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बिरहोर महिला की लू लगने से मौत की आशंका

सरिया प्रखंड क्षेत्र के अमनारी पंचायत अंतर्गत बिरहोरटंडा की विलुप्त प्राय एक बिरहोर आदिवासी महिला सुनीता देवी (40) की मौत सोमवार को हो गयी. इस संबंध में मृतका के पति भोला बिरहोर ने बताया कि उसकी पत्नी सोमवार को पड़ोस में रस्सी बेचने गयी थी.

प्रतिनिधि, सरिया

सरिया प्रखंड क्षेत्र के अमनारी पंचायत अंतर्गत बिरहोरटंडा की विलुप्त प्राय एक बिरहोर आदिवासी महिला सुनीता देवी (40) की मौत सोमवार को हो गयी. इस संबंध में मृतका के पति भोला बिरहोर ने बताया कि उसकी पत्नी सोमवार को पड़ोस में रस्सी बेचने गयी थी. दोपहर को जब वह लौट रही थी तो रास्ते में चक्कर आने से गिर पड़ी. सूचना मिलने पर परिवार के लोग उसे उठा कर घर ले आये.

उसकी स्थिति और बिगड़ती देख उसे रात लगभग नौ बजे सीएचसी बगोदर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने लू लगने की बात कहकर उसे हजारीबाग रेफर कर दिया. परिजनों द्वारा सुनीता देवी को उचित इलाज के लिए हजारीबाग ले जाया जा रहा था. इसी क्रम में सुनीता ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया. घटना के बाद परिजनों में रो-रोकर बुरा हाल है. बताया जाता है कि सुनीता अपने पीछे पति तथा पांच बच्चों को छोड़ गई है. घटना की जानकारी मिलने पर स्थानीय मुखिया अजय यादव परिजनों से मिले तथा तत्काल उन्हें 50 किलो अनाज मुहैया करवाया.

20 दिनों के अंदर दो बिरहोर की मौत

सरिया प्रखंड क्षेत्र में रहने वाले विलुप्त प्राय आदिवासी बिरहोर की स्थिति आज भी दयनीय है. गरीबी, अशिक्षा, खान-पान का दोष तथा उचित इलाज के अभाव में बीते 20 दिनों में बिरहोर परिवार के दो लोगों की मौत हो गयी, जिसे परिजनों द्वारा इस भीषण गर्मी में मौत का कारण लू लगना बताया गया है. बताते चलें कि बीते 30 मई को मंदरामो पश्चिमी पंचायत के काला पत्थर बिरहोरटंडा निवासी 60 वर्षीय बुधन बिरहोर की मौत हो गयी थी. परिजनों के अनुसार वह बकरी चराने जंगल गया था. इस बीच वहीं उसे चक्कर आ गया. दोपहर में घर लौटने के बाद वह आराम करने लगा, जहां देर शाम उसने दम तोड़ दिया. हालांकि चिकित्सकों ने उसे सामान्य मौत बताया था. ठीक उसी प्रकार सोमवार की सुबह अमनारी पंचायत स्थित बिरहोरटंडा गांव की सुनीता बिरहोर की मौत हो गयी. सरकार द्वारा बिरहोर परिवार के हितार्थ आवास, विद्यालय, पेयजल आदि की व्यवस्था की गयी है, परंतु गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी जैसी समस्या के कारण बिरहोर परिवार की स्थिति आज भी दयनीय है.

सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा तथा विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं समय-समय पर चलायी जाती रही है, परंतु उनके रहने के लिए ना तो अच्छे मकान हैं और ना ही पेयजल की समुचित व्यवस्था. आर्थिक स्थिति ऐसी है कि तन ढंकने को पर्याप्त वस्त्र उनके पास नहीं हैं. सरकार द्वारा दिए गए आवास में किसी में दरवाजे की कमी है तो किसी की खिड़कियां गायब हैं. किसी के छत से पानी का रिसाव होता है. बिरहोर समुदाय के पुरुष वर्ग के लोग दिन भर मजदूरी करते हैं, जबकि महिलाएं आज भी चोप या प्लास्टिक की रस्सी बुनकर अपना जीवनयापन करती हैं.

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