मौत का प्वाइंट बन गया जीरो प्वांइट
छह माह पूर्व भी दो व्यक्ति की मौत हाइवा के चपेट में आने से हुई थी अब तक नहीं किया गया सेफ्टी का प्रबंधन गोड्डा : जीरो प्वांइट से प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग आवागमन करते हैं. खदान की ओर से आने वाली व लोडिंग प्वाइंट की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं. इसीएल की ओर से […]
छह माह पूर्व भी दो व्यक्ति की मौत हाइवा के चपेट में आने से हुई थी
अब तक नहीं किया गया सेफ्टी का प्रबंधन
गोड्डा : जीरो प्वांइट से प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग आवागमन करते हैं. खदान की ओर से आने वाली व लोडिंग प्वाइंट की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं. इसीएल की ओर से अब तक सेफ्टी को लेकर ना तो किसी प्रकार का कदम उठाया है और ना ही वहां फ्लाई ओवर का ही निर्माण कराया गया है. गत छह माह पूर्व तेतरिया गांव के एक व्यक्ति की मौत हाइवा के चपेट में आने से हुई थी . इससे पूर्व ही मोहनपुर खदहरा के एक व्यक्ति की भी जान कोयला लोड हाइवा के चपेट में आने से हुई थी. बड़ा सवाल यह कि बार-बार हो रही हादसे के बाद भी इसीएल प्रबंधन व आउटसोर्सिंंग कंपनी सचेत क्यों नहीं हो रही है.
अब्दुल रज्जाक की मौत से खुली रोड सेफ्टी व्यवस्था की पोल
नीमा कला गांव के 12 साल के अब्दुल रज्जाक की मौत ने कई सवाल खड़ा कर दिया है. जीरो प्वाइंट के पास रविवार की शाम नीमाकला वासी मो समीम के नौ बच्चों में दूसरे स्थान पर रज्जाक था. रज्जाक पास के ही मदरसा में तीसरी कक्षा में पढ़ता था. रज्जाक का बड़ा भाई मो हन्नान मिलकर अपने पिता की आर्थिक परेशानी को सलटने में मदद करता था. रज्जाक इस मामले में पिता को ज्यादा ही मदद करता था. रज्जाक से छोटे सात भाई-बहन की आस अपने इसी भाई से थी. मौत के बाद पिता व परिवार सममेत भाई बहन दहाड़ मार कर देर तक रोता रहा. कोयला खादान क्षेत्र की कालिख में ऐसी मौत ने एक और कलंक का धब्बा लग गया. इससे पहले 23 लोगों की मौत का मामला अभी तक लोगों को दहला चुका है. इस मौत ने फिर से इसीएल तथा आउट सोर्सिंग कंपनी के रोड सेफ्टी प्रबंधन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.