कंपनी के 11 वाहनों को किया नजरबंद

आक्रोश . एमजी कंस्ट्रक्शन के विरोध में चांसर के ग्रामीणों ने खोला मोरचा बिना मुआवजा दिये सड़क निर्माण कार्य शुरू करने पर सोमवार को रैयत भड़क गये. कंपनी पर मनमानी का आरोप लगाते निर्माण कार्य बंद करा दिया. बोआरीजोर : पूर्व में कंपनी को कई बार अल्टीमेटम दिये जाने के बाद आखिरकार चांसर के ग्रामीणोंं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2016 5:44 AM

आक्रोश . एमजी कंस्ट्रक्शन के विरोध में चांसर के ग्रामीणों ने खोला मोरचा

बिना मुआवजा दिये सड़क निर्माण कार्य शुरू करने पर सोमवार को रैयत भड़क गये. कंपनी पर मनमानी का आरोप लगाते निर्माण कार्य बंद करा दिया.
बोआरीजोर : पूर्व में कंपनी को कई बार
अल्टीमेटम दिये जाने के बाद आखिरकार चांसर के ग्रामीणोंं का सब्र का बांध टूट गया. सोमवार को चांसर के ग्रामीण गोलबंद होकर एमजी कंस्ट्रक्शन के विरोध में मोरचा खोल दिया है. ग्रामीणों ने कार्रवाई करते कंपनी के 11 वाहनों को नजरबंद भी कर लिया है. सभी वाहनें चांसर गांव में खड़ी है.
क्या है पूरा मामला : ग्रामीणों ने जिप सदस्य बाबूलाल मरांडी व जिप सदस्य रामजी साह के प्रतिनिधि सुजीत कुमार के साथ बैठक कर मामले की जानकारी दी. बताया कि कंपनी की ओर से घोरीचक से बोआरीजोर तक सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है. सड़क निर्माण कार्य में करीब 25 से 30 एकड़ जमीन रैयतों की ली गयी है. कंपनी मनमानी करते बिना मुआवजे दिये ही सड़क निर्माण कार्य करा रही है. इसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. जब तक मुआवजा दिये जाने की प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है. सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गयी है. रैयतों ने गांव में बैठक कर आगे की रणनीति बनाते बताया कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक काम शुरू नहीं करने दिया जायेगा. इस पर सभी ने सहमति जताते कंपनी के खिलाफ आक्रोश जताया.
कंपनी के खिलाफ बैठक कर आगे की रणनीति बनाते ग्रामीण.
मुआवजा देने की प्रक्रिया पीडब्लूडी विभाग में स्वीकृति के लिए गयी है. स्वीकृति मिल जाने के बाद मुआवजा दिया जायेगा.”
-अमित कुमार, साइट इंचार्ज.
ग्रामीणों की ओर से वाहनों को रोका गया है. मामला को देखा जा रहा है. बहुत जल्द मामले को सुलझा लिया जायेगा.”
-पवन कुमार झा, थाना प्रभारी
आठ माह से चल रहा था विरोध
सड़क निर्माण के लिए कंपनी की ओर से आठ माह पूर्व जमीन की मापी करने के बाद रैयतों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया था. उसके बाद कई बार ग्रामीणों की ओर से आवाज बुलंद करने पर मुआवजा दिये जाने का आश्वासन कंपनी ने दिया. आठ माह से इस मामले में विरोध जारी था. कंपनी आश्वसन की घूंट रैयतों को पिलाकर बरगलाने का काम कर रही है. कारण ग्रामीण पूरी तरह से कंपनी के विरोध में आंदोलन शुरू किया है.
”ग्रामीणों के हक की लड़ाई है. बिना मुआवजा दिये ही कंपनी जबरन काम करा रही है. जो ठीक नहीं है. जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा. तब तक कार्य बंद रहेगा.”
-बाबूलाल मरांडी, जिप सदस्य.

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