10 दिनों से पड़ रही थी मौत की दरारें
गोड्डा : खदान में पिछले दस दिनों से दरारें पड़ रही थीं. कर्मियों का कहना है कि उन्होंने चेताया भी था. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और गुरुवार को जबरन काम चालू करा दिया गया. महालक्ष्मी खनन कंपनी गुजरात की है. यहां खनन कार्य में काम कर रहे एक भी लोग स्थानीय नहीं थे. […]
गोड्डा : खदान में पिछले दस दिनों से दरारें पड़ रही थीं. कर्मियों का कहना है कि उन्होंने चेताया भी था. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और गुरुवार को जबरन काम चालू करा दिया गया. महालक्ष्मी खनन कंपनी गुजरात की है. यहां खनन कार्य में काम कर रहे एक भी लोग स्थानीय नहीं थे. सभी गुजरात, बिहार, यूपी व झारखंड के गढ़वा व रामगढ़ इलाके के थे. मलवा में दबे सकील खान के परिजन मो सरफराज ने बताया कि गुरुवार शाम सात बजे घटना हुई है.
लेकिन सलील का कोई अता पता नहीं है. कंपनी का कोई पदाधिकारी भी देखने तक नहीं आया है. वहां काम कर रहे कर्मी अलीम अंसारी, नाइट इंचार्ज चंद्रिका तिवारी ने बताया कि कंपनी के काम में लगे कोई भी लोग निबंधित नहीं थे. उन्हें वेतन भी मनमाना मिलता था, कभी दस हजार तो कभी बारह हजार. किसी कर्मी को बैंक खाते में तो किसी को हाथोंहाथ ही वेतन दे दिया जाता था. इसका कोई लेखा जोखा मौजूद नहीं था.