा है. जिस तरह साइकिल और पोशाक के लिए पैसे दिये गये, उसी तरह सरकार को ऑनलाइन शिक्षा प्रारंभ करने के पूर्व बच्चों के बीच मोबाइल की व्यवस्था करनी चाहिए थी. -गणेश महतो, चंद्रमारणी संकट में बच्चों को नैतिक ज्ञान की आवश्यकता है, न कि किताबी ज्ञान की. आज के इस दौर में ऑनलाइन क्लास से ही ज्ञान मिल सकता है तो स्कूल और कॉलेज की क्या आवश्यकता है.

इनको बंद कर देना ही कोरोना काल का एक महान अविष्कार होगा. -राजू प्रसाद, चंद्रमारणीऑनलाइन शिक्षा प्रारंभ करने के पूर्व शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है जिसका लाभ प्रतिशत बच्चों को मिले. बच्चों को भी इसका पूर्व ज्ञान होना चाहिए था, जिससे ऑनलाइन शिक्षा में उन्हें आसानी होती. ऐसी व्यवस्था महज खानापूर्ति है. -बलदेव प्रसाद

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