संतमत सत्संग में ज्ञान की बह रही अविरल धारा

गोड्डा : आस्था बड़ी चीज होती है. स्थानीय मेला मैदान में सात दिवसीय संतमत सत्संग में छठे दिन नेक उपदेश व ज्ञान की अवरल धारा बहती रही. भक्ति की सागर में श्राेता दिनभर डुबकी लगाते रहे. प्रवचन में स्वामी गुरुनंदन जी महाराज ने कहा कि जीवन में आनंद प्राप्त करने के लिए हमें वृंदावन में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2017 12:55 AM
गोड्डा : आस्था बड़ी चीज होती है. स्थानीय मेला मैदान में सात दिवसीय संतमत सत्संग में छठे दिन नेक उपदेश व ज्ञान की अवरल धारा बहती रही. भक्ति की सागर में श्राेता दिनभर डुबकी लगाते रहे. प्रवचन में स्वामी गुरुनंदन जी महाराज ने कहा कि जीवन में आनंद प्राप्त करने के लिए हमें वृंदावन में जाना होगा.
यह वृंदावन तो इस धरती पर भी है, वहां भी बाहरी आनंद है. मगर साधना करके जब हम तीन अवस्थाओं से उठते है. तृतीय अवस्था में जाते हैं तो वह ब्रह्मांड का पहला पड़ाव है. सहस्त्र दल कमल. वहां साधक ब्रह्म प्रकाश एवं ब्रह्मनाद की अनुभूति प्राप्त कर वह परम आनंद को प्राप्त करते हैं. भगवान रामचंद्र जी ने भी कहा कि भाग्य से हमें मनुष्य का शरीर मिला है. यह तन साधनों का धाम है. इसमें मोक्ष का द्वार भी है. यह शरीर एक नाव की तरह है.
इस नाव के खेवनहार संत सद्गुरु हैं. वहीं अनुकूल हवा परमात्मा की कृपा है. 84 लाख योनियों में जीव घूमते रहते हैं. अकारण स्नेह करनेवाले परमात्मा हमें मनुष्य शरीर ईश्वर का भजन करने के लिए प्रदान करते हैं. मौके पर गोपाल गोपी ने एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया. जबकि रमेश रामदास ने कार्यक्रम में स्वागत गीत प्रस्तुत किया. मंच का संचालन ओम प्रकाश मंडल द्वारा किया गया.

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