जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल आज भी उपेक्षित है. सरकार को इस क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और पवित्रता बनाये रखने के लिए पहल भी करने की जरूरत है. शिखरजी पर पारसनाथ मंदिर तक जाने वाली सड़क जर्जर है. इससे पर्यटकों को काफी परेशानी हो रही है. यह कहना है कवयित्री अनामिका जैन ‘अंबर’ का. गिरिडीह के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद अनामिका सम्मेद शिखर का दर्शन करने पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने पारसनाथ पर्वत के वंदना पथ का भी यात्रा की. यात्रा कर लौटने के बाद उन्होंने बताया कि इस पर्वत पर 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष को प्राप्त किया है. जैनियों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लिए भी यह दर्शनीय है. इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी यात्रियों की समस्या के समाधान की दिशा में सरकार ने अपेक्षित पहल नहीं की है. उन्होंने राज्य सरकार से अविलंब जर्जर सड़क की मरम्मत को लेकर मांग की है. साथ ही कहा कि पारसनाथ पर्वत का कण-कण पवित्र है, इस स्थल का दर्शन लोगों को जीवन में एक बार जरूर करना चाहिए. सुश्री अंबर के साथ मुकेश कुमार, प्रदीप कुमार, मुकेश जैन, अमर कुमार तुरी, डब्लू साव, राजू महतो, रमेश कुमार, राजकुमार, सुभाष ठाकुर, दौलत महतो, मंतोष थापा, रीतेश सिन्हा, नवीन सिन्हा आदि भी शामिल थे.
यात्रियों की समस्याओं का समाधान करें मुख्यमंत्री : विनोद सिन्हा
समाजसेवी व भाजपा नेता विनोद सिन्हा ने कहा कि पारसनाथ पर्वत एक दर्शनीय स्थल है और प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. ऐसे में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है. आज भी यात्री जर्जर सड़क, यात्री शेड का अभाव, पेयजल की समुचित व्यवस्था का नहीं होने, वंदना पथ पर रौशनी की व्यवस्था नहीं रहने से परेशान हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को क्षेत्र के विकास पर ध्यान देने के साथ-साथ यात्रियों की समस्याओं के समाधान पर भी पहल करना चाहिए.
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