30 बेड वाले सीएचसी में महिला डॉक्टर भी नहीं

82 में से मात्र 46 एएनएम से चलाया जा रहा काम सीएचसी के अधीन 29 एडीशनल सीएचसी हैं गोड्डा/बोआरीजोर : जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र बोआरीजोर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. स्वास्थ्य केंद्र में मैन पावर के साथ ही इंफ्रास्ट्रकचर की काफी कमी है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2018 4:20 AM

82 में से मात्र 46 एएनएम से चलाया जा रहा काम

सीएचसी के अधीन 29 एडीशनल सीएचसी हैं
गोड्डा/बोआरीजोर : जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र बोआरीजोर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. स्वास्थ्य केंद्र में मैन पावर के साथ ही इंफ्रास्ट्रकचर की काफी कमी है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है. तीस बेड वाले इस अस्पताल में तीन चापाकल की जरूरत है, मगर एक भी नहीं है. एक चापाकल ओपीडी के पास, दूसरा चिकित्सक क्वार्टर व तीसरा स्टॉफ क्वार्टर में लगाने की जरूरत है. लेकिन, इस दिशा में विभाग व जन प्रतिनिधि उदासीन हैं.
इस कारण मरीजों व कर्मियों को दूसरी जगह से पानी लाना पड़ रहा है. तेज धूप व उमस भरी गर्मी ने मरीजों के साथ उनके परिजनों की परेशानी बढ़ा दी है. पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. सुदूर गांव के लोग सीएचसी में इलाज कराने आते हैं.
चहारदीवारी नहीं होने से मरीज परेशान
लाखों रुपये खर्च का सीएचसी का भवन तो दिया गया, लेकिन चहारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया है. इस कारण सीएचसी के पास जब साप्ताहिक हाट लगता है तो मरीजों व कर्मियों को परेशानी झेलनी पड़ती है.
डॉक्टरों के आठ पद स्वीकृत, तीन से चलाया जा रहा काम
इस अस्पताल में स्वीकृत पद आठ होने के बाद भी तीन डॉक्टरों से ही काम चलाया जा रहा है. पांच डॉक्टरों का पद वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है. डॉ जेसी निरंजन, बीपी चौधरी व अजीतेष कुमार मरीजों का इलाज कर रहे हैं. सीएचसी में औसतन प्रतिमाह 50 से 60 प्रसूता का प्रसव कराया जाता है. लेकिन एक भी लेडी डॉक्टर नहीं है. ए ग्रेड नर्स, रेगुलर व अनुबंध एएनएम प्रसव का कार्य करा रही हैं. सीएचसी के अंतर्गत कुल 29 एडिशनल सीएचसी हैं. एक एएनएम के भरोसे 18 एडिसनल सीएचसी चल रहा है.
जबकि हर सेंटरो पर दो एएनमए का होना जरूरी है.
सीएचसी सहित दोनों क्वार्टर में चापाकल लगाने के लिए कई बार पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक में मामले को प्रमुखता से रखा गया. बीस सूत्री की बैठक में भी चापाकल की समस्या को रखा गया. यहां तक की पंसस की बैठक में चापाकल को लगाने का प्रस्ताव भी लिया गया. इसके बाद भी कोई पहल नहीं की गयी. डॉक्टर व एएनएम की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है. सरकार व विभाग की ओर से ही कुछ किया जा सकता है.
– डॉ जेसी निरंजन, चिकित्सा प्रभारी

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