सदर अस्पताल में नर्स की लापरवाही से नवजात की मौत
परिजनों ने लगाया आरोप, नगर थाना में की शिकायत अस्पताल प्रबंधन ने नवजात का कराया पोस्टमार्टम गोड्डा : सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में सुबह करीब आठ बजे एक नवजात की मौत से परिवार वालों का कलेजा दहल उठा है. परिजनों ने प्रसव कार्य में नर्स की लापरवाही का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं […]
परिजनों ने लगाया आरोप, नगर थाना में की शिकायत
अस्पताल प्रबंधन ने नवजात का कराया पोस्टमार्टम
गोड्डा : सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में सुबह करीब आठ बजे एक नवजात की मौत से परिवार वालों का कलेजा दहल उठा है. परिजनों ने प्रसव कार्य में नर्स की लापरवाही का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं नर्सों पर नवजात के जन्म लेने के दौरान नवजात को खींच कर प्रसव कराने का आरोप परिजन लगा रहे हैं. नवजात की मौत हो जाने पर परिजनों ने जब आक्रोश जताया तो ऑन ड्यूटी नर्स प्रसव कक्ष छोड़ कर चली गयी. मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सरौनी पंचायत अंतर्गत रसमहुआ गांव की प्रसुता बबीता कुमारी (19) को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार की रात सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भरती कराया गया.
प्रसुता का पहला प्रसव था. ऑन ड्यूटी नर्स ने चेकअप करने के बाद थोड़ा समय बाद डिलेवरी होने की बात कही. रात बीत गया. सुबह प्रसूता का प्रसव पीड़ा बढ़ने पर प्रसव वार्ड में दो नर्सों द्वारा प्रसव कराया गया.
प्रसुता की मां ने सुनायी पीड़ा: प्रसूता बबीता कुमारी की मां कुंती देवी डिलेवरी के समय उपस्थित थी. उनका आरोप है कि डिलेवरी के समय नर्सों द्वारा जबरन बच्चा खींच कर नवजात को बाहर निकालने का आरोप लगाया है. इससे नवजात का सिर में चोट व शरीर की चमड़ी छिल गयी बी. इस कारण नवजात की जन्म होते ही मौत हो गयी. बताया कि नवजात का सिर निकलने के बाद नर्सों ने सिर में कपड़ा रख कर खींच कर निकालने के दौरान विरोध करने पर कहा कि ऐसे में शिशु मर जायेगा. उल्टे नर्सों ने कहा कि पेट में ही नवजात ने मल कर दिया है. जच्चा की जान बचा रहे हैं, कह कर फटकार लगा दिया.
मई माह में दो जच्चा की हुई थी मौत
गोड्डा में संस्थागत प्रसव के लापरवाही बरतने के मामले पूर्व में भी हो चुका है. मई माह में पोड़ैयाहाट प्रखंड क्षेत्र के अमवार गांव की मनीषा मुर्मू व पोड़ैयाहाट पुराना बाजार टोला की आरती देवी को सीएचसी में भरती कराये जाने के उपरांत दोनों को नवजात हुआ था. प्रसूता की हालत बिगड़ने पर सीएचसी से अस्पताल रेफर कर दिया था. दोनों प्रसुता की मौत अस्पताल में होने के बाद उस समय भी परिजनों ने संस्थागत प्रसव पर सवाल खड़ा किया था. मामले में कोई कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं किया गया था. मामले में खानापूर्ति होकर रह गयी थी. पुन: संस्थागत प्रसव में नवजात के मौत से मई माह में दो प्रसुता के मौत के मामले को ताजा कर रख दिया है. जो सिस्टम के समक्ष सवाल खड़ा करती है.
” प्रसव के मामले में जांच करायी जा रही है. नवजात का पोस्टमार्टम कराया गया है. आइयूडी केस था. नवजात का पहले से ही डेथ हो चुका था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पूरी तरह से मामला क्लीयर हो पायेगा.”
-डॉ बनदेवी झा, प्रभारी सीएस.
अस्पताल प्रबंधन का लापरवाही से इनकार
” सरौनी से प्रसूता को रेफर किया गया. बुधवार रात करीब सवा दस बजे प्रसूता को भरती किया गया. नर्सों ने पहले चेकअप किया. प्रसव योग्य स्थिति नहीं थी. गुरुवार सुबह आठ बजे चेकअप करने पर शिशु के गर्भ में ही मल कर दिये जाने की स्थिति को बता कर नर्स ने डिलेवरी कराया. प्रसव के बाद सिर फंसा रहा. चूंकि नवजात पहले से ही मृत था. सिर नर्स ने पकड़ा तो स्कीन में खरोंच आ गया है. प्रसव कार्य में लापरवाही नहीं बरती गयी है.”
-मुकेश कुमार, प्रबंधक सदर अस्पताल.
बिफर उठे पति, किया पुरजोर विरोध
मामले को सुनने के उपरांत प्रसव वार्ड के बाहर इंतजार में बेचैन पति रोहित कुमार पंडित बिफर पड़े. रो-रो कर विलाप करने लगे. कहा कि अस्पताल के प्रसव वार्ड में नर्सों ने संवेदनाओं को ताक पर रख कर पत्नी का डिलेवरी कार्य किया है. केवल नॉर्मल डिलेवरी ही नर्स करा पाती है. तो फिर संस्थागत प्रसव कराने के लिए अस्पताल आने की क्या जरूरत है. उसमें भी बेरहमी की तरह पत्नी का प्रसव कराया गया. नगर थाना को आवेदन दिये जाने के बाद उपायुक्त का दूरभाष पर मामले से अवगत कराया. नवजात की मौत के मामले में प्रक्रिया होने पर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की ओर से नवजात का पोस्टमार्टम भी कराया.