बेनेडिक के जेल से छूटने के बाद सुंदरपहाड़ी इलाके में बढने लगी आपराधिक घटनाएं
पुलिस के लिए बना सिरदर्द
गोड्डा जिले का सुंदरपहाड़ी प्रखंड करीब आठ साल पहले नक्सल गतिविधियों की वजह से सुर्खियों में रहा है. क्षेत्र में 2016 की घटना के बाद पुलिस के जोरदार अभियान की वजह से धीरे-धीरे यह क्षेत्र नक्सली गतिविधियों को लेकर शांत तो हो गया, मगर क्षेत्र में दूसरे अपराधियों की गतिविधि ने क्षेत्र को फिर से चर्चा में ला दिया. कई माह जेल में बंद रहने के बाद छूटकर सुंदरपहाड़ी पहुंचा बेनेडिक हेंब्रम ने क्षेत्र में लगातार लोगों के लिए तनाव बन गया है. इसके साथ ही पुलिस के लिए भी सरदर्द बढ़ाने का काम किया है. बताया जाता है कि बेनेडिक को पुलिस लगातार खोज रही थी. पुलिस को चकमा देकर बेनेडिक भाग निकलता था. बेनेडिक क्षेत्र का नामचीन अपराधी रामपतरास सोरेन के ही ग्रुप का गुर्गा बताया जाता है. क्षेत्र में रामपतरास को लोग पतरास के नाम से जानते हैं. पतरास का नक्सल गतिविधियों से जुड़ाव था. 2016 में पोड़ैयाहाट के समीप हाइवा व खादान में मशीन जलाने के मामले में शामिल नक्सली गतिविधि को लेकर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. नक्सल गतिविधि शांत हो जाने के बाद बेनेडिक आपराधिक घटनाओं को भी अंजाम देने का काम करता रहा है. बताया जाता है कि जेल से छूटने के बाद बेनेडिक पति-पत्नी राम पतरास के घर पर ही रात के वक्त रह रहा था.
2016 में हुई थी नक्सल घटना, दोनों मामलों की वजह रही ठेकेदारी
सुंदरपहाड़ी के डांगापाड़ा में हुए गोलीकांड की घटना में हरिनारायण पहाड़िया की मौत ने एक बार फिर 2016 के अक्तूबर माह में कटहलडीह में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की याद को ताजा कर दिया है. उस दौरान दो निर्दोश सुरक्षा जवान शहीद हो गये थे. इस घटना में हरिनारायण जैसे निर्दोश पहाड़िया आदिम जनजाति की जान चली गयी. 2016 में सुंदरपहाड़ी के कटहलडीह गांव में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी. इसका मुख्य कारण भी ठेकेदारी बताया गया था. आरइओ विभाग में कनीय अभियंता के पद पर कार्यरत गोड्डा के संवेदक के नाम पर सड़क निर्माण का काम सुंदरपहाड़ी के कटहलडीह में चल रहा था. इसी दौरान सुंदरपहाड़ी थाना के तत्कालीन थानेदार सत्येंद्र प्रसाद थे. नक्सलियों ने संवेदक से उस वक्त लेवी की डिमांड की थी. सूत्रों के मुताबिक संवेदक की ओर से कुछ फिरौती भी दी गयी थी. मगर पूरी राशि की डिमांड थी. इस क्रम में गांव में पहले से मौजूद नक्सली की सूचना पर सुरक्षा जवान के पहुंचते ही फायरिंग में दो पुलिस कर्मी शहीद हुए थे. जिला पुलिस बल का जवान सुरेंद्र साहा व एसएसबी का जवान आशीष कुमार वीरगति को प्राप्त हुए थे. निर्दोष के मौत का कारण भी ठेकेदारी मालूम हो कि गत दिनों गोड्डा-पथरगामा सड़क का निर्माण करा रहे एक ठेकेदार द्वारा मुंशी के अगवा किये जाने का मामला दर्ज कराया गया था. अपराधियों द्वारा ठेकेदार से रंगदारी की मांग की गयी थी. घटना को लेकर पुलिस अति उत्साह में थी. सुंदरपहाड़ी थाना की पुलिस अपराधी को पकड़ने डांगापाड़ा गयी थी. इसी क्रम में निर्दोष पहाड़िया पुलिस की गोली का शिकार हो गया.
सांसद डॉ निशिकांत दुबे की पहल पर पहाड़िया समुदाय के लोगों ने शव का किया अंतिम संस्कार
गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे का प्रभाव सुंदरपहाड़ी जैसे आदिवासी पहाड़िया क्षेत्र में भी देखा गया. उनके डांगापाड़ा पहुंचने के बाद जिला पुलिस प्रशासन को सहयोग मिला. पहाड़िया समुदाय के लोगों ने उनकी बातों को मानकर हरिनारायण पहाड़िया के शव का अंतिम संस्कार भी किया. क्षेत्र के पहाड़िया समुदाय व स्थानीय आदिवासी नेताओं की ओर से घटना को लेकर दिनभर सुंदरपहाड़ी से डांगापाड़ा तक जोरदार आंदोलन व विरोध कर रखा था. इस क्रम में आक्रोशित लोग पुलिस का जोरदार विरोध कर रहे थे. आदिवासियों ने दिनभर हंगामा किया तथा किसी भी सूरत में एंबुलेंस पर रखे शव को उतराने नहीं दे रहे थे. ग्रामीण किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं थे. इस क्रम में घटना को लेकर सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने डांगापाड़ा पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिलकर न्याय दिलाने की मांग रखी. श्री दुबे ने आइजी से बात कर कहा कि पहाड़िया समुदाय के लोगों को न्याय मिले. उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासियों को नेता के प्रति केवल उनके नाम पर ही कुछ विश्वास है. जिला प्रशासन व पुलिस के पदाधिकारी कम से कम आदिवासियों का जो विश्वास उनके प्रति है, वह टूटे नहीं. इस बात का ध्यान रखने के साथ पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की. डॉ दुबे की बात के बाद सभी आदिवासी पहाड़िया बातों को मान कर शव को वाहन से उतारकर अंतिम संस्कार कर दिया. इस तरह दिन भर पहाड़िया के आक्रोश से परेशान पुलिस व प्रशासन ने चैन की सांस ली.