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ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मियों को बनाया बंधक

डुमरी प्रखंड की पोरैया पंचायत स्थित पारसनाथ पहाड़ की तराई में बसे फुलवर गांव में शुक्रवार की रात हाथियों के झुंड ने आठ घरों को क्षतिग्रस्त कर घर में रखा अनाज चट कर गया और फसलों को बर्बाद किया.

डुमरी प्रखंड की पोरैया पंचायत स्थित पारसनाथ पहाड़ की तराई में बसे फुलवर गांव में शुक्रवार की रात हाथियों के झुंड ने आठ घरों को क्षतिग्रस्त कर घर में रखा अनाज चट कर गया और फसलों को बर्बाद किया. सूचना पर शनिवार की सुबह पहुंचे वन विभाग के फॉरेस्टर मनीष राय, वनरक्षी शशि कुमार, प्रियेश विश्वकर्मा, बीरेंद्र कुमार गांव पहुंचे. सूचना देने के बाद देर से गांव पहुंचे वन विभाग के कर्मी को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. ग्रामीणों का आरोप था कि हाथी के गांव में प्रवेश करने की सूचना रात को देने के बाद भी वन विभाग के कर्मी गांव नहीं पहुंचे थे. किसी तरह झुंड को गांव से बाहर खदेड़ा दिया गया.

मुआवजा का आश्वासन मिलने पर मुक्त हुए कर्मी

वन विभाग के कर्मी को बंधक बनाये जाने की सूचना पर डुमरी बीडीओ अन्वेषा ओना व सीओ शशि भूषण वर्मा मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया. ग्रामीणों का कहना था कि हाथी बार-बार गांव पहुंचकर घरों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं, लेकिन विभाग हाथी को सुरक्षित स्थान तक पहुंचा रहा है. इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है. इसके बाद सीओ ने डीएफओ से फोन वार्ता की. सीओ ने आज ही मुआवजा देने के बात कही. इसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मियों को छोड़ दिया. इसके वन विभाग के कर्मियों ने नुकसान का जायजा लिया. फिलहाल हाथियों का झुंड गांव से सटे पारसनाथ पहाड़ की तराई के जंगल में डेरा डाले हुए हैं. झुंड में लगभग दो दर्जन व्यस्क और चार बच्चा हाथी हैं. सूचना पर शनिवार को मुखिया राजकुमार महतो व पंसस प्रवीण महतो प्रभावितों से मिले और क्षति का जायजा लिया. सरकारी प्रावधान के तहत मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया. इधर, बीडीओ ने प्रभावित ग्रामीणों को 30-30 किलो चावल मुहैया करवाया.

हाथियों के चिंघाड़ने पर खुली ग्रामीणों की नींद

हाथियों का झुंड शुक्रवार को करीब एक बजे रात पोरैया पंचायत के फुलवार पहुंची. ग्रामीण घरों में सो रहे थे. झुंड के तोड़फोड़ और चिंघाड़ने की आवाज सुन ग्रामीणों की नींद खुली. वह किसी तरह घरों से निकलकर सुरक्षित स्थान की ओर भागे. झुंड ने पार्वती देवी, लालकी देवी, मोनी देवी, बुधन मांझी, कर्मी देवी, मंझलू टुडू,जीतन मांझी, कारू तुरी, मिनी देवी कटिया मांझी, रमेश सोरेन समेत अन्य के घरों और फसलों को नुकसान पहुंचाया.

देर से मिली सूचना : फॉरेस्टर

फॉरेस्टर मनीष राय ने बताया कि हाथी के गांव में प्रवेश करने की सूचना देर से मिलने के कारण आक्रोशित ग्रामीणों ने हमें रोक लिया था. हम लोगों ने बांकुड़ा से हाथी को भागने के लिए टीम भी बुलायी थी, लेकिन पारसनाथ के आश्रयणी क्षेत्र में हाथियों के चले जाने के कारण टीम उसे खोज नहीं सकी थी. इसके बाद टीम वापस चली गयी. फिलहाल लोकल टीम हमारे साथ है. अभी भी हाथियों का झुंड पारसनाथ पहाड़ के आश्रयनी क्षेत्र में ही डेरा जमाए हुए है.

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