स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं

उदासीनता. सिमरिया पूर्वी टोला में मूलभूत सुविधाओं का अभाव आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी सोनारचक पंचायत के सिमरिया पंडित टोला का विकास नहीं हो पाया है. गांव में स्कूल नहीं रहने से बच्चे ढ़ाई किलोमीटर दूरी तय कर रांगा जाकर पढ़ाई करते हैं. ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से इस दिशा में पहल की मांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2016 2:46 AM

उदासीनता. सिमरिया पूर्वी टोला में मूलभूत सुविधाओं का अभाव

आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी सोनारचक पंचायत के सिमरिया पंडित टोला का विकास नहीं हो पाया है. गांव में स्कूल नहीं रहने से बच्चे ढ़ाई किलोमीटर दूरी तय कर रांगा जाकर पढ़ाई करते हैं. ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से इस दिशा में पहल की मांग की है.
पथरगामा : राज्य सरकार भले ही योजना बनाओ अभियान के तहत हर गांव को बुनियादी सुविधाओं से लैस करने का दावा कर रही है. पर धरातल पर कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी प्रखंड के सोनारचक पंचायत अंतर्गत सिमरिया पूर्वी पंडित टोला कई बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है. 400 की आबादी वाले इस टोले में न तो सरकारी विद्यालय है और न ही आंगनबाड़ी केद्र. ऐसे में पंडित टोले के बच्चे ढ़ाई किलोमीटर की दूरी तय कर रांगाटांड़ प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने जाने के लिए मजबूर है.
ग्रामीण अजय पंडित, लक्खीराम पंडित, विष्णु पंडित, जयकांत पंडित, सिकंदर पंडित, रावण पंडित, हीरा लाल यादव, बद्री मिर्घा, परमानंद राय, वसंत पंडित आदि ने बताया कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लाखों रुपये खर्च कर रही है. पर इतनी बड़ी आबादी वाले टोले में न तो सरकारी स्कूल है और न ही आंगनबाड़ी केंद्र. बच्चे स्कूल की अधिक दूरी होने के कारण दूसरे गांव पढ़ने जाने से कतराते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि किस खता की सजा हम लोग भुगत रहे हैं. समझ में नहीं आता है. ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों से इस दिशा में पहल करने की मांग की है.
पीसीसी सड़क भी नसीब नहीं
टोले के अंदर पीसीसी सड़क भी नहीं है. बरसात में बिजली के पोल के सहारे गांव में आना-जाना करते हैं. टोला में कहने को तो एक वर्ष पूर्व नाल बनाया गया था. पर 100 फीट बननेवाले नाला को 60 फीट बना संवेदक आध अधूरा छोड़ दिया है. टोला में पांच कुएं हैं, जो इन दिनों सूखे नजर आ रहे है. बता दें कि कुआं के काफी पुराना हो जाने से ईंट उखड़ता नजर आ रहा है. संक्रमण के भय से ग्रामीण कुएं का पानी नहीं पीते हैं. वृद्धा पेंशन की बात करें तो 70 वर्षीय बसंत पंडित, 80 वर्षीय मधु पंडित सहित कई जरूरतमंद वृद्ध पेंशन के लाभ से वंचित हैं.

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