जिस अस्पताल में जिंदगी गुजारी, उसी ने छीन ली बेटी
रहनेवाले मनोहर वर्मा की 30 वर्षीया बेटी कोमल देवी प्रसव पीड़ित थी. वह दूसरी बार मां बनने जा रही थी. उसका पहला बच्चा भी सिजेरियन हुआ था. रविवार की रात नौ बजे कोमल को प्रसव पीड़ा हुआ, तो परिजन सीधे एक निजी क्लीनिक में ले गये. पर उस क्लीनिक में रात्रि सेवा उपलब्ध नहीं थी. […]
रहनेवाले मनोहर वर्मा की 30 वर्षीया बेटी कोमल देवी प्रसव पीड़ित थी. वह दूसरी बार मां बनने जा रही थी. उसका पहला बच्चा भी सिजेरियन हुआ था. रविवार की रात नौ बजे कोमल को प्रसव पीड़ा हुआ, तो परिजन सीधे एक निजी क्लीनिक में ले गये. पर उस क्लीनिक में रात्रि सेवा उपलब्ध नहीं थी. 11 बजे रात को वे बेटी को लेकर सदर अस्पताल गये. प्रसव कक्ष के बाहर ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने सारी जानकारी लेने के बाद कहा कि पहला बच्चा सिजेरियन हुआ है तो दूसरा भी इसी तरह से होगा,
ऐसी संभावना है. लिहाजा नर्स के कहने पर अस्पताल के दो कर्मी ऑन कॉल ड्यूटी पर रहनेवाली महिला चिकित्सक श्वेता बाखला के आवास पर गये. पर रात में आवाज देने के बाद भी डॉक्टर की नींद नहीं टूटी. इस बीच अस्पताल में महिला की हालत बिगड़ने पर रात्रि ड्यूटी में मौजूद चिकित्सक ने तुरंत ऑपरेशन की आवश्यकता बतायी.
तत्काल उसे स्लाइन भी दिया गया, पर दर्द से वह तड़पती रही. परिजनों के अनुरोध पर दोनों कर्मी फिर डॉक्टर को बुलाने दुबारा गये. पड़ोसी की नींद टूट गयी, पर डॉक्टर की नींद न टूटी. उन्होंने कर्मियों को ही रात में ऐसे आवाज देकर दूसरों की नींद खराब करने की बात कहकर फटकार लगाकर भगा दिया. इसी बीच कोमल की जान चली गयी.