मशरूम की खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
अदाणी फाउंडेशन की ओर से 35 महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण
गोड्डा जिले के विभिन्न गांव में रहने वाली महिलाएं भी अब अपनी आय दोगुणी करने की तैयारी में है. महिलाओं की आय को बढ़ाने, आत्मनिर्भर बनाने को लेकर अदाणी फाउंडेशन की ओर से मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. शुरूआत अदाणी पावर प्लांट के समीपवर्ती गांव मोतिया में किया गया है. यहां करीब 35 से अधिक स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आरंभ किया गया. विशेषज्ञ प्रशिक्षक मनीष कुमार व सोनू कुमार ने महिलाओं को मशरूम की खेती के विभिन्न पहलुओं के साथ उत्पादन से होनेवाले लाभ के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें मुख्यतः तीन अलग-अलग प्रकार के मशरूम की जानकारी दी गयी, जिसमें मिल्की, ऑयस्टर और बटन मशरूम शामिल होने के बारे में बताया. ऑयस्टर मशरूम की खेती बहुत आसान और सस्ते होने की बात कही गयी. दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण अधिक होने के बारे में कही गयी. मशरूम की अच्छी बात किसान सुखाकर भी बेच सकते हैं. इसका स्वाद भी अन्य मशरूमों की तुलना में बढ़िया होता है. मशरूम की खेती कर महिलाएं सालों भर कम लागत से अधिक मुनाफा कमा सकती हैं. मशरूम के एक बैग को तैयार करने की लागत 50 रुपये बताया गया, जिसे बेचकर एक महिला प्रतिदिन 200 से 300 रुपये की मुनाफा कर सकती हैं. औसतन हर माह पांच से छह हजार रुपये की आमदनी कर पायेगी. इस दौरान महिलाओं को मशरूम की खेती के साथ आर्थिक फायदे के लिए मशरूम को बाजार में बेचने के माध्यमों की जानकारी दी. इस दौरान अदाणी फाउंडेशन के अधिकारियों व पंचायत समिति के गणमान्य सदस्य भी मौजूद थे. अदाणी फाउंडेशन के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम कई गांवों में अगले 10 दिनों तक चलाकर करीब 500 महिला किसानों को जोड़ने का काम किया जायेगा, ताकि गांव में रहने वाली महिलाओं को रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़कर आजीविका के साधनों में वृद्धि करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
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