पति ने पत्नी को छोड़ा!

गोड्डा : एक तरफ हमारे देश में देवी दुर्गा, लक्ष्मी की पूजा की जाती है वहीं कई क्षेत्राें में आज भी लड़की पैदा लेने पर शोक मनाया जाता है. इस आधुनिक युग में दुनिया कहां से कहां बढ़ गयी. लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है. आज भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 3, 2015 6:44 AM

गोड्डा : एक तरफ हमारे देश में देवी दुर्गा, लक्ष्मी की पूजा की जाती है वहीं कई क्षेत्राें में आज भी लड़की पैदा लेने पर शोक मनाया जाता है. इस आधुनिक युग में दुनिया कहां से कहां बढ़ गयी. लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है. आज भी गाहे-बगाहे लड़का-लड़की में भेदभाव जैसी सामाजिक विषमता देखने को मिल जाती है.

बड़े शहरों में तो फिर भी लोगों की मानसिकता में काफी बदलाव आया है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी वहीं स्थिति है. आज भी देश में लड़की पैदा होने पर लोग जन्म देने वाली माता को कोसते हैं और तरह-तरह की यातनाएं देते हैं. आज भी हमारे देश में पूर्ण रूप से महिलाओं को समानता नहीं मिली है.

ऐसा ही वाक्या सोमवार को गोड्डा में देखने को मिला. जिसमे गोड्डा जिला के केंदुवा गांव की रहने वाली अलबीना मुर्मू को बिटिया जन्म देने की सजा मिली है. डेढ़ साल की बिटिया राधिका किस्कू के साथ अलबीना अपने पति सुनील किस्कू का इंतजार कर रही है. ससुरालवालों ने पहले से ही उससे मुंह मोड़ लिया था. अब पति ने भी साथ छोड़‍ दिया है.

क्या है मामला

अलबीना मुर्मू के मुताबिक उसकी शादी रजौन गांव के डटिया टोला निवासी सुनील किस्कू से तीन वर्ष पूर्व हुई थी. आदिवासी रीति-रिवाज से दोनों ने विवाह रचाया था. शादी के डेढ़ वर्ष के बाद दोनों को एक बेटी हुई. बिटिया के जन्म लेने के बाद पति उससे दूरी बनाने लगा. अलबीना ने बताया कि बिटिया के कुपोषण की चपेट में आने के बाद 27 अक्तूबर को सुनील किस्कू ने पत्नी व बेटी को पथरगामा कुपोषण उपचार केंद्र में पहुंचाया. उसके बाद से आज तक पत्नी व बेटी की सुधि लेने सुनील केंद्र नहीं पहुंचा है. इस कारण अलबीना मुर्मू काफी परेशान है. उसे इस बात की चिंता सता रही है कि पहले से ही ससुराल वाले उसे ससुराल में नहीं रखा और अब पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया है.

क्षतिपूर्ति की राशि नहीं दी गयी

अलबीना मुर्मू ने बताया कि अभी उसके पास मात्र 10 रुपये हैं. कुपोषण केंद्र से उसे कोई राशि भी नहीं दी गयी है. बता दें कि कुपोषण केंद्र में इलाजरत बच्चों के माता को क्षतिपूर्ति के लिये स्वास्थ्य विभाग के एनएचएम की ओर से प्रतिदिन के हिसाब से दो सौ रुपये दी जाती है. सात दिनों से कुपोषण केंद्र में बिटिया के साथ अलबीना रह रही है. कुपोषण उपचार केंद्र में एएनएम निर्मला, सावित्री व पिंकी बच्चों की देखरेख कर रही हैं.

केंद्र में इलाजरत कुपोषित बच्चों के माता को प्रतिदिन Hक्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश दिया गया है. एमओआइसी से मामले में जानकारी ली जायेगी.

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