वर्षो से बाबा लोगों में भरता था अंधविश्वास
गोड्डा : बसंतराय प्रखंड के सांझपुर साखी का एक गांव मोकलचक जिसकी प्रसिद्धि से मोकलचक के साथ धाम जुड़ गया है. धाम के पुजारी है बाबा बिहारी सिंह उर्फ बिहारी भगत. इस बाबा की प्रसिद्धि में गुरुवार को लोगों को आस्था पर बड़ा झटका, जब एक महिला ने बाबा पर यौन शोषण का आरोप लगाया. […]
गोड्डा : बसंतराय प्रखंड के सांझपुर साखी का एक गांव मोकलचक जिसकी प्रसिद्धि से मोकलचक के साथ धाम जुड़ गया है. धाम के पुजारी है बाबा बिहारी सिंह उर्फ बिहारी भगत. इस बाबा की प्रसिद्धि में गुरुवार को लोगों को आस्था पर बड़ा झटका, जब एक महिला ने बाबा पर यौन शोषण का आरोप लगाया.
कौन है बाबा
बिहारी सिंह मोकलचक का रहने वाला है. 14 वर्ष पहले वह अपने घर स्थित बाबा विषहरी के मंदिर में पूजन के बाद अचानक देवता तथा हुनमान जी के भाव आने की बात कहने लगे. यह बात गांव के लोगों के बीच फैल गयी. साथ ही बाबा चमत्कार से भूत, तंत्र–मंत्र या काला जादू को भी समाप्त कर देते है.
इसके बाद बाबा अब हर मंगल को धाम लगाने लगे. पहले कुछ लोगों के बाद धीरे–धीरे हजारों की संख्या में झारखंड व बहार के कटिहार, पूर्णिया, मुंगेर, भागलपुर आदि स्थानों से लोग आने लगे और बाबा की चांदी कटने लगी.
लड़किया नाचती थी
बाबा की ओर से अंध विश्वास का बड़ा खेल खेला जाता था. उनके साथ चार फुलधरिया जिसे सहयोगी बताया जा रहा है नीलकंठ राय, दिलीप सिंह, हितलाल मुमरू, पुतुल रजक, मुनना चौधरी ने बाबा की हर बात को मानता था. बाबा का दावा था कि मंगलवार की रात वे अपने तंत्र शक्ति से भूत का भी दर्शन करा सकते है. हर मंगलवार को आस्था से जुड़े लोगों की भीड़ के समक्ष लड़कियां नृत्य करती थी.
50 हजार से अधिक का चढ़ता था चढ़ावा
मोकलचक धाम में सावन पूर्णिमा के दिन हर वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में करीब दो से तीन हजार लोग आते थे. धाम में मिट्टी के पात्र में चढ़ावा के साथ अपनी क्षमता के अनुरूप दो से हजार के साथ मन्नत मांगने वाले बकरा चढ़ाते हैं.
यहां बकरे की बलि नहीं दी जाती है, बल्कि बकरे को बाबा अपने पास रखते है. ग्रामीणों के अनुसार हर साल करीब दो से तीन सौ बकरा बाबा व्यापारी को बेचा करते थे.