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किसानों का धरना प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी

नदी से अवैध बालू उठाव का कर रहे विरोध एसडीओ ने की वार्ता, कार्रवाई का दिया आश्वासन गोड्डा : सदर प्रखंड के जमनी के पास किसानों का धरना मंगलवार को भी जारी रहा है. किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने बालू उठाव के विरुद्ध धरना पर बैठे रहे. मंगलवार को धरना का नैतिक […]

नदी से अवैध बालू उठाव का कर रहे विरोध

एसडीओ ने की वार्ता, कार्रवाई का दिया आश्वासन
गोड्डा : सदर प्रखंड के जमनी के पास किसानों का धरना मंगलवार को भी जारी रहा है. किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने बालू उठाव के विरुद्ध धरना पर बैठे रहे. मंगलवार को धरना का नैतिक समर्थन मारखन पंचायत के मुखिया दिनेश यादव, निपनिया पंचायत के मुखिया संजय महतो, सरौनी पंचायत के मुखिया राजेश साह द्वारा दिया. इस दौरान किसान संघर्ष समिति के संस्थापक मनोज कुमार कुशवाहा, मदन मंडल, दीपनारायण यादव, अखिलेश्वर कापरी, रवि शंकर, संतोष कुमार सिंह, कार्तिक राणा, विद्याधर महतो, राजू महतो, लालचंद बैद्य, नीलकंठ बैद्य आदि उपस्थित थे.
धरना पर बैठे िकसान.
देर शाम में पहुंचे एसडीओ
देर शाम एसडीओ सौरभ कुमार सिन्हा व जिला खनन पदाधिकारी रामनाथ राय द्वारा धरना स्थल पर पहुंच कर किसानों को समझाया. एसडीओ ने किसानो को आश्वस्त कराते हुए कहा कि किसानों की मांगों को प्रसाशन ने गंभीरता से लिया है. उचित कार्रवाई की जायेगी.
बुधवार को किसान करेंगे धरना समाप्त
संस्थापक श्री कुशवाहा ने बताया कि एसडीओ के आश्वासन पर किसानों ने निर्णय लिया है कि बुधवार को जमनी पहाड़पुर पंचायत भवन में आम सभा कर किसान अपनी धरना को स्थगित करेंगे. अगर बालू उठाव पर पूरी तरह से रोक लगाने की प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की गयी तो कभी भी किसान सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे.
पांच वर्ष में उखड़ने लगा करोड़ों का पुल
बदहाली Â भारी वाहनों के परिचालन से पुल की स्थिति हुई खराब
गोड्डा-सुंदरपहाड़ी पथ की लाइफ लाइन मानी जानेवाला जमनी पुल का सूरत बिगड़ गया है. मरम्मत व देखरेख के अभाव में पुल खतरनाक हो गया है. पथ निर्माण विभाग द्वारा शीघ्र मरम्मत नहीं कराया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है.
सड़क निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी के कारण गोड्डा-सुंदरपहाड़ी मार्ग में महज पांच वर्ष पहले बना पुल उखड़ने लगा है. जमनी पुल इस मार्ग की लाइफ लाइन मानी जाती है.
पथ निर्माण विभाग द्वारा करीब दस करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था. टेंडर वर्क के तहत पुल का निर्माण कार्य कराया गया है. इस पुल से प्रतिदिन हजारों वाहनों का परिचालन होता है. जिला मुख्यालय को छोड़ने के बाद सरकंडा से होकर सुंदरपहाड़ी तक जाने में एक मात्र बड़ा पुल है. जमनी के पास करोड़ों की लागत से ये पुल बनाया गया था. पुल के कई स्थानों पर सीमेंट के उखड़ने से छड़ दिखायी देने लगा है. क्षेत्र वासियों ने बताया कि बड़ी मुद्दत के बाद पांच साल पहले इस पुल का निर्माण हुआ था. लेकिन इतने कम वर्षों में पुल का ये हाल हो जायेगा.
भारी वाहनों के परिचालन से बिगड़ी सूरत
क्षेत्र के लोगों ने बताया कि इस पुल पर भारी वाहनों के परिचालन के कारण पुल की सूरत बिगड़ गयी है. गोड्डा से सुदंरपहाड़ी के रास्ते पाकूड़ आदि स्थानों के लिए मेटल व बालू लदे ओवर लोड वाहनोें ने इतनी जल्द पुल का नक्शा बिगाड़ दिया है. रोजाना सैकड़ों हाइवा व ट्रकों के चलने से पुल खतरनाक हो गया है. स्थिति ऐसी है कि बाइक चालक जरा सी भी लापरवाही बरतेंगे तो मौत सामने आ जायेगी.
विकास करायें, नक्सलमुक्त हो जायेगा सुंदरपहाड़ी
नक्सल प्रभावित इलाकों में अगर सड़कें गुणवत्तापूर्ण व सुंदर बन जायेगी. आवाजाही का साधन सुलभ हो जायेगा तो सुंदरपहाड़ी से नक्सली स्वत: भाग जायेंगे. सुंदरपहाड़ी को नक्सल मुक्त इलाका बनाने के लिए सड़कों का विकास करना जरूरी है. सड़कें सुलभ हो जायेगी तो नक्सली किसी भी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से पहले सोचने पर मजबूर हो जायेंगे.
” पुल उखड़ने लगा है. इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देने की जरूरत है. नहीं तो आनेवाले दिनो में स्थिति और भी खराब हो सकती है.”
– राजेश कुमार
” ओवरलोड हाइवा के परिचालन के कारण पुल की स्थिति खराब होने लगी है. जिस स्थान से सीमेंट उखड़ने लगा है. वहां अब गड्ढा भी होने लगा है. ”
– प्रमोद यादव
” ओवरलोड वाहनों के बेरोकटोक परिचालन से पुल की स्थिति खराब हो रही है. क्षमता से अधिक वाहनों पर कार्रवाई करने की जरूरत है.
– बबलू मांझी
” पुल की स्थिति खराब होने लगी है. कोई देखने वाला नहीं है. पुल के मामले में प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई की आवश्यकता आन पड़ी है.”
– मदन कुमार
जीएसबी उखड़ा, दिखने लगे छड़
पुल के ऊपरि हिस्से का जीएसबी पूरी तरह उखड़ गया है. पुल के बीच में एक फीट गड्ढा हो गया है और छड़ दिखाये देने लगा है. विभागीय नियम के अनुसार पांच वर्ष तक मरम्मत करने का जिम्मा संवेदक को होता है. पर कार्य पूरा होने के बाद संवेदक द्वारा मरम्मत नहीं किया गया. नतीजा पुल खतरनाक बनते जा रहा है.

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