खदान हादसा को दफन करने के लिए चल रहा मैनेज का खेल!

गोड्डा : खदान हादसा के चार दिन बीत गये. अब तक इसीएल कोल माइंस में मारे गये मजदूरों को पूरी तरह से मुआवजा देने की दिशा में केवल कागजी खानापूर्ति की गयी है. एक ओर रेस्क्यू का खेल तमाशा देखा कर प्रबंधन व कंपनी पब्लिक की आंखों में धूल झोकने का काम कर रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2017 7:02 AM

गोड्डा : खदान हादसा के चार दिन बीत गये. अब तक इसीएल कोल माइंस में मारे गये मजदूरों को पूरी तरह से मुआवजा देने की दिशा में केवल कागजी खानापूर्ति की गयी है. एक ओर रेस्क्यू का खेल तमाशा देखा कर प्रबंधन व कंपनी पब्लिक की आंखों में धूल झोकने का काम कर रही है. दूसरी ओर कोल माइंस के बड़ी दुर्घटना को दबाने व दफन करने का बड़े पैमाने पर मैनेज सिस्टम का खेल चल रहा है. चार दिनों से प्रबंधन इस मामले को लेकर आंदोलन कर रहे बाबूओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है. सूत्रों की माने तो प्रबंधन की ओर से दो दिनों से गुप्त बैठक कर आंदोलन की चिंगारी देने वालों से सेटिंग की जा रही है.

यह बैैठक गुप्त तरीके से की जा रही है. प्रबंधन इस मामले को दबाने के लिए पहले ही आला अफसरों को बड़े पैमाने पर चढ़ावा चढ़ा चुका है. अब मामले में तूल नहीं पकड़े इस बात की तैयारी चल रही है. इधर, दुर्घटना में मारे गये वर्करों को ना तो प्रबंधन और ना ही कंपनी की ओर से कोई पहल की जा रही है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पूर्व में माइंस क्षेत्र में दुर्घटना में मारे गये मजदूरों को तत्काल मुआवजा के तहत तत्काल राहत के तौर पर दाह संस्कार के लिए मृतक के आश्रितों को एक लाख मुआवजा देने की प्रक्रिया थी

लेकिन इस बार के कोल माइंस के सबसे बड़े हादसा के बाद भी मारे गये मृतकों के आश्रितों को दाह संस्कार के तहत एक एक लाख का मुआवजा देने के मामले में मौन साधे हुए है. लोगों का कहना है कि मारे गये वर्कर सभी यूपी, एमपी आदि जगहों के होने से प्रबंधन व कंपनी संवेदनहीन हो गयी है. लेकिन इस पूरे प्रकरण पर गोड्डा के बुद्धिजीवियों की पैनी नजर बनी हुई है. देखने वाली बात होगी की कब तक इस मामले में कार्रवाई होती है.

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