डांगापाड़ा से अवैध उत्खनन कर लाये जा रहे कोयले लदे दो ट्रैक्टरों को वन विभाग ने किया जब्त
गोड्डा डीएफओ के इनपुट पर हुई कार्रवाई
सुंदरपहाड़ी के डांगापाड़ा से अवैध उत्खनन कर लाये जा रहे कोयले से लदे दो ट्रैक्टरों को वन विभाग की टीम ने जब्त कर लिया है. जब्त कोयले की खेप को बुधवार की देर रात गोड्डा रेंज ऑफिस लाया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार तकरीबन दो ट्रैक्टरों में 80 क्विंटल लदे कोयलो की जब्ती की गयी है, जिसकी अनुमानित कीमत लाखों में है. जब्त किये गये दोनों ट्रैक्टरों को बगैर किसी रजिस्ट्रेशन नंबर का है. ट्रैक्टर पर जब्त कोयला ओवरलोड है. यह कार्रवाई देवदांड़ थाना क्षेत्र में की गयी है. हालांकि कोयले को डांगापाड़ा से देवदांड़ के पिंडराहाट के समीप से लाया जा रहा था. गोड्डा रेंजर संजय कुमार ने इस बाबत बताया कि विभाग को इस संदर्भ में गुप्त सूचना मिली थी. जिस पर पकड़ने के लिए टीम का गठन किया गया था. टीम द्वारा सुंदरपहाड़ी से कोयला लदे वाहन की टोह ली गयी. इसका पीछा किया गया. इसके बाद देवदांड़ के पिंडराहाट के समीप वाहन को रोककर जब्त किया गया. वन विभाग को देखकर दोनों वाहनों का चालक वाहन छोड़कर फरार हो गया. कोयले को देर रात ही दूसरे वाहन के चालक की मदद से गोड्डा रेंज आफिस लाया गया. इस मामले में वन विभाग में अवैध खनन सहित अन्य मामले में केस दर्ज किया गया है. रेंजर संजय कुमार ने बताया कि इस मामले में कुल चार लोगो को नामजद किया गया है. यह कोयला चोरों का गिरोह है. जो स्थानीय लोगो को कोयला चोरी करने के लिए प्रलोभन देता है और अवैध उत्खनन कर कोयले की निकासी दुर्गम रास्ते से करता है. इस बाबत वन विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाया जाएगा. छापेमारी अभियान में वन विभाग के कर्मी लगे थे. छापेमारी में सुमन कुमार गुप्ता, मुकेश कुमार मंडल, मनीष कुमार, महेश कुमार, कयूम अंसारी, श्रीकांत सोरेन, अनंत कुमार व मनीष यादव थे.
अवैध सुरंगों से असुरक्षित तरीके से निकाला जाता है कोयला, कई लोगों की हो चुकी है मौत
सुंदरपहाड़ी में अवैध उत्खनन का यह खेल वर्षों से चल रहा है. इस थाना क्षेत्र में पहाड़ों पर दर्जनों की संख्या में अवैध सुरंग बना हुआ है, जहां से कोयले की निकासी की जाती है. इसमें जीतपुर, आलू बेड़ा व डांगापाड़ा है. कोयला को बिल्कुल असुरक्षित रूप से निकाला जाता है. कोयला निकालने के क्रम में जब सुरंग में पानी जमा हो जाता है, तो वहां भी स्थानीय जुगाड़ से पानी निकाला जाता है. कई बार कोयले की खेप गिरने से अकुशल मजदूरों की मौत हुई है. लेकिन इस जुगाड़ में लगे लोग न केवल पूरे मामले को दबा जाते हैं, बल्कि लाश तक को खदान में ही छोड़ दिया जाता है. दो-तीन साल पहले परगोडीह के मजदूर की कोयले के अवैध उत्खनन में जान चली गयी थी. यह पूरा इलाका वन विभाग के तहत पड़ता है. हालांकि वन विभाग द्वारा इस जगह पर कार्रवाई की गयी है. जेसीबी आदि से सुरंग का मुंह बंद किया गया है. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात समान है. कम से कम एक दर्जन से ऊपर सुरंग हैं, जहां हर दिन जुगाड़ से कोयला निकाला जाता है. कोयले की बड़ी खेप इस इलाके में ईंट भट्ठे आदि में खपाया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है