गोड्डा : संताल परगना में आदिवासी और गैर-आदिवासी को जिस गेंजर सेटलमेंट के आधार पर अधिकार मिला है, उसी तरह स्थानीय नियोजन में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी में शत-प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. उक्त बातें शिबू सोरेन ने शुक्रवार को गोड्डा के किसान भवन में प्रेस को संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने गेंजर सेटलमेंट को परिभाषित करते हुए कहा कि सरकार यहां के खतियानी रैयतों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में शत-प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर रही है. इसके बाद राज्य में रहनेवाले सभी झारखंडी होंगे. उन्होंने स्थानीय नीति और खतियानी रैयत मामले पर अलग-अलग फॉर्मूला देने के संकेत दिये.
भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए गुरुजी ने कहा कि पूर्व की सरकार पांच वर्षों में जेपीएससी की एक भी परीक्षा आयोजित नहीं कर पायी और न ही एक नियोजन हुआ. राज्य के छात्रों से केवल परीक्षा शुल्क वसूला गया. राज्य से मेधावी विद्यार्थी पलायन कर गये. मजदूर और किसान भी अन्य राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करते रहे. आज राज्य में हेमंत की सरकार है. हमारी ओर से बहाना नहीं चलेगा, केवल काम करना होगा.
एनआरसी पर बोले : शिबू सोरेन ने एनआरसी मुद्दे पर कहा कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक होगी. कार्यकारिणी के सभी सदस्यों के साथ मामले पर विचार-विमर्श करने के बाद सरकार की ओर से लागू करने या नहीं करने को लेकर निर्णय लिया जायेगा.
क्या है गेंजर सेटलमेंट
अंग्रेजों के शासन काल में संताल परगना की जमीन का मुआवजा तय करने के लिए बंदोबस्त सर्वेक्षण (सेटलमेंट) किया गया था. पहला सेटलमेंट 1872 में तत्कालीन उपायुक्त ब्राउन वुड ने कराया. दूसरा सेटलमेंट मैकफर्सन का था, जो 1898 से 1905 के बीच चला. तीसरा सेंटलमेंट 1922 से 1935 तक चला, जिसे अंग्रेज प्रशासक गेंजर ने पूरा कराया था. इसलिए इसे गेंजर सेटलमेंट कहा जाता है. इन सभी सेटलमेंट में जमीन के रैयतों के नाम हैं.
बोले शिबू सोरेन
-थर्ड व फोर्थ ग्रेड की नौकरी में गेंजर सेटलमेंट के आधार पर मिलेगा आरक्षण
-स्थानीय नीति और खतियानी रैयत मामले पर अलग-अलग फार्मूले के संकेत दिये