गरमी में बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचायें

प्रभात परिचर्चा. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जुनैद आलम ने कहा गोड्डा : गरमी में मौसम में बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या अधिक रहती है. इससे बचने के लिए बच्चे के शरीर में नमक की मात्रा कम नहीं होनी चाहिए. बच्चों को खाली पेट गरम दूध न पिलायें व ज्यादा देर तक खाली पेट न रहने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2017 4:05 AM

प्रभात परिचर्चा. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जुनैद आलम ने कहा

गोड्डा : गरमी में मौसम में बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या अधिक रहती है. इससे बचने के लिए बच्चे के शरीर में नमक की मात्रा कम नहीं होनी चाहिए. बच्चों को खाली पेट गरम दूध न पिलायें व ज्यादा देर तक खाली पेट न रहने दें. शनिवार को प्रभात परिचर्चा के दौरान शहर के जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जुनैद आलम ने मौसमी बीमारी से परेशान बच्चों के बचाव के उपाय पूछे.
सवाल: मेरा बच्चा घर का खाना नहीं खाता है,क्या करें.
-मो करीम, नूनाजोर
जवाब: आपके बच्चे को घर कर खाना पसंद नहीं है. सात साल के बच्चे को बाहर के चटपटी खाने की लत के कारण घर के पौष्टिक खाने को दरकिनार कर रहा है. सबसे पहले बाहरी चीजों को खाना बंद करें. शरीर के वजन को बढ़ाने के लिए ज्यादातर गुड़ से बनी भोजन को खिलायें.
सवाल: मेेरे पांच साल के बच्चे का सांस फूलता है.
जवाब: आपके बच्चे में जिस तरह का लक्षण दिख रहा है. यह चाइल्डहुड अस्थमा के लक्ष्ण है. डॉक्टर को दिखावें
सवाल: मौसम में किस तरह के खान-पान पर फोकस करना चाहिए
-मो किरमान, महगामा.
जवाब: बच्चे को सुबह के वक्त गरम दूध न पिलायें. बैलेंस डाइट दें. खास तौर पर अत्यधिक ठंड वाला पेय पदार्थ नहीं पिलायें.
सवाल : स्नोफिल से बचाव के लिए क्या करें.
-मो इमरान आलम
जवाब: मुख्य रूप से स्लोफिल के मरीजों को धूल आदि से परहेज करना आवश्यक है. खास तौर पर गरमी के इस मौसम में इस तरह के बीमारी से ग्रसित लोगों को अपने नाक के ऊपर रूमाल या मास्क लगा कर चलना चाहिए.
सवाल: बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या से निजात के लिए क्या करें.
-लोचन कुमार, गोड्डा
जवाब: गरमी के मौसम में बच्चों में खास कर डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए सॉल्ट युक्त पेय पदार्थ दें. आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक्स बच्चों में बुरा प्रभाव डालता है. घर से बाहर न जाने दें. बाहर जाने पर ओआरएस आदि घोल अवश्य दें
सवाल: छह साल के बच्चे के सिर में घाव है. बेहतर इलाज बतायें.
-मोनिका कुमारी, मेहरमा
जवाब: सबसे पहले बच्चों के सिर पर लगाये जानेवाले उस तेल का इस्तेमाल बंद कर दें, जो प्राय: इस्तेमाल में लाया जा रहा है. किटोकोनाजॉल नामक दवा की एक फाइल खरीद कर सप्ताह में दो बार एक माह तक दें.
सवाल: तीन साल का बच्चा है. गला से घर-घर की आवाज आती है.
-रविरंजन प्रसाद, मेहरमा
जवाब: आपके बच्चे के लक्षण के मुताबिक चाइल्डहुड अस्थमा से ग्रसित जान पड़ता है. हालांकि यह बीमारी आठ नौ वर्ष के बाद स्वत: बंद हो जाती है. इससे पहले बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
सवाल: इस मौसम में सबसे ज्यादा खतरनाक बीमारी बच्चों में क्या है
-तुलसीदास,गोड्डा.
जवाब: लू लगने के अलावा इस मौसम में मिजिल्स से बचाव आवश्यकता है. मिजिल्स के लिए वैक्सिन उपलब्ध है तथा सबसे पहले ऐसे लक्षण होने पर पर कम से कम पांच दिनों तक उसे आइसोलेट करें.
बचपन में होने वाला निमोनिया
निमोनिया से फेफड़े के ऊतकों पर असर होता है. इसका कारण आमतौर पर बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण होता है. वायरस से संक्रमण बहुत कम होता है. संक्रमण हवा से होता है. निमोनिया में फेफड़ों के किसी भाग में शोथ हो जाता है. इससे बच्चा तेज़-तेज़ सांस लेने लगता है. खांसी, बुखार और अन्य लक्षण जैसे भूख मरना, उल्टी और बहुत ज़्यादा कमज़ोरी हो जाती है. स्वस्थ बच्चे को निमोनिया नहीं होता. खसरे या किसी और श्वससन तंत्र की किसी वायरस से होने वाली बीमारी से ठीक हो रहे बच्चे, कुपोषित बच्चे, समय से पहले पैदा हुए बच्चे और कम वजन वाले बच्चों के निमोनिया के शिकार होने की संभावना अधिक होती है.
प्राथमिक उपचार
न्यूमोनिया है लेकिन गंभीरता के लक्षण नहीं, ऐसे में बच्चे को प्राथमिक उपचार काफी है. इसके लिये तीन सामान्य तथा सस्ती दवाईयां है. ये उपचार कोई स्वास्थ्य कर्मचारी भी कर सकता है. किन्तु उपचार के १-२ दिन बाद डॉक्टर से मिलना ठीक होगा. बुखार उतरने के लिये गुनगुने पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर पोंछ ले. पूरा शरीर पोंछ ले. सिर्फ माथा नहीं. बच्चे का खान-पान चालू रखने की कोशिश करे.

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