महगामा के मिनी कॉम्प्लेक्स में दुकान आवंटन के नाम पर मनमानी

महगामा : महगामा के अस्पताल के पास जिला परिषद की ओर से आधारभूत संरचना के तहत निर्मित दुकान के आवंटन में गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है. दुकानों के आवंटन में भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गयी है. दुकान का आवंटन स्वयं सहायता समूहों के बीच किया जाना था पर इसकी अनदेखी करते हुए संपन्न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2015 8:36 AM
महगामा : महगामा के अस्पताल के पास जिला परिषद की ओर से आधारभूत संरचना के तहत निर्मित दुकान के आवंटन में गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है. दुकानों के आवंटन में भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गयी है. दुकान का आवंटन स्वयं सहायता समूहों के बीच किया जाना था पर इसकी अनदेखी करते हुए संपन्न परिवारों को इसका लाभ दे दिया गया.
क्या है मामला : दुकान का निर्माण आधारभूत संरचना फंड के आठ लाख की राशि से किया गया था. दुकान का लाभ बेरोजगार स्वयं सहायता समूहों को दिया जाना था. इसका उल्लेख पत्र में किया गया था. लेकिन दुकान का निर्माण किये जाने के बाद ही बिचौलियागिरी शुरू हो गयी और देखते ही देखते दुकान का आवंटन मनमाने ढंग से कर दिया गया. दुकानों का आवंटन 31 जनवरी 2014 को जिला विकास अभिकरण के ओर से किया गया था. स्वयं सहायता समूह की महिला नूरजहां बेगम ने मामले को प्रमुखता से उठाया है.
उन्होंने बताया कि दुकान संख्या 15 का आवंटन उनके नाम पर किया गया था. सूची में नाम भी है. लेकिन दुकान का आवंटन किसी अन्य के नाम पर कर दिया गया. साथ ही कुछ ऐसे लोगों के नाम पर भी दुकान का आवंटन किया गया है जो सूची में कहीं नहीं थे. साथ ही संपन्न तबके के लोगों के नाम भी दुकान आवंटित किये जाने का आरोप लगाया है.
वहीं एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर गलत तरीके से तीन दुकानों को आवंटित कर दिया गया है , जो जांच का विषय बनता है. कुछ दुकानों को सही ढंग से आवंटित भी किया गया है तो दुकान का संचालन कोई और कर रहा है. जिसकी जांच क राये जाने की मांग उन्होंने की है.
पूर्व विधायक राजेश रंजन ने उठाया था मामला
पूर्व विधायक राजेश रंजन ने दुकानों के आवंटन में हुए फर्जीवाड़ा का मामला उठाया था. उपविकास आयुक्त को इस पर जांच कराकर कार्रवाई किये जाने की बात बतायी थी. पूर्व विधायक राजेश रंजन ने आवेदकों को हुए आवंटन को दरकिनार कर गलत ढंग से दूसरे लाभुकों को नजायज ढंग से लाभ पहुंचाये जाने की जानकारी उपविकास आयुक्त को दी थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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